शहर में छह फुटपाथ, अधिकांश अतिक्रमण की जद में
बिहारशरीफ। पैदल चलने वालों का एक मात्र अधिकार फुटपाथ है। आज फुटपाथ उनके अधिकार क्षे
बिहारशरीफ। पैदल चलने वालों का एक मात्र अधिकार फुटपाथ है। आज फुटपाथ उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर है। ऐसे में सड़क के बीच चलना लोगों की मजबूरी हो गई है। पुलपर, अस्पताल चौराहा, रामचंद्रपुर, सोहसराय, खंदकपर सहित पूरे शहर में करीब छह स्थानों पर फुटपाथ हैं। फुटपाथ अतिक्रमणकारियों का कब जागीर बन गया से पता ही नहीं चला।
सरकार के नुमाइंदों से लेकर अधिकारियों तक ने कभी इसे मुक्त कराने की कोशिश नहीं की। इसका परिणाम है कि अधिकांश फुटपाथों पर स्थाई दुकानें बन गई है। निगम ने कई बार इसे मुक्त कराने का प्रयास किया, लेकिन बढ़ते विवाद तथा दबाव के कारण इस कार्य को रोकना पड़ा। कोर्ट ने भी माना फुटपाथ पर पैडेस्ट्रियन का अधिकार
पूरे देश में करीब 20 प्रतिशत मौत की वजह सड़क दुर्घटना है। इस दुर्घटना में मरने वाले लोगों में करीब 10 प्रतिशत पैदल यात्री हैं। फुटपाथ छीने जाने के कारण वे सड़क पर चलने को मजबूर हैं। ऐसे में उनके साथ दुर्घटना होना सामान्य है। हाई कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक ने फुटपाथ को पैडेस्ट्रियन का अधिकार बताया है, मगर यहां पैडेस्ट्रियन को अधिकार नहीं मिल सका। वहीं अतिक्रमणकारियों के एक दल ने संविधान के अनुच्छेद 21 का हवाला देते हुए जब सुप्रीम कोर्ट में रिट दायर किया तो जज ने कहा कि किसी भी हाल में फुटपाथियों के अधिकार का हनन नहीं किया जा सकता। किसी काम के नहीं हैं फुटपाथ
शहर में फुटपाथ तो जरूर है, लेकिन आम लोगों के काम का नहीं है। फुटपाथ बनने के कुछ ही दिन बाद उस पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा हो गया। वहीं प्रशासन की ढील की वजह से फुटपाथ पर अतिक्रमणकारियों का कब्जा पुख्ता होता चला गया। बिजली कार्यालय के पास फुटपाथ पर सजती दुकानें
बिजली कार्यालय के पास स्थित फुटपाथ पूरी तरह लोगों के कब्जे में है। कुछ दिनों पहले तक इसपर चलंत होटल थे, जो अब खत्म हो चुके है, लेकिन फुटपाथ आज भी अतिक्रमणकारियों के कब्जे में है। हैरानी इस बात की है कि जिस फुटपाथ पर राहगीरों को चलना चाहिए था। उसपर दुकानें चलाई जा रही हैं। निगम के प्रयास के बाद भी नहीं मुक्त हुए फुटपाथ
फुटपाथ पर कब्जा हटाने का कई बार निगम ने प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिल सकी। कई अधिकारियों का मानना है कि फुटपाथ गरीबों तथा असहाय लोगों के जीविकोपार्जन का सहारा है। ऐसे में तत्काल हटाना संभव नहीं है। उन्हें पुर्नस्थापित करने की योजना बनाने के बाद ही हटाना उचित होगा। फुटपाथियों को उनके अधिकार दिलाने का प्रयास किया जा रहा है। स्मार्ट सिटी के अंतर्गत योजनाएं बननी हैं। फुटपाथ पर स्थित दुकानों को पुनस्र्थापित करने की भी योजना बनाई जा रही है। जल्द ही नये रूप में फुटपाथ दिखेगा।
-जयेश सिन्हा, उपनगर आयुक्त।