संक्रामक बीमारियों से बचाव के लिए रखें साफ-सफाई का विशेष ध्यान
बगहा। भीषण गर्मी के बाद मानसूनी बारिश शुरू हो चुकी है। लेकिन मानसून जब भी आता है तो अपने स
बगहा। भीषण गर्मी के बाद मानसूनी बारिश शुरू हो चुकी है। लेकिन मानसून जब भी आता है तो अपने साथ कई संक्रामक बीमारियों की सौगात लेकर भी आता है। बारिश के इस मौसम में त्वचा रोग से संबंधित मरीज हरनाटांड़ के विभिन्न अस्पतालों में पहुंच रहे हैं।
हरनाटांड़ स्थित सुनैना स्मृति सेवा संस्थान के चिकित्सक डॉ. कृष्ण मोहन राय की मानें तो मानसून में त्वचा रोग, वायरल, मच्छरजनित व जलजनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस मौसम में होने वाली ज्यादातर त्वचा संबंधी समस्याएं बच्चों में दिखाई देती है। बरसात के मौसम में देर तक गीले कपड़ों व गंदे पानी में रहने से त्वचा पर फंगस और दूसरे संक्रमण पनपने लगते हैं। बारिश के बाद निकलने वाली धूप तेज होती है, जिससे मौसम में बदलाव सीधा असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ता है। इसलिए साफ सफाई और नियमित देखभाल काफी आवश्यक है। संवेदनशील होने के कारण बाहरी और आंतरिक कारणों से त्वचा संबंधित कई रोग होते हैं जो परेशानी का सबब बनते हैं। उल्लेखनीय है कि इसके रोकथाम के लिए लोगों को सावधानी बरतने की जरूरत है। त्वचा प्रहरी की भूमिका निभाता है, लेकिन बाहरी धूलकण, फंगस, कीटनाशक आदि का प्रभाव भी पड़ता है। फंगल संक्रमण में सामान्य दवाएं लाभदायक नहीं : डॉ. राय बताते हैं कि मौसम के बदलाव के साथ हमारा त्वचा भी प्रभावित होता है। इसके लिए जरूरी है कि त्वचा के प्रति हम सतर्क रहें। चिकित्सक डॉ. राय का कहना है कि त्वचा को एलर्जी समेत अन्य संक्रमण से बचाना जरूरी है। इसके लिए परिवेश को स्वच्छ रखना चाहिए। गीला तौलिया पहनकर अधिक देर तक नहीं रहना चाहिए। ऐसा कपड़ा नहीं पहनना चाहिए जिससे त्वचा में परेशानी हो। कपड़ा पतला और आरामदायक होना चाहिए। डॉ. राय ने बताया कि गंदे परिवेश से ही एलर्जी व फंगल संक्रमण की आशंका रहता है। जब भी ऐसी समस्या दिखे तो तुरंत इसका इलाज करा लेना चाहिए। मानसून के समय इन बातों का रखें ध्यान :
खुद को हाइड्रेटेड रखें और ज्यादा से ज्यादा पानी का सेवन करें।
गहरे रंग के कपड़े पहनने से बचें और साधारण रंग के सूती कपड़ों का इस्तेमाल करें।
सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें।
ब्लीचिग पाउडर जल स्त्रोतों में डालें और चूना पाउडर का छिड़काव करें।
सभी रुके हुए जल संग्रहण के स्थानों पर कीटनाशक का छिड़काव करें।
घरों के आसपास अनावश्यक पानी रुकने न दें।
घर के कूलर में पानी न रखें और नियमित सफाई करें।
मच्छररोधी दवा का छिड़काव करें और सरकारी सभी सहायता का उपयोग करें।