कोरोना से बचाव का जतन, जड़ों की ओर लौट रहा वतन

कोरोना संक्रमण ने देश को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा नुकसान पहुंचाया है। हर तरफ नकारात्मकता का माहौल है। परन्तु स्वदेशी अपनाने व आत्मनिर्भरता समेत कई सकारात्मक सोच भी विकसित हो रही हैं। इन्हीं में से एक वैदिक काल का वास्तु शास्त्र है। जिसे जानने समझने व अपनाने की ललक समाज के हर वर्ग में बढ़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 12 Aug 2020 05:47 PM (IST) Updated:Wed, 12 Aug 2020 06:10 PM (IST)
कोरोना से बचाव का जतन, जड़ों की ओर लौट रहा वतन
कोरोना से बचाव का जतन, जड़ों की ओर लौट रहा वतन

बिहारशरीफ: कोरोना संक्रमण ने देश को आर्थिक मोर्चे पर बड़ा नुकसान पहुंचाया है। हर तरफ नकारात्मकता का माहौल है। परन्तु स्वदेशी अपनाने व आत्मनिर्भरता समेत कई सकारात्मक सोच भी विकसित हो रही हैं। इन्हीं में से एक वैदिक काल का वास्तु शास्त्र है। जिसे जानने, समझने व अपनाने की ललक समाज के हर वर्ग में बढ़ी है। लोग खाली वक्त में ऑनलाइन क्लासेज करके वास्तु के जीवन के हर क्षेत्र में पड़ने वाले प्रभावों के बारे में प्रमाणिक जानकारी हासिल कर रहे हैं। आल इंडिया फेडरेशन ऑफ एस्ट्रोलॉजर्स सोसाइटी के वास्तुविद गूगल जूम पर ऐसी ही कक्षाएं आयोजित कर रहे हैं। शिक्षक की भूमिका में फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ अरुण बंसल व उपाध्यक्ष प्रमोद कुमार सिन्हा हैं। ये बताते हैं कि वास्तुकला व वास्तुशास्त्र किसी भूखंड के गृह निर्माण के लिए चयन व गृह निर्माण की मार्गदर्शिका है। यह ह•ारों वर्ष पुराने वैदिक काल विशुद्ध भारतीय विज्ञान है। मुगलों व अंग्रेजों के शासनकाल में वास्तुशास्त्र को धीरे-धीरे आम व्यवहार से दूर कर दिया गया। दोनों शासकों ने अपनी स्थापत्य शैली को भारत पर थोप दिया। आज वक्त आ गया है कि हम अपने पूर्वजों के ज्ञान को अंगीकार करें। क्योंकि वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों पर बने घर में रहने से सुख-शांति, निरोगी जीवन, धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति सम्भव है। इसका आधार वैज्ञानिक व प्रकृति आधारित है। जैसे वास्तुशास्त्र कहता है कि किसी भी बहुमंजिला भवन की हर छत की ऊंचाई क्रमश: घटती जानी चाहिए। इस सिद्धांत पर बने देश के अनेक मंदिर भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बावजूद अडिग खड़े हैं। सबसे बड़ी बात यह कि वास्तु विज्ञान बाध्यकारी नहीं हैं। अगर कोई भवन वास्तु के विपरीत बने हुए हैं तो बिना तोड़-फोड़ किए कुप्रभावों को कम करने के उपाय भी बताए गए हैं।

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जानें क्या कहते हैं प्रशिक्षु

.वास्तु का व्यवहारिक ज्ञान हासिल कर करूंगी इस्तेमाल : डॉ मंजु श्री

फोटो 15 अनुग्रह नारायण मेडिकल कॉलेज की रिटायर प्रिसिपल डॉ. मंजु श्री ने बताया कि 2007 में उनका कार्यकाल पूरा हुआ। शुरू से वास्तुकला के बारे में जानने की जिज्ञासा रही। इस कारण 2002 में ही एआईएफएस के एस्ट्रोलॉजिकल प्वाइंट के गया चैप्टर से वास्तु रत्न की पढ़ाई की थी। परन्तु अपने चिकित्सीय पेशे की व्यस्तता के कारण वास्तुकला का व्यवहारिक ज्ञान नहीं ले सकी। अब फुर्सत में हूं। ऐसे में गूगल मीट पर प्रमोद सिन्हा से वास्तुकला की उपयोगिता व बारीकियां जानने के अवसर का लाभ उठा रही हूं। अब वास्तुशास्त्र के ज्ञान का इस्तेमाल अपने और आस-पड़ोस के लोगों के लिए कर सकूंगी।

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वास्तु के ज्ञान में पूरा जीवन बदलने की क्षमता: श्वेता

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श्वेता सिन्हा गुजरात के गांधीनगर में प्राइवेट स्कूल की शिक्षिका हैं। कहती हैं, वास्तु शास्त्र के ज्ञान में पूरा जीवन बदलने की क्षमता है। इसके सहारे काफी नाम कमाया जा सकता है। वे जानकारी के लिहाज से वास्तुशास्त्र की ऑनलाइन पढ़ाई कर रही हैं।

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पंचतत्वों से बनी सृष्टि के अनुकूल भवन निर्माण ही वास्तुशास्त्र: राममनोहर

