छठव्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को दिया अर्घ्य
बिहारशरीफ। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठव्रती अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर नजदीक के घाटों पर पहुंच गए। औंगारी धाम बड़गांव सूर्यमंदिर तालाब बाबा मणिराम तालाब मोरातालाब आदि छठघाट पहुंचकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। छठव्रतियों ने अपने परिवार की सलामती और कोरोना संकट को दूर करने की भगवान भास्कर से प्रार्थना की।
बिहारशरीफ। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए छठव्रती अपने-अपने घरों से बाहर निकलकर नजदीक के घाटों पर पहुंच गए। औंगारी धाम, बड़गांव, सूर्यमंदिर तालाब, बाबा मणिराम तालाब, मोरातालाब आदि छठघाट पहुंचकर डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया। छठव्रतियों ने अपने परिवार की सलामती और कोरोना संकट को दूर करने की भगवान भास्कर से प्रार्थना की। गौरतलब है कि राज्य और सरकार के गाइड लाइन और कोरोना संक्रमण के बावजूद छठव्रती घाटों पर पहुंच गए। हालांकि गाइड लाइन के अनुसार सुरक्षाकर्मी भी तैनात थे, लेकिन छठव्रतियों के आस्था को देखते हुए सुरक्षाकर्मी भी नतमस्तक नजर आए। मोरा तालाब छठघाट के व्यवस्थापक द्वारा जो छठव्रती अर्घ्य देने आए थे उन्हें सोशल डिस्टेंस बनाकर ही अर्घ्य देने की अपील की। पर कोई मानने को तैयार नहीं थे। शासन की रोक के बावजूद हिलसा सूर्यमंदिर तालाब में अर्घ्य देने पहुंचे छठव्रती
हिलसा। कोविड-19 की दूसरी लहर के बीच लोक आस्था से जुड़ी सूर्य उपासना का चार दिवसीय छठ पर्व के तीसरे दिन रविवार को छठ व्रतियों ने अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य अर्पित की। हिलसा सूर्य मंदिर तालाब के अलावे क्षेत्र के अन्य सूर्य मंदिर तालाब एवं पोखरों में लोगों ने इकठ्ठे होकर डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।
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औंगारी धाम में श्रद्धालुओं के आगे शासन का निर्देश हवा-हवाई
एकंगरसराय। संक्रमण को रोकने के उद्देश्य से प्रखंड प्रशासन द्वारा लगाए गए प्रतिबंध के बावजूद एकंगर सराय प्रखंड के अंगारी धाम में हजारों की संख्या में लोग सूर्य तालाब पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के लिए जुट गए। ज्ञातव्य है कि 3 दिन पूर्व हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी राधाकांत के निर्देश के आलोक में एकंगरसराय के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने अंगारी धाम जाने वाले सभी पांच रास्ते को चिन्हित कर बैरियर लगाकर दंडाधिकारी एवं पुलिस की प्रतिनियुक्ति कर वहां जाने वाले पर पूर्णता प्रतिबंध लगा दिया था और शनिवार से रविवार तक सैकड़ों गाड़ियों को लौटा दिया लेकिन वे सभी लोग गाड़ी को कहीं अन्यत्र खड़ा कर पैदल ही खेत खंधा होते हुए तालाब पर पहुंच गए।