मगही वेबिनार में देश-विदेश के कवियों ने बिखेरा जलवा
------ संसू वारिसलीगंज विश्व मगही परिषद के द्वारा रविवार को लॉकडाउन के दौर
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संसू, वारिसलीगंज : विश्व मगही परिषद के द्वारा रविवार को लॉकडाउन के दौरान पांचवां मगही वेबिनार आयोजित कर मगही के विकास और विस्तार पर चर्चा की गई साथ ही दिवंगत साहित्यकारों व कवियों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई। विश्व मगही परिषद के अध्यक्ष मगध विश्वविद्यालय में मगही के विभागाध्यक्ष भरत सिंह की अध्यक्षता में आयोजित वेबिनार का संचालन प्रो. नागेंद्र नारायण सिन्हा के द्वारा किया गया। कार्यक्रम को संबोधित करते हुए हिदी मगही के वरिष्ठ साहित्यकार रामरतन प्रसाद सिंह रत्नाकर ने नवादा जिले के साहित्यकार जयनाथपति के व्यक्तित्व को रेखांकित करते हुए कहा कि जयनाथपति मगही के प्रथम उपन्यासकार एवं स्वतंत्रता सेनानी थे। 1928 से 1935 के बीच फूल बहादुर, सुनीता और गदहनित उपन्यास लिख कर समाज की समस्याओं को उजागर किया। इसी प्रकार मगही के फक्कड़ कवि मथुरा प्रसाद नवीन और मगही के कोकिल कहे जाने वाले कवि जयराम सिंह की कविता के कुछ महत्वपूर्ण पंक्तियों को पढ़कर सुनाया। जिसमें कवि नवीन के कुछ चर्चित पंक्ति ,अजी मिश्रा जी पतरा देखो कहिया तक सरकार चलत। महज एक कुर्सी के खातिर कहिया तक तकरार चलत। जबकि कवि जयराम के श्रृंगार रस की कुछ कविता आज भी मगह वासियों के बीच काफी लोकप्रिय है।कभी मिथलेश ने मगध के नटराज केसरी नंदन और दारू ग्रुप के संदर्भ में कहा कि दोनों जनकवि और गीतकार थे। लक्ष्मण प्रसाद ने कहानीकार तारकेश्वर भारती पर प्रकाश डाला।कार्यक्रम में अमेरिका से अनिल कुमार, रिकू कुमार ,नेपाल से वीर बहादुर सिंह, दिल्ली चंडीगढ़ से लक्ष्मण प्रसाद, दिलीप कुमार ,रामकृष्ण प्रिय, नूतन, दिलीप वर्मा ,पूनम कुमारी आदि वेबीनार का हिस्सा बनकर कार्यक्रम को संबोधित किया।