लोमष ऋषि पहाड़ पर मेला आज, लोगों में उत्साह

नवादा। प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर अवस्थित लोमष ऋषि पहाड़ पर श्रावण माह के पूर्णिमा के अवसर पर रक्षाबंधन के दिन मेला लगता है। इस दिन पहाड़ पर जाकर पूजा हवन एवं ब्राह्मणों का ज्योनार किये जाने की परंपरा 500 वर्षों से चलती आ रही है। पहाड़ पर अवस्थित डगडगवा नामक चट्टान पर लिखे शिलालेख के अनुसार रजौली सप्तऋषियों की तपोभूमि है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 21 Aug 2021 10:57 PM (IST) Updated:Sat, 21 Aug 2021 10:57 PM (IST)
लोमष ऋषि पहाड़ पर मेला आज, लोगों में उत्साह
लोमष ऋषि पहाड़ पर मेला आज, लोगों में उत्साह

नवादा। प्रखंड मुख्यालय से 6 किलोमीटर दूर अवस्थित लोमष ऋषि पहाड़ पर श्रावण माह के पूर्णिमा के अवसर पर रक्षाबंधन के दिन मेला लगता है। इस दिन पहाड़ पर जाकर पूजा, हवन एवं ब्राह्मणों का ज्योनार किये जाने की परंपरा 500 वर्षों से चलती आ रही है।

पहाड़ पर अवस्थित डगडगवा नामक चट्टान पर लिखे शिलालेख के अनुसार रजौली सप्तऋषियों की तपोभूमि है। भड़ड़ा गांव में गौतम ऋषि, दिबौर में दुर्वासा ऋषि एवं सरमसपुर गांव में यागवल्कय व लोमष ऋषि का तपोस्थली आज भी मौजूद है। जिसका संबंध बाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में देखने को मिलता है।समाजसेवी विनय सिंह ने बताया कि सरमसपुर गांव स्थित लोमष ऋषि एवं यागवल्क्य ऋषि के तपोभूमि को लेकर गलत रिपोर्ट बनाकर अवैध रूप से कात्यायनी, मधुकोन एवं महादेवा नामक खनन कंपनियों के हवाले कर दिया है। खनन कंपनियां अपने मुनाफे के लिए पहाड़ पर अवस्थित झरने, पत्थरों पर बने अलौकिक कलाकृतियों एवं तपोस्थली आदि पौराणिक तथ्यों को नष्ट कर रहे हैं। जिसको लेकर पटना उच्च न्यायालय का दरवाजा उन्होंने खटखटाया। उच्च न्यायालय ने 31 अगस्त तक खनन कार्य पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया है। एसडीओ चन्द्रशेखर आजाद ने उच्च न्यायालय के निर्देशों के पूर्णत: पालन हेतु स्थानीय पदाधिकारियों को महत्वपूर्ण दिशा निर्देश दिए हैं।

समाजसेवी सह याचिकाकर्ता ने बताया कि लोमष ऋषि पहाड़ को लेकर पुरातत्व विभाग को सूचीबद्ध करने कला एवं संस्कृति विभाग को रामायण सर्किट में शामिल करने की अपील की है। साथ ही बताया कि 1905 ई में ब्रिटिश शासन काल में ही पर्यटन स्थल बनाने की बात गजट में कही गई है। लोमष ऋषि पहाड़ को बचाने हेतु उच्च न्यायालय में अपने मजबूत पक्षों को रखने की बात कही है। साथ ही उन्होंने आशा जताई है कि आनेवाले दिनों में लोमष ऋषि पहाड़ की अस्तित्व को बचाये रखना है। इस पहाड़ से सैकड़ों गांव के लोगों की धार्मिक भावना जुड़ी है।

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