बुद्ध की शिक्षा सिर्फ पढ़े व पढ़ाए ही नहीं, अनुकरण भी करें : कुलसचिव
बिहारशरीफ। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय सह मगध एवं पटना विवि के कुलसचिव डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा है पूरी दुनिया को ज्ञान की रोशनी से अवलोकित करने वाले भगवान बुद्ध की शिक्षा को पढ़ने से अधिक उन्हें समझ कर अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। पूरी दुनिया की अशांति और मनुष्य की दुख-तकलीफ का निवारण उनके ज्ञान - दर्शन में है। उनका मध्यम मार्ग सभी दुखों का शमन करता है।
बिहारशरीफ। पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय सह मगध एवं पटना विवि के कुलसचिव डॉ. जितेंद्र कुमार ने कहा है पूरी दुनिया को ज्ञान की रोशनी से अवलोकित करने वाले भगवान बुद्ध की शिक्षा को पढ़ने से अधिक उन्हें समझ कर अपने जीवन में उतारने की जरूरत है। पूरी दुनिया की अशांति और मनुष्य की दु:ख-तकलीफ का निवारण उनके ज्ञान - दर्शन में है। उनका मध्यम मार्ग सभी दुखों का शमन करता है। वे मंगलवार को बुद्ध जयंती की पूर्व संध्या पर नालंदा कॉलेज एवं पटना ट्रेनिग कॉलेज पूर्ववर्ती छात्र संघ के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित 'बुद्ध की शिक्षा' विषयक राष्ट्रीय वेबिनार का उद्घाटन कर रहे थे। वेबिनार में विषय प्रवर्तन करते हुए मुख्य वक्ता नालंदा कॉलेज दर्शनशास्त्र विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. प्रभास कुमार ने कहा कि बुद्ध की शिक्षा ऐतिहासिक, दार्शनिक और धार्मिक तीन भागों में विभक्त है। बुद्ध ने प्रजातंत्र पर आधारित शिक्षा को लोकभाषा के माध्यम से जन-जन तक पहुंचाया। उन्होंने व्यावसायिक शिक्षा, स्त्री शिक्षा और तकनीकी शिक्षा को अधिक महत्व दिया। अध्यक्षता करते हुए नालंदा कॉलेज की प्राचार्य प्रो. (डॉ.) श्यामा राय ने कहा कि बुद्ध की शिक्षा 'अप्प दीपो भव:' के संदेश में समाहित है। उनका मानना है कि हम किसी और के नहीं, बल्कि अपने प्रकाश से प्रकाशित हों। उन्होंने ज्ञान और मुक्ति के लिए औरों की शरण में जाने के बजाय अपनी ही शरण में जाने को कहा। नालंदा कॉलेज के बीएड विभाग के अध्यक्ष डॉ. ध्रुव कुमार ने कहा कि बुद्ध ने कहा कि जीवन में दुख है, तो दुख का कारण है और कारण है तो उसका निवारण भी है। उन्होंने दुख दूर करने के लिए आठ सूत्री मार्ग बताएं, जिसे अष्टांग मार्ग कहा गया है। इस अष्टांग मार्ग के अनुसरण में ही विश्व का कल्याण है। की-नोट ऐड्रेस करते हुए पटना ट्रेनिग कॉलेज, पटना विश्वविद्यालय के प्राचार्य प्रो. (डॉ.) आशुतोष कुमार ने कहा कि भगवान बुद्ध दुखों से मुक्ति व मोक्ष के लिए जिस राह का अपनाने के लिए कहते हैं वह मार्ग घृणा, ईष्र्या, आलस्य, लालच और विरक्ति से होकर गुजरती है। तुर्की टीचर्स ट्रेनिग कॉलेज, मुजफ्फरपुर के एमएड विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार वर्मा ने कहा कि बुद्ध के अनुसार व्यक्तिगत इच्छाओं का त्याग मनुष्य के जीवन में सुख समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त करती है। क्योंकि, इच्छाएं मनुष्य को स्पष्ट नहीं देखने देती और न ही शांत रहने देती है। ब्रह्मानंद टीचर्स ट्रेनिग कॉलेज, दरभंगा (ललित नारायण मिथिला विवि) के प्राचार्य डॉ. कुमार संजीव ने कहा कि भगवान बुद्ध ने हमेशा मध्यमार्गी जीवन जीने का उपदेश दिया। यानी न अति की निमग्नता और न अति की विरक्तता। वेबीनार में नालंदा खुला विश्वविद्यालय की डॉ पल्लवी, सिद्धू कानू, हजारीबाग विश्वविद्याल के डॉ तनवीर यूनुस, तुर्की टीचर्स ट्रेनिग कॉलेज की विभाग भारती, मानू, केंद्रीय वि वि,आसनसोल, प. बंगाल के डॉ. नेहाल अहमद, भागलपुर डाइट के डॉ. रवि मंडल, नूरसराय नालंदा डाइट के प्रो. सरफराज आलम, नालंदा कॉलेज के डॉ. रंजन कुमार, डॉ. राजेश कुमार, कृति स्वराज, डॉ. मंजू कुमारी, इतिहास विभाग के अध्यक्ष डॉ. रत्नेश अमन, भागलपुर से डॉ. जय शंकर प्रसाद ने भी अपने विचार व्यक्त किए। धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मी नारायण कॉलेज भगवानपुर, वैशाली ( बिहार विवि) बीएड विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. गौतम झा ने किया।