नामांकन अभियान में सुस्ती के बीच सुकून दे रहा सरकारी स्कूलों में स्वागत का संदेश
बिहारशरीफ। एक तरफ सरकारी स्कूलों में 8 मार्च से जारी प्रवेशोत्सव विशेष अभियान की गति सुस्त है दूसरी ओर बिहारशरीफ मॉडल स्कूल की प्राचार्या सुनीता सिन्हा ने सरकारी स्कूलों में आपका स्वागत है शीर्षक भावुक संदेश देकर अभिभावकों को प्रेरित करने का बेहतरीन प्रयास किया है। हालांकि इस संदेश का असर देखना अभी बाकी है।
बिहारशरीफ। एक तरफ सरकारी स्कूलों में 8 मार्च से जारी प्रवेशोत्सव विशेष अभियान की गति सुस्त है, दूसरी ओर बिहारशरीफ मॉडल स्कूल की प्राचार्या सुनीता सिन्हा ने सरकारी स्कूलों में आपका स्वागत है, शीर्षक भावुक संदेश देकर अभिभावकों को प्रेरित करने का बेहतरीन प्रयास किया है। हालांकि इस संदेश का असर देखना अभी बाकी है।
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सभी 20 बीईओ से डीईओ ने किया शोकॉज
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नामांकन में शिथिलता को देखते हुए डीईओ मनोज कुमार ने जिले के सभी 20 बीईओ को शोकॉज किया है। इन्हें सभी स्कूलों में कम से कम 50 बच्चों के नामांकन का लक्ष्य दिया गया है। परंतु कोई स्कूल इसके आसपास भी नहीं पहुंचे हैं। अधिकांश स्कूलों में प्रवेशोत्सव के आठ दिन बाद तक एक भी नामांकन नहीं हो सका है। यह स्थिति देख डीईओ ने सभी बीईओ से पूछा है कि क्यों न आपके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू कर दी जाए। क्योंकि प्रवेशोत्सव मुहिम 20 मार्च तक ही चलनी है। जिसकी मियाद पूरी होने में मात्र 4 दिन बचे हैं।
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प्रखंडवार नामांकन की स्थिति
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नगरनौसा के 79 स्कूलों में 121, नूरसराय के 127 में 154, परवलपुर के 76 में 140, रहुई के 118 में 224, राजगीर के 103 में 39, सरमेरा के 84 में 120, सिलाव के 117 में 69, थरथरी के 70 में 74, हरनौत के 124 में 255, इस्लामपुर के 195 में 85, हिलसा के 179 में 134, करायपरसुराय के 81 में 115, कतरीसराय के 41 में 74, एकंगरसराय के 177 में 32, बिद के 66 में 83, चंडी के 131 में 112, बिहारशरीफ के 251 में 229, वेन के 97 में 65, गिरियक के 77 में 82, अस्थावां के 118 स्कूलों में 236 बच्चों के नामांकन हो सके।
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सरकारी स्कूलों में आपका स्वागत है
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लॉकडाउन के कारण अधिकांश उच्च, निम्न एवं मध्यमवर्गीय परिवारों की आर्थिक स्थिति
चरमरा रही है और आगे भी सुधार की गुंजाइश कम नजर आ रही है। अभिभावक निजी
स्कूलों की फीस भरने में असमर्थ हैं और वे फीस माफी चाहते हैं। निजी स्कूल
वाले मान नहीं रहे हैं। सरकार ने निजी स्कूल वालों से कहा भी है कि वे फीस न
बढ़ाएं तथा एकमुश्त शुल्क भरने का दबाव न बनाएं। जरूरी नहीं कि सभी निजी
स्कूल वाले सरकार का कहा मानेंगे। उनकी अलग मजबूरियां हैं। हो सकता है कि
वे मान भी लें या नहीं भी मानें। मेरा ऐसे अभिभावकों से अनुरोध है वे
सरकारी स्कूल में अपने बच्चों को प्रवेश दिलाएं। 8 वीं कक्षा तक कोई प्रवेश
या मासिक फीस नहीं है। उत्तम शिक्षण है। योग्य शिक्षक उपलब्ध हैं।
सीबीएसई बेस्ड पाठ्यक्रम, अच्छे भवन, पर्याप्त फर्नीचर, नि:शुल्क
यूनिफार्म, पुस्तकें, साईकिल, छात्रवृति, मिड डे मिल इत्यादि की सुविधा है।
विद्यालय आपके घर के निकट ही हैं इसलिए कोई वाहन शुल्क नहीं है।
आपके पास ज्यादा पैसा है तो सरकारी स्कूल में डोनेशन दे दें तो और अधिक
सुधार आ जाएगा। एक बार हम पर, हमारे स्कूलों पर विश्वास करके तो देखें।
पुरानी पीढ़ी भी इन सरकारी स्कूलों में पढ़ी है। क्या वह किसी से कम है? 9
वीं कक्षा के बाद मामूली फीस है। अभिभावकगण भी बेवजह सरकार पर दवाब बना
रहे हैं कि निजी स्कूलों पर फीस कम करने को कहें। सरकार ने तो उनके सामने
सर्वसुविधायुक्त सरकारी स्कूलों में प्रवेश का विकल्प दे रखा है। यदि
अभिभावक निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली से खुश नहीं है तो हमारे स्कूलों
में उनका स्वागत है। हम अपनी प्रशंसा स्वयं नहीं करते। सरकारी स्कूलों का नेटवर्क देश के छोटे से छोटे
गांव में है। पूरी पारदर्शिता है इसलिए हमारे स्कूलों की आलोचना कोई भी कर
सकता है। अखबार के पन्नों में केवल हमारी बुराई ही छपती है पर आप केवल एक
बार सेवा का अवसर दें तो आप हमारी अच्छाइयों से भी परिचित हो जाएंगे। आज भी
देश के करोड़ों बच्चे सरकारी स्कूलों के विद्यार्थी हैं, जो निजी स्कूलों
से अधिक ही हैं।