कैंप लगा असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों का बनाया जा रहा ई श्रमिक कार्ड

अधिक से अधिक असंगठित मजदूरों का ई-श्रमिक कार्ड बन सके इसके लिए गांवों में कैंप लगाया जा रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री संचालित सरकारी योजनाओं का लाभ मजदूरों को मिल सके एनआरआई सह भाजपा नेता इंजीनियर रंजीत कुमार के निर्देशन में प्रखंड क्षेत्र के नंदेलालविगहा गांव में शिविर लगया गया।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 09:46 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 09:46 PM (IST)
कैंप लगा असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों का बनाया जा रहा ई श्रमिक कार्ड
कैंप लगा असंगठित क्षेत्रों के मजदूरों का बनाया जा रहा ई श्रमिक कार्ड

संसू, हिसुआ : अधिक से अधिक असंगठित मजदूरों का ई-श्रमिक कार्ड बन सके, इसके लिए गांवों में कैंप लगाया जा रहा है। मंगलवार को प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री संचालित सरकारी योजनाओं का लाभ मजदूरों को मिल सके एनआरआई सह भाजपा नेता इंजीनियर रंजीत कुमार के निर्देशन में प्रखंड क्षेत्र के नंदेलालविगहा गांव में शिविर लगया गया। शिविर को लेकर मजदूरों में काफी उत्साह देखा गया। लोगों ने निशुल्क ई-श्रमिक कार्ड बनाये जाने का जमकर लाभ उठाते हुए 100 से अधिक लोगों ने कार्ड बनवाया। इंजीनियर रंजीत ने बताया कि इच्छुक क्षेत्र के असंगठित मजदूर हिसुआ के नरहट रोड अवस्थित जानकी काम्प्लेक्स में स्थित ई-सुविधा केंद्र पर आकर भी अपना ई-श्रमिक कार्ड मुफ्त में बनवा सकते हैं। इसके जरिये पंचायत और गांव जाकर जनता को सरकारी योजना से जोड़ने के लक्ष्य पर काम हो रहा है। ई-सुविधा कार्यक्रम के लिए प्रताप विद्यार्थी को प्रोजेक्ट मैनेजर बनाया गया है। इनकी टीम गांव गांव में प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री योजना के तहत लोगों को जोड़ने का काम करेगी। समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों के लिए यह कार्य किया जाएगा। बताया कि भारत सरकार के श्रम एवं रोजगार मंत्रालय के निर्देश पर किया जा रहा है। जिसके तहत मजदूरों को एक 12 अंक का विशिष्ट पहचान संख्या मुहैया कराया जाएगा। ई-श्रमिक कार्ड बनाए जाने फर श्रमिकों में खुशी देखी गई।

श्रीरामपुर में शोभा की वस्तु बनकर रह गई है नल जल योजना

संसू, हिसुआ : प्रखंड के श्रीरामपुर गांव में नल जल योजना सिर्फ शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। मुख्यमंत्री सात निश्चय योजना के तहत नल जल योजना का काम कराया गया था। लेकिन विभागीय अधिकारी की लापरवाही एवं संवेदक के खराब कार्य की वजह के कारण दम तोड़ चुका है। जानकारी के मुताबिक इस योजना पर 33 लाख रुपये खर्च किए गए हैं। शुरुआती दिनों में इसके चालू होने से ग्रामीणों को स्वच्छ और निर्मल जल मिल रहा था, लेकिन ग्रामीणों में मायूसी तब हो गई जब कुछ समय के बाद ही इस योजना ने दम तोड़ दिया।

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