पिता फेरी लगाते, मां जांता पर सत्तू पीसती, बेटी सोनाली इंटर साइंस में स्टेट टॉपर

बिहारशरीफ। ठेले पर फल व सब्जी की फेरी लगाने वाले चुन्नू लाल और जांता पर सत्तू-बेसन पीसने वाली मां सावित्री देवी सूबे के सबसे गौरवशाली पिता व मां बन गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 27 Mar 2021 12:20 AM (IST) Updated:Sat, 27 Mar 2021 12:20 AM (IST)
पिता फेरी लगाते, मां जांता पर सत्तू पीसती, बेटी सोनाली इंटर साइंस में स्टेट टॉपर
पिता फेरी लगाते, मां जांता पर सत्तू पीसती, बेटी सोनाली इंटर साइंस में स्टेट टॉपर

बिहारशरीफ। ठेले पर फल व सब्जी की फेरी लगाने वाले चुन्नू लाल और जांता पर सत्तू-बेसन पीसने वाली मां सावित्री देवी सूबे के सबसे गौरवशाली पिता व मां बन गए हैं। गौरव की वजह बेटी सोनाली बन गई है। बिहारशरीफ के मथुरिया मोहल्ला स्थित परमेश्वरी देवी माध्यमिक उच्च विद्यालय की इस छात्रा ने इंटर परीक्षा के विज्ञान संकाय में कुल पांच सौ अंक में 471 अंक लाकर स्टेट टॉप किया है। सोनाली के स्कूल के प्राचार्य संतोष कुमार ने बताया कि वह स्कूल की सबसे मेधावी छात्रा रही है। मैट्रिक में भी स्कूल टॉप किया था। स्कूल में उसकी उपस्थिति शत फीसद रही है।

सोनाली आज सूबे के तमाम गरीब परिवार की संतानों की प्रेरणास्त्रोत बन गई है। अगर दृढ़ संकल्प हो तो अभाव सफलता के आड़े नहीं आता। सोनाली का परिवार बिहारशरीफ के शेरपुर मोहल्ले के चमन गली मोहल्ला में बीते 40 साल से किराए के मकान में रह रहा है। पिता चुन्नु लाल ठेले पर फल-सब्जी की फेरी लगाते हैं। वहीं, मां सावित्री देवी गृहिणी हैं और घर में ही जांता पर सत्तू व बेसन बेचकर तीन संतानों के भरण-पोषण व पढ़ाई-लिखाई में सहयोग करती हैं। सोनाली बड़ी बहन व छोटा भाई भी पढ़ाई में अच्छे हैं। बड़ी बहन सुरभि कुमारी बीएससी पार्ट वन में है। जबकि, छोटे भाई प्रिस कुमार को दसवीं के रिजल्ट का इंतजार है।

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सोनाली ने सफलता का श्रेय शिक्षक व मां-पिता को दिया

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जागरण टीम सोनाली के घर पहुंची तो वहां जश्न का माहौल था। बधाई देने वालों का तांता लगा था। मिठाइयां बांटी जा रही थी। मां, पिता, भाई व बहन खुशी से फूले नहीं समा रहे थे। सोनाली के पिता के मोबाइल पर शिक्षक, शिक्षा विभाग के अधिकारियों व मीडिया प्रतिनिधियों की कॉल का तांता लगा था। परेशान होकर उन्होंने मोबाइल सोनाली को ही दे दिया था। सोनाली भी पूरे आत्मविश्वास के साथ सबसे बात कर रही थी। इसी बीच जागरण के एक सवाल के जवाब में अपनी सफलता का श्रेय मां-पिता, ट्यूशन देने वाले शिक्षक व स्कूल के सभी शिक्षकों को दिया है। कहा कि अभाव में रहने के बावजूद माता-पिता ने कभी किसी चीज की कमी का अहसास नहीं होने दिया। मेरी सफलता ही उनका रिटर्न गिफ्ट है।

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लक्ष्य तय कर हर दिन करती थी चार से पांच घंटे पढ़ाई

सोनाली ने बताया कि दसवीं की परीक्षा में वह कुछ ही अंकों से स्टेट टॉपर होने से चूक गई थी। इसलिए इस बार ठान लिया था कि हर हाल में टॉपर बनना है। इसी लक्ष्य को लेकर हर दिन किसी टॉपिक को तय कर चार से पांच घंटे तक पढ़ाई करती रही। जब तक अद्याय को पूरी तरह समझ नहीं लेती थी, तब तक आगे नहीं बढ़ती थी। शिक्षक आदित्य राज का मार्गदर्शन मिलता रहा।

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सफलता के लिए लक्ष्य का निर्धारण करना जरूरी

सोनाली ने बताया कि किसी भी परीक्षा में सफलता के लिए सबसे पहले अपने लक्ष्य का निर्धारण करना होता है। यदि लक्ष्य आधारित पढ़ाई की जाए तो सफलता जरूर मिलेगी। बिना लक्ष्य हासिल किए कुछ नहीं मिल सकता। लॉकडाउन का भरपूर इस्तेमाल स्वाध्याय में किया। ऑनलाइन क्लास करती रही। इसी कारण आज यह सफलता मिल सकी।

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सिविल सर्विसेस में जाने की है इच्छा

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सोनाली ने कहा कि आगे की पढ़ाई जारी रखते हुए वह सिविल सर्विसेज में जाना चाहती है। अधिकारी बनकर समाज की सेवा करना चाहती है। कहा, समाज को यह दिखाना चाहूंगी कि गरीब की बेटी भी देश के सबसे बड़े पद को हासिल कर सकती है। यदि मैं ऐसा करने में सफल हो गई तो समाज को बड़ा संदेश जाएगा। गरीब परिवार के बच्चे भी बड़ा लक्ष्य तय करने में संकोच नहीं करेंगे।

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