राजकीय राजगीर महोत्सव 2021 के आयोजन पर कोरोना का ग्रहण

बिहार पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली तीन दिवसीय राजकीय राजगीर महोत्सव 2021 का इस बार आयोजन पर भी कोरोना का ग्रहण लग सकता है। बीते वर्ष 2020 में भी कोरोना के कारण आयोजन नहीं किया जा सका था।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 16 Nov 2021 11:10 PM (IST) Updated:Tue, 16 Nov 2021 11:10 PM (IST)
राजकीय राजगीर महोत्सव 2021 के आयोजन पर कोरोना का ग्रहण
राजकीय राजगीर महोत्सव 2021 के आयोजन पर कोरोना का ग्रहण

पेज चार नोट : फाइल संख्या 12 का संशोधित

संवाद सहयोगी, राजगीर : बिहार पर्यटन विकास निगम लिमिटेड द्वारा हर साल आयोजित की जाने वाली तीन दिवसीय राजकीय राजगीर महोत्सव 2021 का इस बार आयोजन पर भी कोरोना का ग्रहण लग सकता है। बीते वर्ष 2020 में भी कोरोना के कारण आयोजन नहीं किया जा सका था। बता दें कि महोत्सव की निर्धारित तिथि 25, 26 व 27 नवंबर रही है। राजगीर महोत्सव से संबंधित तैयारियों को लेकर बैठकों का सिलसिला, आयोजन के एक माह पूर्व से ही शुरू हो जाती थी। जिसमें बिहार पर्यटन विकास निगम लिमिटेड के अलावा जिला प्रशासन, अनुमंडल प्रशासन सहित सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों और पदाधिकारियों की बैठकों का दौर जारी रहता था। जबकि आगामी 25, 26 व 27 नबंवर की उल्टी गिनती शुरू है। मगर अभी तक इस बाबत तैयारियों की सुगबुगाहट नजर नहीं आ रही। महोत्सव में सात दिवसीय ग्राम श्री मेला, व्यंजन मेला, कृषि मेला, फन जोन, लोक कला प्रदर्शनी, लघु उद्योग हस्तनिर्मित व कुटीर उद्योग आदि के स्टाल लगाने वालों को रोजगार मिलता था। जिसमें उन्हें अच्छी खासी आमदनी हो जाया करती थी। वहीं मंच से बालीवुड के नामी गिरामी प्ले बैक सिगर के अलावे नृत्य संगीत के विश्वप्रसिद्ध कलाकारों द्वारा जादूई शमां और सांस्कृतिक संध्या से लोग रु ब रु नहीं हो पाएंगे। फिर भी जागरण ने अपने पाठकों को शुभारंभ से लेकर अभी तक के राजगीर महोत्सव के सफरनामा को पेश कर उनकी याद को ताजा कराने का छोटा सा प्रयास किया है। जिसमें राजगीर महोत्सव के उन खट्टे मीठे यादों का रोमांचक उतार चढाव शामिल है। राजगीर महोत्सव की परिकल्पना खजुराहो नृत्य महोत्सव से प्रभावित होकर पर्यटन विभाग ने, पर्यटकों को अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर के पर्यटन के प्रति आकर्षित करने के लिए राजगीर महोत्सव का आयोजन किया था। जिसका उदघाटन सन् 04 मार्च 1986 में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री बिदेश्वरी दूबे, राज्य शिक्षा मंत्री सुरेंद्र प्रसाद तरुण व पर्यटन विभाग के मंत्री एच के एल भगत ने संयुक्त रूप से किया था। यह प्रथम महोत्सव भूतपूर्व राज्य शिक्षा मंत्री सुरेंद्र प्रसाद तरुण के अथक प्रयास से नालंदा को एक तोहफा था। जिसमें उन्होंने पंच पर्वत श्रृंखलाओं के नैसर्गिक प्राकृतिक सौंदर्य के सानिध्य में पौराणिक समृद्धशाली मगध साम्राज्य के सम्राट राजा जरासंध आदि राजशाही परंपरा के अलावे सर्वधर्म समभाव, मैत्री, करुणा, शांति आदि से लबरेज दर्शनीय स्थलों का व्यापक प्रचार प्रसार