जल्द ही तालाब की सतह पर तैरते दिखेंगे सोलर पैनल, शासन ने ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ाया कदम

जिला के बड़े-बड़े तालाबों एवं जल संरचनाओं में फ्लोटिग सोलर पैनल के माध्यम से सौर ऊर्जा पैदा करने की असीम संभावना है। इस तकनीक के माध्यम से हम बहुमूल्य जमीन को बचाते हुए सौर ऊर्जा पैदा कर सकते हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Jan 2020 07:50 PM (IST) Updated:Thu, 23 Jan 2020 06:11 AM (IST)
जल्द ही तालाब की सतह पर तैरते दिखेंगे सोलर पैनल, शासन ने ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ाया कदम
जल्द ही तालाब की सतह पर तैरते दिखेंगे सोलर पैनल, शासन ने ग्रीन एनर्जी की ओर बढ़ाया कदम

बिहारशरीफ : जिला प्रशासन ने ग्रीन एनर्जी-क्लीन एनर्जी की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। सब कुछ ठीक रहा तो बिहारशरीफ नगर निगम क्षेत्र के एक तालाब और मछली पालन के एक पोखर की सतह पर सोलर पैनल तैरते दिखेंगे। जिससे निर्बाध तरीके से बिजली उत्पादन होगा। योजना सफल रही तो फ्लोटिग सोलर पैनल जिले भर के बारहमासी जलस्त्रोतों पर नजर आएंगे। बुधवार को डीएम योगेन्द्र सिंह ने नगर आयुक्त सौरभ जोरवाल की मौजूदगी में क्वांट सोलर टेक्नोलॉजी कंपनी के निदेशक पंकज कुमार से फ्लोटिग सोलर पैनल की खूबियों को जाना। डीएम ने कंपनी के निदेशक को स्थानीय सहयोग से जिले में पायलट प्रोजेक्ट की स्थापना करने का अनुरोध किया। उन्होंने जिला मत्स्य पदाधिकारी को इच्छुक मत्स्य पालक सहयोग समिति के माध्यम से पायलट परियोजना लगाने को कहा। वहीं नगर निगम क्षेत्र में भी उपयुक्त जल संरचना चिह्नित कर एक पायलट प्रोजेक्ट की पहल करने की बात कही।

कंपनी के निदेशक ने बताया कि जिले के बड़े-बड़े तालाबों एवं जल संरचनाओं में फ्लोटिग सोलर पैनल के माध्यम से सौर ऊर्जा पैदा करने की असीम संभावना है। इस तकनीक के माध्यम से बहुमूल्य जमीन को बचाते हुए सौर ऊर्जा पैदा की जा सकती है। इससे पोखर, तालाब या नदी से जल के वाष्पीकरण में भी कमी आती है, जिससे जल का संरक्षण होता है। जल संरचनाओं में सिचाई सिस्टम भी लगाया जा सकता है। मछली पालन की उत्पादकता को और भी बढ़ावा मिल सकता है।

 कंपनी के निदेशक ने बताया कि उनकी कम्पनी फिलहाल असम, महाराष्ट्र एवं आंध्रप्रदेश में फ्लोटिग सोलर पैनल प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। उन्होंने इस तकनीक से होने वाले फायदे के बारे में विस्तृत जानकारी दी। बताया कि जमीन पर सोलर पैनल लगाने में ज्यादा जगह की आवश्यकता होती है।  एक मेगावाट के सोलर पावर प्रोजेक्ट के लिए लगभग 4 एकड़ जमीन पर सोलर पैनल लगाने की आवश्यकता होती है। वहीं इतनी ही क्षमता के सौर ऊर्जा उत्पादन के लिए फ्लोटिग सोलर पैनल के लिए लगभग 2.5 एकड़ तालाब के सतह की ही जरूरत होती है। इस टेक्नोलॉजी के माध्यम से छोटी-छोटी क्षमता के प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन कर समुदाय के समावेशी विकास के लिए भी कार्य किया जा सकता है। इनमें घरों को बिजली उपलब्ध कराना, मत्स्य पालन को बढ़ावा देना, चार्जिंग स्टेशन बनाना, माइक्रो एवं ड्रिप इरिगेशन की व्यवस्था करना आदि शामिल हो सकता है।

 इस अवसर पर जिला मत्स्य पदाधिकारी, कार्यपालक अभियंता विद्युत आपूर्ति, जिला पंचायती राज पदाधिकारी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।

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