लोकगीत कलाकार महेश को कजरी लोकगीत में मिला प्रथम स्थान

नवादा। शुक्रवार की शाम सांस्कृतिक संस्था सृजन आर्टस सह शकुन्तला मेमोरियल कॉलेज नवादा में विलुप्त हो रहे श्रावण मास में गाए जाने वाले सुप्रसिद्ध लोकगीत कजरीका आयोजन किया गया। आयोजक विजय शंकर पाठक ने बताया कि संस्था का उद्देश्य विलुप्त हो रहे गायन शैली का संरक्षण करना व इस लोकगीत को फिर से समाज के बीच प्रचलित करना है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 10:55 PM (IST) Updated:Sat, 21 Aug 2021 10:55 PM (IST)
लोकगीत कलाकार महेश को कजरी लोकगीत में मिला प्रथम स्थान
लोकगीत कलाकार महेश को कजरी लोकगीत में मिला प्रथम स्थान

नवादा। शुक्रवार की शाम सांस्कृतिक संस्था सृजन आर्टस सह शकुन्तला मेमोरियल कॉलेज, नवादा में विलुप्त हो रहे श्रावण मास में गाए जाने वाले सुप्रसिद्ध लोकगीत ''कजरी''का आयोजन किया गया। आयोजक विजय शंकर पाठक ने बताया कि संस्था का उद्देश्य विलुप्त हो रहे गायन शैली का संरक्षण करना व इस लोकगीत को फिर से समाज के बीच प्रचलित करना है। इस आयोजन का संचालन श्रीमति वंदना आर्या ने किया। इस आयोजन में जिलेभर के तमाम कलाकारों नें भाग लिया व अपने लोकगीतों से खुब समां बांधा। इस लोकगीत कजरी आयोजन में मेसकौर प्रखंड के बैजनाथपुर गांव से पहुंचे लोकगीत कलाकार महेश कुमार मोनू नें ''पिया मेंहदी लिया द मोती झील से, जाके साईकिल से ना'' जैसे कजरी लोकगीतों से सबकामनमुग्ध कर दिया।सृजन आर्टस सह शकुन्तला म्युजिक कॉलेज नवादा में आयोजित इस कजरी लोकगीत आयोजन में प्रथम स्थान पाने वाले लोकगायक महेश कुमार मोनु ने बताया की आधुनिकता के दौर में साथ खत्म हो रही कजरी जैसे लोकगीत की परंपराएं सावन के शुरु होते ही पहले हमारे समाज में कजरी जैसे लोकगीतों की धुम मचती थी, परन्तु आज वहां सन्नाटा पसरा हुआ है। साबन का महिना कब आकर चला जाता है पता हीं नहीं चल पाता है। लेकिन आज की पीढी़ के कानों तक कजरी के बोल नहीं पहुंच पाते हैं। लोगों में कजरी का उत्साह धुंधला होता जा रहा है। इस धुंधलापन को फिर से जगाना है और कजरी जैसे लोकगीतों को फिर से समाज के बीच वापस लाना है। इस कजरी लोकगीत आयोजन में प्रथम पुरस्कार पाने वाले महेश कुमार मोनु, दुसरा स्थान पाने वाली सीमा शर्मा और तीसरा स्थान पाने वाली प्रतिभागी सीववर्ती कुमारी को सृजन आर्टस के निदेशक विजय शंकर पाठक नें आर्कषक ट्रॉफी प्रदान कर इन सभी का मनोबल बढा़या।

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