बारिश में औंधे मुंह डूबे नगर निगम के नालों की सफाई के दावे
बिहारशरीफ। स्मार्ट बनते इस शहर की सबसे बड़ी समस्या जल- निकासी की है। मंगलवार को जमकर वर्षा हुई नहीं कि शहर में बाढ़ सरीखा नजारा दिखने लगा। फिर भी नगर निगम प्रशासन का दावा है कि सारे नाले साफ कर दिए गए हैं। शहर के निचले इलाकों को छोड़ जल-निकास की कहीं कोई समस्या नहीं है। ऐसे में अदम गोंडवी की यह पंक्तियां मौजूं लगने लगीं।
बिहारशरीफ। स्मार्ट बनते इस शहर की सबसे बड़ी समस्या जल- निकासी की है। मंगलवार को जमकर वर्षा हुई नहीं कि शहर में बाढ़ सरीखा नजारा दिखने लगा। फिर भी नगर निगम प्रशासन का दावा है कि सारे नाले साफ कर दिए गए हैं। शहर के निचले इलाकों को छोड़ जल-निकास की कहीं कोई समस्या नहीं है। ऐसे में अदम गोंडवी की यह पंक्तियां मौजूं लगने लगीं। तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर यह आंकड़े झूठे हैं और दावा किताबी है।
शहर का टेलीफोन एक्सचेंज रोड हो या रांची रोड के कुछ हिस्से या फिर पुलपर, गढ़पर, बिचली खंदक या देकुली घाट हर जगह की स्थिति डरावनी है। जल-जमाव की इस स्थिति का कारण अधिकारी मुकम्मल ड्रेनेज सिस्टम का न होना मानते हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों की मान्यता इससे बिल्कुल उलट है। सोमवार को नगर निगम बोर्ड की बैठक में भी कई पार्षदों ने शहर में जल-जमाव की समस्या को बड़ी गंभीरता से उठाया था। वार्ड पार्षद नीरज भान ने तो यहां तक कह दिया कि सब कागजों का खेल है। नालों की सफाई के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति हुई है। शहर के अधिकांश नाले में जाम हैं।
सिटी मैनेजर ने कहा-ड्रेनेज सिस्टम ही डिफेक्टिव
सिटी मैनेजर राजीव कुमार शहर में जल-जमाव का कारण डिफेक्टिव ड्रेनेज स्ट्रक्चर को मानते हैं। कहते हैं, नालों का निर्माण कई भोगों में विभिन्न कंपनियों द्वारा किए जाने से नाले को सही ढलान नहीं मिल पाया है। जिसके कारण शहर में जल-जमाव की स्थिति है।
झींगनगर ने तालाब भरकर घर बना रहे, तैरता दिखा देकुली घाट
मंगलवार को बारिश के तुरंत बाद जागरण टीम नगर निगम के दावे की पड़ताल करने निकल पड़ी। स्थिति हैरान करने वाली थी। नजर जहां भी गई जल-जमाव दिखा। अंतिम छोर वार्ड 46 के झींगनगर मोहल्ले के अधिकांश घरों पानी घुसा दिखा। पूछने पर पता चला कि जिस तालाब में घरों का पानी गिरता है, उसकी कभी उड़ाही नहीं की गई। निगम की अनदेखी के कारण दबंग लोग इस तालाब को भरकर इसे निजी संपत्ति बनाने में जुटे हैं। एसडीओ से लेकर सीओ तक को आवेदन दिया गया लेकिन तालाब के अतिक्रमण रोकने में किसी ने रुचि नहीं दिखाई। आधे घंटे से भी कम की बारिश में देकुली घाट बिचली खंदक का पूरा भाग डूबा दिखा। वहीं कई घरों में नाली का पानी प्रवेश करने के कारण लोग परेशान रहे।
जल-जीवन-हरियाली योजना भी नहीं बदल सकी तालाबों की तकदीर
नालियों की सफाई की कमी, ड्रेनेज सिस्टम का सही न होना सहित तालाबों का अतिक्रमण जल-जमाव का बड़ा कारण है। शहर के अधिकांश तालाब पर आज बड़ी-बड़ी इमारतें खड़ी हैं। अतिक्रमण के वक्त लोगों ने यह नहीं सोचा कि वर्षा का जल तथा नालियों का गंदा जल आखिर कहां गिरेगा। तालाबों के भरे जाने से जल निकासी आज अवरूद्ध है। वहीं बचे तालाबों पर भी न तो मत्स्य विभाग का ध्यान है और न ही निगम तालाबों की सफाई कराना चाहता है। हैरत की बात तो यह है कि सरकार की जल-जीवन-हरियाली योजना भी इन तालाबों को बचाने में अब तक मददगार साबित नहीं हुई है।
शहर का ड्रेनेज सिस्टम मास्टर प्लान में शामिल
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यह सच है कि शहर में जल-जमाव की समस्या है। इसके निवारण के लिए निगम ने बड़ी योजना बनाई है। मास्टर प्लान के तहत ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया जाना है। कार्य गति पर है। बहुत जल्द शहरवासियों को जल-जमाव की समस्या से निजात मिल जाएगा। अंशुल अग्रवाल, नगर आयुक्त