अर्चना ने बीपीएससी परीक्षा में हासिल की 110वीं रैंक
बिहारशरीफ। पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर राजगीर हसनपुर की छात्रा रही अर्चना कुमारी ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में 110रैंक हासिल किया है। उन्होंने यह सफलता अपने तीसरे प्रयास में हासिल की है।
बिहारशरीफ। पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर, राजगीर, हसनपुर की छात्रा रही अर्चना कुमारी ने संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित परीक्षा में 110रैंक हासिल किया है। उन्होंने यह सफलता अपने तीसरे प्रयास में हासिल की है। इंडियन इकोनामिक सर्विस के तहत कृषि मंत्रालय में असिस्टेंट निदेशक के पद पर तैनात अर्चना मूलत: नवादा जिले की नारदीगंज थाना क्षेत्र के कररिया निवासी राजेन्द्र प्रसाद की बेटी है। पिता डोहरा मिडिल स्कूल में हेडमास्टर थे। दैनिक जागरण से अर्चना ने बताया कि 10 वीं उन्होंने सरस्वती विद्या मंदिर, राजगीर, हसनपुर से पूरी की। दिल्ली के प्रतिष्ठित जवाहर लाल नेहरू विवि से पीजी की। बचपन में ही छूटा मां का साथ, पांच बहनों में सबसे छोटी
अपनी सफलता का श्रेय अर्चना ने शिक्षक पिता को दिया लेकिन मां के बारे में पूछते ही भावुक हो गई। बताया कि 1999 में मां पार्वती देवी का निधन हो गया था। पिता और बड़ी बहनें ही मेरे लिए सब कुछ हैं। पांच बहनों में रेणु, आरती, सुधा व सीमा की शादी हो चुकी है, अर्चना सबसे छोटी है। चारों बड़ी बहनों ने घर बसाने को प्राथमिकता दी, परंतु अर्चना आईएएस बनने के लक्ष्य को हासिल करने में जुटी रही। कभी कोचिग की जरूरत नहीं पड़ी
अर्चना ने बताया कि दिल्ली के लेडी श्रीराम कॉलेज से स्नातक किया। इसके बाद जेएनयू से पीजी की। दूसरे अटेम्प्ट में ही इंडियन इकनोमिक सर्विस में चयन हो गया। इसके लिए कभी कोचिग नहीं की। स्वाध्याय जारी रखा। इसी नौकरी से संतुष्ट नहीं हुई। सीनियर व दोस्तों ने जो गाइड किया, उसे आत्मसात किया। यही कारण रहा कि आई ए एस बनने का लक्ष्य हासिल कर सकी। अर्चना ने कहा कि जो लोग भी यूपीएसी की तैयारी करते हैं,उन्हें धैर्य रखना चाहिए। कभी यह मत सोचें कि यही मेरी आखिरी मंजिल है। इसके आगे भी दुनिया है। खुश रहिए और कोशिश कीजिए, सफलता जरूर मिलेगी। संस्कृति व परंपरा पर •ाोर, पर आधुनिकता से परहेज नहीं
पूज्य तपस्वी श्री जगजीवन जी महाराज सरस्वती विद्या मंदिर, राजगीर, हसनपुर की छात्रा रही अर्चना कुमारी ने कहा कि स्कूल की नींव संस्कृति व परंपरा पर •ारूर खड़ी है लेकिन आधुनिकता से रोक भी नहीं है। संस्कार सहित शिक्षा ही सभ्य नागरिक बनाती है, इसके लिए सरस्वती विद्या मंदिर सटीक उदाहरण है।