भूमि विवाद में गिरीं पांच लाशें: त्रिपल मर्डर कर काटी उम्रकैद, बाहर निकले तो भतीजे संग हत्या
करीब 22 साल पहले भूमि विवाद में तीन भाइयों की हत्या कर दी गई। घटना में बदले की आग जलती रही। इस कारण दोषी जब उम्रकैद काटकर लौटा तो उसकी भी एक अन्य आरोपित के साथ हत्या कर दी गई।
नालंदा [जेएनएन]। भूमि विवाद में 22 साल पहले चाचा-भतीजा ने तीन लोगों की हत्या कर दी। चाचा का दोष सिद्ध हुआ और उसने उम्रकैद की सजा काटी, जबकि भतीजा फरार हो गया। सजा काट कर जेल से निकले चाचा तथा भतीजा की एक साथ छठ के दिन हत्या कर दी गई। घटना बिहार के नालंदा स्थित राजगीर थाना क्षेत्र के धर्मपुरा गांव में हुई।
मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार की देर शाम उम्रकैद की सजा काटकर घर लौटे दीक्षा सिंह व उसके भतीजे संजीव सिंह की अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। घटना का आरोपित गांव का ही विजय सिंह है। दीक्षा सिंह का विजय सिंह से दो कट्ठा गैरमजरूआ जमीन पर कब्जा के लिए 22 साल पुराना भूमि विवाद था।
दो कट्ठा जमीन के विवाद में गिरीं थीं तीन लाशें
22 साल पहले विजय सिंह व दीक्षा सिंह के बीच इस जमीन को लेकर विवाद हुआ था। इसमें विजय सिंह के तीन भाईयों की हत्या कर दी गई थी। इस हत्याकांड में दीक्षा सिंह को उम्र कैद की सजा हुई तो हत्याकांड का दूसरा आरोपित संजीव सिंह फरार बताया जा रहा था।
उम्रकैद काट लौटा था घर, भतीजे संग हुई हत्या
डेढ़ साल पहले दीक्षा जेल से सजा काटकर लौटा था। इस बीच छठ को लेकर संजीव सिंह भी गांव आया हुआ था। कहा जा रहा है कि दीक्षा व संजीव छठ का सायंकालीन अर्घ्य देने घाट पर जा रहे थे कि घर से आगे पूर्व से घात लगाए विजय सिह ने अपने सहयोगियों के साथ उन्हें गोलियों से छलनी कर दिया।
10 के खिलाफ एफआइआर, सभी फरार
घटना के बाद लोगों में आक्रोश देखा जा रहा है। मृतकों के परिजनों ने विजय सिंह सहित 10 लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। सभी आरोपित फरार बताए जा रहे हैं। थानाध्यक्ष उदय शंकर ने बताया कि जांच चल रही है। आरोपितों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है। पुलिस गांव में कैंप कर रही है।
दो कट्ठा जमीन की खातिर गिरीं पांच लाशें
ग्रामीणों की मानें तो 1996 में दो कट्ठा गैरमजरूआ जमीन को लेकर विजय सिंह व दीक्षा सिंह के बीच विवाद हुआ था। 16 जून 1996 को विजय सिंह के तीन भाइयों रतन सिंह, अनुग्रह नारायण सिंह व विजनन्दन सिंह की हत्या कर दी गई थी। इसमें दीक्षा सिंह व संजीव सिंह को आरोपित किया गया था। दीक्षा सिंह को 20 साल की सजा हुई थी। उस हत्याकांड में दीक्षा सिंह के भतीजे संजीव सिंह का भी नाम था, जो फरार था। दीक्षा सिंह व संजीव सिंह की हत्या 22 साल पहले हुए हत्याकांड का बदला बताया जा रहा है।
हत्याकांड के बाद बिखर गया परिवार
ग्रामीणों ने बताया कि दीक्षा सिंह का बेटा अशोक सिंह 22 साल पहले हुए हत्याकांड के बाद गांव छोड़कर चला गया था। वह आर्मी में जाने की तैयारी कर रहा था, लेकिन हत्याकांड के बाद उसका सपना टूट गया। उसे गांव छोडऩा पड़ा।
मृतक दीक्षा सिंह की पत्नी मनोरमा देवी का रो-रोकर बुरा हाल है। उन्होंने बताया कि विजय सिंह की गुंदागर्दी से पूरा गांव तबाह था। गांव में आतंक उसका छाया हुआ था, जिसका विरोध उसके पति दीक्षा सिंह करते थे।
दीक्षा की पत्नी ने कहा कि अशोक उनका इकलौता बेटा है। वह पटना में रहता है। अगर आरोपितों की गिरफ्तारी जल्द नहीं होगी तो वे लोग उसे भी मार देंगे।
गिर सकतीं हैं कई और लाशें
अगर प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो इस भूमि विवाद में कई और लाशें गिर सकती हैं। ग्रामीणों ने ऐसी आशंका जताई है। घटना के बाद से गांव में सन्नाटा पसरा है।