की मंशा थी। प्रथम महोत्सव भारतीय नृत्य कला मंदिर तथा पर्यटन विकास निगम के साझा प्रयास से प्रारंभ हुआ था। जिसका नाम राजगीर नृत्य महोत्सव रखा गया। तत्पश्चात लगातार द्वितीय राजगीर नृत्य महोत्सव 03 मई 1987, तृतिय नृत्य महोत्सव 1988 मे 25 से 27 फरवरी तक हुआ। मगर 1989 मे लगातार दो बार क्रमश: 10 से 12 मार्च तथा 03 से 05 नवंबर तक मनाया गया। और इसी वर्ष से इसका नाम राजगीर महोत्सव कर दिया गया। यह महोत्सव प्रारंभ से लेकर 1989 तक राजगीर शहर से 5 किमी दूर स्थित चंद्रवंशियों के कुलदेवता व मगध सम्राट जरासंध के अखाड़े के समीप स्थित सोन भंडार परिसर में आयोजित होता रहा। इस स्थल का चयन इसलिए किया गया था, ताकि राजगीर के ऐतिहासिक पृष्ठभूमि को रेखांकित किया जा सके। परंतु शहर से सुदूरवर्ती वनक्षेत्र में आयोजन स्थल के कारण दर्शक वहां पहुंच नहीं पाते थे। बिहार सरकार, पर्यटन विकास निगम तथा तत्कालीन राज्य शिक्षा मंत्री सुरेन्द्र प्रसाद तरुण के अथक प्रयास से इस महोत्सव को सफलता प्राप्त नहीं हो पाई। नतीजतन 1989 के बाद राजगीर महोत्सव के आयोजन पर ग्रहण लग गया। पुन: सन् 1995 मे राजगीर महोत्सव को पुनर्जीवित करने का प्रयास तत्कालीन नालंदा जिलाधिकारी डा दीपक प्रसाद की पहल से हुआ। बिल्कुल नये परिवर्तित स्वरुप में मलमास मेला परिसर स्थित यूथ होस्टल मैदान के मुक्ताकाश मंच पर राजगीर महोत्सव का आयोजन 24 से 26 अक्तूबर के बीच आयोजित हुई। यही तिथि भविष्य में आयोजित होने वाले महोत्सव के लिए भी तय कर दी गई। राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों के जमावड़ा लगने से यह महोत्सव एकाएक नई चमक दमक के साथ देशी विदेशी पर्यटकों के अलावे सभी वर्ग के लोगों को अपनी ओर खींचने में जो सफलता प्राप्त की। 1997 के महोत्सव मे सोनल मानसिंह, माध्वी मुदगल व कमलिनी ही नहीं बल्कि फिल्मी मायानगरी की स्वप्न सुंदरी अभिनेत्री हेमा मालिनी ने बेहतरीन प्रस्तुति देकर अपनी कला से देशी विदेशी पर्यटक व दर्शकों का मन मोह लिया। इसी प्रकार से 1998 में विश्व विख्यात बांसुरी वादक पंडित हरि प्रसाद चौरसिया, सुविख्यात भजन सम्राट अनूप जलोटा व फिल्म अभिनेत्री अर्चना जोगलेकर ने राजगीर महोत्सव के आकर्षण और विकास में सार्थक भूमिका निभाई। 2010 में तत्कालीन जिलाधिकारी संजय अग्रवाल ने अपने रचनात्मक ²ष्टिकोण से महोत्सव स्थल के लिए अजातशत्रु के किला मैदान का चयन करते हुए सभी कार्यक्रम स्थल को समेटकर इसे मेले का रूप दे दिया। तब एक बार पुन: लड़खड़ाता राजगीर महोत्सव आनंद का खजाना साबित हुआ। जिसमें भोजपुरिया गायकों को भी जोड़ा गया। राजगीर महोत्सव 2018 में बालीवुड की सुप्रसिद्ध पा‌र्श्वगायिका अनुराधा पौडवाल व उनकी सुपुत्री कविता पौडवाल ने अपनी आवाज शाम सुरमयी बनाईं थी। जबकि 2019 के महोत्सव की मंच की शाम ग़•ाल सम्राट पंकज उद्यास के नाम रही थी। यहां बता दें कि इससे पहले भी पंकज उद्यास राजगीर महोत्सव में शिरकत कर चुके हैं। महान सांस्कृतिक संध्या का रूप धारण कर चुके राजगीर महोत्सव 2021 के आयोजन की अधिकारिक सूचना अभी तक जारी नहीं किया गया है।

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