पुनर्जन्म की यादों को ताजा करने नालंदा पहुंचे भूटान के राजपरिवार के नन्हें सदस्य टुएक वांगचुक
भूटान की महारानी दोरजी वांगचुक का नाती टुएक वांगचुक शुक्रवार को दूसरी बार नालन्दा पहुंचे। इससे पहले तीन साल पहले भी नालन्दा आ चुके हैं। इनके बारे में बताया जाता है कि करीब साढ़े आठ सौ साल पूर्व वे इस प्राचीन विश्व विद्यालय के छात्र रह चुके हैं। इनका दूसरा जन्म भूटान की महारानी के परिवार में हुआ है।
नालंदा : भूटान की महारानी दोरजी वांगचुक के नाती छह साल के टुएक वांगचुक शुक्रवार को दूसरी बार नालंदा पहुंचे। वे तीन साल पहले भी नालंदा आ चुके हैं। इनके आने का प्रयोजन महज भ्रमण नहीं था बल्कि अपने पिछले जन्म की यादों को तलाशना था। पुनर्जन्म में गहरा भरोसा रखने वाले भूटानी समाज का मानना है कि यह इनका दूसरा जन्म है। करीब साढ़े आठ सौ साल पूर्व वे इस प्राचीन विश्वविद्यालय के छात्र रह चुके हैं। इनका दूसरा जन्म भूटान की महारानी के परिवार में हुआ है। जब वे पहली बार नालंदा आए थे तो तीन साल के थे। उनका नालंदा का दूसरा दौरा बिल्कुल गोपनीय था। मीडिया से भी दूरी बनायी गयी थी। तस्वीर लेने की बिल्कुल मनाही थी। फिर भी स्थानीय गाइड के सौजन्य से उनके भ्रमण की एक-दो तस्वीरें सामने आ गईं।
यहां बता दें कि इन दिनों 42 लोगों की टीम रॉयल भूटान राज परिवार के साथ भारत की यात्रा पर है। उसी टीम में भूटान की एक राजकुमारी की माता यानी विलक्षण बालक की नानी व अन्य लोग शामिल हैं। नालंदा घूमने के दौरान उनके साथ रहे स्थानीय गाइड कमला सिंह ने बताया कि पिछली बार की अपेक्षा इस बार वो बहुत कम बात कर रहे थे। उन्होंने अपने अनुसार सभी विहार व स्तूपों का अवलोकन किया। उस समय बने छात्रावास के कमरों को भी देखा। उनके साथ रहे लोग उन स्थानों की जानकारी प्राप्त करना चाह रहे थे। जिसकी जानकारी मैंने दी। बताया गया कि राजकुमार ने जब होश संभाला तो सबसे पहले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के नाम का उच्चारण किया था। पहले तो किसी को कुछ समझ में नहीं आया। कुछ और बड़ा हुआ तो उसने बताया कि पिछले जन्म में उसने नालंदा के विवि में पढ़ाई की है। यह घटना सचमुच में काफी आश्चर्यजनक थी। जिस देश की भाषा हिदी न हो, वहां के नन्हे बालक के मुख से इसका शुद्ध उच्चारण सुन कर लोगों को काफी हैरानी हुई। राजपरिवार ने बालक को विलक्षण मानकर उसका पुनर्जन्म लेना स्वीकार किया। छह साल के इस राजकुमार ने जब पूर्व जन्म की बातें बतानी शुरू की तो लोग पहले काफी परेशान हुए। कितु उनके कथन में सच्चाई देख पूरा राजपरिवार पुनर्जन्म मानने को विवश हो गया। अब तो विज्ञान ने भी इन बातों को मान्यता देना शुरू कर दिया है। कहा जाता है कि नालंदा विश्वविद्यालय से संबंधित संरचनाओं के बारे में भी वे बताने लगे। यहां तक कि उन्होंने यह भी बताया कि पिछले जन्म में किस कमरे में पढ़ाई करते थे। पहले तो उसने काफी भागदौड़ कर कमरे का खंडहर खोजा। उसके बारे में जानकारी दी कि वह वहीं पढ़ता था। उसने अपना सोने वाला कमरा भी दिखाया। उनके साथ आए लोगों को भी जानकारी दी।