रेबीज का वायरस हो सकता जानलेवा, इसे नजर अंदाज न करें : सीएस

बिहारशरीफ। आज 28 को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रेबीज बीमारी तथा इसकी रोकथाम के बारे में जागरुकता जरूरी है। कुत्ते से ही नहीं अन्य जानवरों के काटने से भी रेबीज होने का खतरा होता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 27 Sep 2020 05:38 PM (IST) Updated:Mon, 28 Sep 2020 05:13 AM (IST)
रेबीज का वायरस हो सकता जानलेवा, इसे नजर अंदाज न करें : सीएस
रेबीज का वायरस हो सकता जानलेवा, इसे नजर अंदाज न करें : सीएस

बिहारशरीफ। आज 28 को विश्व रेबीज दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसका उद्देश्य रेबीज बीमारी तथा इसकी रोकथाम के बारे में जागरुकता जरूरी है। कुत्ते से ही नहीं अन्य जानवरों के काटने से भी रेबीज होने का खतरा होता है। यह वायरस से फैलने वाला एक बेहद गंभीर रोग है। किसी भी जानवर के काटने पर चिकित्सकों से तुरंत सलाह लेनी चाहिए। इसे नजरअंदाज करने पर इसका परिणाम काफी घातक हो सकता है।

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रेबीज से बचाव है संभव

सिविल सर्जन डॉ. राम सिंह ने कहा कि रेबीज एक ऐसा वायरल इंफेक्शन है, जो आमतौर पर संक्रमित जानवरों के काटने से फैलता है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से इस बीमारी के वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। रेबीज का वायरस कई बार पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क में आने से भी फैल जाता है। रेबीज एक जानलेवा रोग है जिसके लक्षण बहुत देर में नजर आते हैं। अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए, तो यह रोग जानलेवा साबित हो जाता है। उन्होंने कहा कि कोविड -19 को देखते हुए इस बार मास मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और प्रिट मीडिया के माध्यम से लोगों में इसके प्रति जागरूकता फैलाने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं ताकि लोग इसके प्रति अधिक से अधिक जागरूक हो।

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क्या है इसके लक्षण

बुखार, सिरदर्द, घबराहट या बेचैनी, व्याकुलता, भ्रम की स्थिति, खाना-पीना निगलने में कठिनाई, बहुत अधिक लार निकलना, पानी से डर लगना, नींद नहीं आना एवं शरीर के किसी एक अंग में पैरालिसिस यानी लकवा मार जाना आदि रेबीज के लक्षण हैं।

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किसी भी जानवर के काटने पर ऐसा करें

-अगर रेबीज से संक्रमित किसी बंदर या कुत्ते आदि ने काट लिया तो तुरंत इलाज करवाएं।

-काटे हुए स्थान को कम से कम 10 से 15 मिनट तक साबुन या डेटौल से साफ करें।

-जितना जल्दी हो सके वेक्सिन या एआरवी के टीके लगवाएं।

-पालतू कुत्ते को भी इंजेक्शन लगवाएं।

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जानवर के काटने पर क्या न करें

-घाव अधिक है तो उस पर टांके न लगवाएं।

-रेबीज के संक्रमण से बचने के लिए कुत्ते व बंदरों आदि के अधिक संपर्क में न जाए।

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72 घंटे बाद नहीं होता असर

यदि किसी भी व्यक्ति को रेबीज संक्रमित किसी जानवर ने काट लिया और उसने 72 घंटे के भीतर अपना इलाज नहीं करवाया तो उसके बाद वैक्सिन या एआरवी के टीके लगवाने का कोई फायदा नहीं है। इसलिए जितनी जल्दी हो सके वैक्सिन व एआरवी के टीके अवश्य लगावाएं।

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लापरवाही न बरतें

कुत्ते, बिल्ली या किसी अन्य जानवर के काटने पर बिल्कुल भी लापरवाही न बरतें। अगर हल्का सा भी निशान है तो एंटी रेबीज इंजेक्शन जरूर लगाने चाहिए। रेबीज खतरनाक है मगर इसके बारे में लोगों की कम जानकारी और ज्यादा घातक साबित होती है। आमतौर पर लोग मानते हैं कि रेबीज केवल कुत्तों के काटने से होता है मगर ऐसा नहीं है। कुत्ते, बिल्ली, बंदर आदि कई जानवरों के काटने से वायरस व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। कई बार कटे अंग पर पालतू जानवर के चाटने या खून का जानवर के लार से सीधे संपर्क से भी ये रोग फैल सकता है।

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