कविता-संग्रह ''आस-किरण'' का हुआ लोकार्पण

नवादा नवादा के साहित्यकार डॉ. गोपाल निर्दोष की छठी पुस्तक आस-किरण का लोकार्पण रविवार को हुआ। नवीन नगर नवादा में संचालित फिजिक्स फॉर यू के कोचिग संस्थान के सभागार में पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Feb 2021 12:00 AM (IST) Updated:Mon, 15 Feb 2021 12:00 AM (IST)
कविता-संग्रह ''आस-किरण'' का हुआ लोकार्पण
कविता-संग्रह ''आस-किरण'' का हुआ लोकार्पण

नवादा : नवादा के साहित्यकार डॉ. गोपाल निर्दोष की छठी पुस्तक ''आस-किरण'' का लोकार्पण रविवार को हुआ। नवीन नगर, नवादा में संचालित फिजिक्स फॉर यू के कोचिग संस्थान के सभागार में पुस्तक का लोकार्पण किया गया।

यह एक प्रेम कविता-संग्रह है, इसीलिए कवि डॉ निर्दोष ने इसका लोकार्पण प्रेम दिवस 14 फरवरी के दिन किया। गोपाल डॉ निर्दोष ने अपनी इस पुस्तक का लोकार्पण अपने रंगशिष्य रजनीश कुमार के हाथों करवाया, जो राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के रंगार्थी एवं नाट्य चिकित्सा पद्धति के शोधार्थी हैं। इसके साथ ही वे चिकित्सीय मनोविज्ञान में स्नातकोत्तर एवं थिएटर कम्युनिकेशन में पीजी डिप्लोमा भी कर चुके हैं। विदित हो कि रजनीश कुमार ''रंगशाला थिएटर सोसायटी'' एवं रंगसंस्था ''नट्वांगम'' नवादा के संस्थापक भी हैं। लोकार्पण समारोह में अंग्रेजी शिक्षक सुबोध कुमार, हिदी साहित्य सम्मेलन, बिहार से युवा शताब्दी सम्मान से सम्मानित जिले के जाने माने साहित्यकार सावन कुमार, कवि व शिक्षक नितेश कपूर, नवोदित कवि-कथाकार सागर वर्मा, साहित्यप्रेमी रामरूप प्रसाद यादव भी लोकार्पण समारोह में मौजूद थे। ''आस-किरण'' का लोकार्पण करते हुए रजनीश ने बताया कि बिहार हिदी साहित्य सम्मेलन, पटना के द्वारा पंडित रामचंद्र भारद्वाज सम्मान से सम्मानित एवं स्किल माइंड्स फाउंडेशन एंड दीक्षांश फाउंडेशन के द्वारा डॉ राजेंद्र प्रसाद शिक्षा शिरोमणि सम्मान से सम्मानित डॉ गोपाल निर्दोष हमारे नवादा के साहित्य-रत्न हैं, हमें इन पर नाज है। ये मेरा सौभाग्य है कि ये मेरे प्रथम रंगगुरु हैं और आज इन्होंने मुझे एक और अप्रतिम सौभाग्य प्रदान कर दिया कि अपनी छठी पुस्तक का मेरे हाथो लोकार्पण करवा दिया। आज मैं अपने घर में यह सौभाग्य पाकर कृतार्थ हूं। इसके साथ ही उन्होंने ''आस-किरण'' पुस्तक से ''चलो एक दीया जलाएँ'' एवं ''कुछ बातें लेकिन बरकरार रहे'' नामक कविता का भी पाठ किया। शिक्षक सुबोध कुमार ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. निर्दोष की रचनाओं में सहज भावों की प्रस्तुति रहती है। उन्होंने डॉ. निर्दोष की दो कविताओं ''मैं शोर कर दूंगा'' एवं ''एक जोड़ एक बराबर एक'' का पाठ किया। मौके पर शिक्षक एवं चित्रकार अरुण वर्मा स्वरचित एक कविता पढ़ी।

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