छलक उठा अधिकारी के पिता का दर्द, कहा-सिस्टम ने मारा
नालंदा। औरंगाबाद में पदस्थापित बीपीएससी पदाधिकारी बिहारशरीफ के छज्जू मोहल्ला निवासी मोहम्म
नालंदा। औरंगाबाद में पदस्थापित बीपीएससी पदाधिकारी, बिहारशरीफ के छज्जू मोहल्ला निवासी मोहम्मद गुलफाम की कोरोना से मौत के बाद जहां स्थानीय लोग मर्माहत है, वहीं पिता मो. असलम को इस बात की टीस है कि जब एक अधिकारी सिस्टम के भेंट चढ़ गया तो आम लोगों के साथ क्या होता होगा। पिता ने बताया कि मेरे बेटे की जब शनिवार की रात तबीयत बिगड़ी तो उसे पीएमसीएच ले जाया गया। साथ में बेटी और दामाद भी थे। पहले तो पीएमसीएच गेट पर तैनात कर्मी ने गेट नहीं खोला। इसके बाद जब दामाद ने कहा कि यह एक बीपीएससी अधिकारी हैं, तब भी वहां तैनात कर्मियों ने एक न सुनी। मेरा बेटा ऑक्सीजन के लिए तड़पता रहा लेकिन उसकी सुनने वाला कोई नहीं था। पीएमसीएच में तैनात चिकित्सकों व कर्मियों का भी व्यवहार इतना बुरा था कि इसका अंदाजा कोई नहीं लगा सकता। बेटी अपने भाई को बचाने के लिए ऑक्सीजन के लिए मिन्नतें करती रही। लेकिन किसी ने नहीं सुनी। इसके बाद बेटी व दामाद इस सोच से गुलफाम को वापस औरंगाबाद ले जाने लगे कि वे वहां के अधिकारी हैं तो शायद वहां के सदर अस्पताल में इलाज की व्यवस्था हो जाए। परंतु जिस एंबुलेंस से उन्हें पटना से औरंगाबाद ले जाया गया, उसके पास भी ऑक्सीजन की व्यवस्था नहीं थी। अंतत: मो. गुलफाम ने ऑक्सीजन के अभाव में दम तोड़ दिया और सिस्टम के सामने अंतहीन सवाल छोड़ गए।
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इलाज के लिए पटना गया तो शोकॉज
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इधर, उसका हालचाल लेने की बजाए औरांगाबाद के अधिकारी ने उल्टे कोषागार पदाधिकारी मो. गुलफाम को शो-कॉज कर दिया कि आप बिना अनुमति के जिला कैसे छोड़ दिए। इंसानियत बची ही नहीं। बेटा दवा खाकर भी अपना काम करता रहा। लेकिन किसी ने यह भी नहीं सोचा कि उसका इलाज कैसे हो।
गुलफाम अपने पीछे डेढ़ साल की बेटी छोड़ गए है। पत्नी मुंबई में बैंक अधिकारी हैं। दूर रहने के कारण पति का अंतिम दर्शन भी नहीं कर सकी। कलेजे पर पत्थर रख पिता ने सोमवार को अपने इकलौते पुत्र को सुपुर्दे खाक कर दिया। वह पूरे मोहल्ले की शान और हर दिल अजीज थे।