मिशन हरियाली के प्रयास से जिले में बिछने लगी हरियाली की चादर
बिहारशरीफ। पेड़-पौधे इंसान के लिए उतने ही जरूरी हैं जितने हवा और पानी। बावजूद हमने अब तक इसकी उपयोगिता नहीं समझी है। पिछले कुछ वर्षों में हमने पौधे लगाने से अधिक वृक्षों की कटाई की है जिसका मूल्य हमें तीव्र गर्मी कड़ाके की ठंड तथा बेमौसम बारिश के रूप में चुकानी पड़ रही है।
बिहारशरीफ। पेड़-पौधे इंसान के लिए उतने ही जरूरी हैं जितने हवा और पानी। बावजूद हमने अब तक इसकी उपयोगिता नहीं समझी है। पिछले कुछ वर्षों में हमने पौधे लगाने से अधिक वृक्षों की कटाई की है, जिसका मूल्य हमें तीव्र गर्मी, कड़ाके की ठंड तथा बेमौसम बारिश के रूप में चुकानी पड़ रही है। साथ ही अनगिनत बीमारियां भी हमारे गले पड़ रही है। हमारे जिले में भी पर्यावरण की स्थिति दुरुस्त नहीं हैं। पर्यावरण की बिगड़ी स्थिति को सुधारने के लिए नूरसराय मिशन हरियाली लगातार काम कर रही है। पिछले चार वर्षो में मिशन ने छह लाख से अधिक पौधे लगाकर उसने न केवल एक कीर्तिमान स्थापित किया है बल्कि मिशन सदस्यों के कार्य लोगों को एक बड़ी सीख भी दे जाते हैं। इसे मिशन का ही योगदान कहा जा सकता है कि जिले का हर वर्ग ऐसे मौके की तलाश में रहता है जिस मौके पर पौधारोपण अथवा पौधा वितरण किए जा सके। बुधवार को नूरसराय के दरूआरा, चंडी के राजन बिगहा, पटना के बेलछी प्रखंड के जोधनबिगहा में कुल एक हजार 300 पौधे वितरित किए गए। अधिकतर पौधे कटहल, अमरूद, आम तथा अनार के थे। इस संबंध में मिशन हरियाली के सचिव राजीव रंजन ने कहा कि अपने 30 सदस्यीय टीम के हौसले देखकर लगता है कि बहुत जल्द हम जिले में हरियाली की संपूर्ण चादर बिछा पाएंगे। उन्होंने मिशन के संरक्षक डॉ. अरूण कुमार के हौसले तथा जज्बे की भी तारीफ की। इंसान इसकी भारी कीमत चुका भी रहा है। उसे प्रदूषण के साथ जीना पड़ रहा है। अनगिनत बीमारियां गले पड़ रही हैं। लेकिन अब इंसान को अपनी ग़लती का एहसास हो गया है। नए पेड़ पौधे लगाकर वो अब कुदरत का कर्ज उतार रहा है।
साथ ही शहरों का प्रदूषण कम करने का प्रयास भी किया जा रहा है। दिल्ली हो, लंदन हो या पेरिस, दुनिया के तमाम शहरों में हरियाली बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। लेकिन सभी पेड़ या पौधे एक समान स्तर पर प्रदूषण खत्म नहीं करते, इसके लिए पहले ये जानना जरूरी है कि कहां किस स्तर का प्रदूषण है और फिर उसके मुताबिक ही वहां पेड़ लगाए जाएं। साथ ही ये समझना भी जरूरी है कि पेड़ हवा की गुणवत्ता बेहतर करते हैं, न कि हवा को पूरी तरह साफ करते हैं। हवा स्वच्छ बनाने के लिए जरूरी है कि कार्बन उत्सर्जन कम से कम किया जाए।