फोटो 13 बेंगलुरु में व्यापार विश्लेषिकी प्रबंधक राम मनोहर भी पौराणिक विद्या वास्तुशास्त्र के कायल हैं। कहते हैं, इस प्रतिस्पर्धी दुनिया में हम वैदिक ज्ञान को भूल गए हैं। परन्तु आज भी वास्तु शास्त्र और ज्योतिष का मनुष्यों पर उतना ही प्रभाव है, जितना पहले था। पंचतत्वों से बनी सृष्टि के अनुकूल भवन निर्माण की कला का नाम ही वास्तुशास्त्र है। इसी कारण वास्तु की ऑनलाइन क्लास कर रहा हूं।

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सरल भाषा में सीखने का मिल रहा अवसर: श्याम मनोहर

गया निवासी श्याम मनोहर ने हाल ही में सिविल इंजीनियरिग की पढ़ाई पूरी की है। कहा, आजकल लोग वास्तु के हिसाब से घर बनाने की मांग करते हैं। इस कारण क्लास कर रहा हूं, ताकि वास्तु की जानकारी का व्यवसायिक इस्तेमाल कर सकूं।

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वास्तु के बारे में जान रहा हूं, ताकि दूसरों के डाउट दूर कर सकूं: रजनीश

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रजनीश कुमार सिविल इंजीनियर हैं। कहते हैं, आजकल मकान बनवाने वाले लोग वास्तु से सम्बंधित काफी पूछताछ करते हैं। इस बारे में जानकारी रहेगी, तभी तो दूसरों के डाउट दूर कर सकूंगा।

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सुख-समृद्धि के लिए ले रहा जानकारी: प्रफुल्ल

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उड़ीसा के प्रफुल्ल कुमार भोई ने कहा कि वे अपनी सुख-समृद्धि के लिए वास्तु शास्त्र का ज्ञान ले रहे हैं। कक्षा में प्रमोद सर इतने सरल तरीके से समझाते हैं कि इस ज्ञान का व्यवहारिक प्रयोग आसान लगने लगा है।

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वास्तु में बदलाव कर कई लोग व्यापार की बुलंदी पर: एसआर सिंह

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एसआर सिंह बीएसएनएल के सेवानिवृत्त पदाधिकारी हैं। कहते हैं, कई लोगों को उनकी दुकान व प्रतिष्ठान में वास्तु अनुरूप बदलाव के बाद सफलता की बुलंदी पर चढ़ते देखा है। ऐसे ही एक जगह कंसल्टेंट के तौर पर आए प्रमोद जी से मुलाकात हुई थी। मुझे भी लगा कि वास्तु के बारे में जानना चाहिए। इसलिए क्लास ज्वाइन करके लॉक डाउन का सदुपयोग कर रहा हूं।

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वास्तु अनुरूप बने मंदिर में बैठने पर मिलता है सुकून: मनोज

फोटो 07 मनोज कुमार फार्माकोलॉजिस्ट हैं। कहते हैं, दक्षिण भारत में 15 साल रहा। इस दौरान वहां के कई प्राचीन राजमहलों व मंदिरों में गया, जिनकी संरचना वास्तु अनुरूप थी। वहां बैठने पर अजीब सी शांति महसूस की। स्पष्ट है, अगर घर भी वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार बनेगा तो उसमें रहने वाले लोग मानसिक शांति महसूस करेंगे। वास्तु के सिद्धांतों के बारे में भरम दूर करने के लिए वास्तु की बारीकियां जान रहा हूं।

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पूरे परिवार के सुखी जीवन के लिए सीख रहा: शंकरदयाल

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प्रमोद जी के बताने की सरल शैली से प्रभावित होकर वास्तु की कक्षा ज्वाइन की है। यह वैदिक काल का ज्ञान है। इसके सही इस्तेमाल से परिवार के हर सदस्य का जीवन सुखमय बनाया जा सकता है।

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साइंस और ज्योतिषी का अछ्वुत संगम है वास्तु: अनहत विक्रम

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अनहत विक्रम सिविल प्लानिग इंजीनियर हैं। हर बात को तर्क और विज्ञान की कसौटी पर कसना स्वभाव में हैं। कहते हैं, बीच के दौर में वास्तु की चर्चा खत्म हो गई थी। परन्तु अब लोग फिर से इस प्राचीन ज्ञान की ओर लौट रहे हैं। वास्तु के अनुसार ही घर व प्रतिष्ठान बनवाना चाहते हैं। इसलिए बकायदा वास्तु की क्लास कर रहे हैं। ताकि क्लाइंट की हर जिज्ञासा का तार्किक हल दे सकूं।

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मेरे हर सवाल का वैज्ञानिक जवाब है वास्तु: डॉ सीमा

फोटो 05 डॉक्टर सीमा प्रसाद पांडेय गया मिलिट्री हॉस्पीटल से रिटायर हैं। कहती हैं, मेरा पेशागत गुण है, सवाल बहुत करती हूं। जब तक जवाब से संतुष्ट नहीं होती, तब तक किसी बारे में कोई धारणा नहीं बनाती। प्रमोद जी ने वास्तु के ज्ञान को अपने रिसर्च के आधार पर वैज्ञानिक तथ्य के साथ प्रस्तुत किया है। इनके पास मेरी हर जिज्ञासा का जवाब है, इसलिए वास्तु की क्लास कर रही हूं। ताकि योग्यता के एक और क्षेत्र में मेरी दखल हो सके।

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