पश्चिम चंपारण में तटबंधों की निगरानी करेंगे युवा, बांधों पर तैनात रहेंगे होमगार्ड व अभियंता

इस बार तटबंधों की निगरानी में युवाओं को भी लगाया जाएगा। ये होमगार्ड चौकीदार इंजीनियर और अधिकारियों के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों में सक्रिय रहेंगे। विपरीत परिस्थितियों में इंजीनियरों व अधिकारियों को सूचना देंगे। बरसात अवधि में सामंजस्य स्थापित रखने के लिए होगी कंट्रोलरूम की स्थापना।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 30 May 2021 05:03 PM (IST) Updated:Sun, 30 May 2021 05:03 PM (IST)
पश्चिम चंपारण में तटबंधों की निगरानी करेंगे युवा, बांधों पर तैनात रहेंगे होमगार्ड व अभियंता
पश्चिम चंपारण में तटबंधों की निगरानी करेंगे युवा।

बगहा (पश्चिम चंपारण), जासं। मानसून के पहुंचने के पूर्व बांधों की सुरक्षा को लेकर अधिकारियों ने मंथन शुरू कर दिया है। 15 जून से रेनिंग सीजन की शुरुआत हो जाती है, इससे पूर्व हर आवश्यक व्यवस्था की जा रही। ताकि बरसात में न तटबंधों के दरकने की चिंता सताए ना ही कहीं बाढ़ कहर बनकर टूटे। हालांकि नदियों के रुख को मोड़ना किसी के वश में नहीं है। फिर भी एहतियातन जरूरी व्यवस्था की जा रही। इसी कड़ी में बगहा एसडीएम शेखर आनंद ने एक नई पहल की है। अनुमंडल में इस बार तटबंधों की निगरानी में युवाओं को भी लगाया जाएगा। ये होमगार्ड, चौकीदार, इंजीनियर और अधिकारियों के साथ बाढ़ग्रस्त इलाकों में सक्रिय रहेंगे। विपरीत परिस्थितियों में इंजीनियरों व अधिकारियों को सूचना देंगे।

 प्रशासनिक स्तर पर चौकीदार, होमगार्ड, अभियंता और बीडीओ-सीओ की टीम बरसात के चार महीने विभिन्न तटबंधों की निगरानी में लगी रहती है। इसके बावजूद समय-समय पर तटबंध में दरार या टूटने की जानकारी नहीं मिल पाती। इस साल बरसात में ऐसी स्थिति न हो, इसके लिए नदियों के किनारे बसे गांवों से 10-10 युवाओं की टीम तैयार करने की कवायद चल रही है। ये नियमित रूप से अपने क्षेत्र के तटबंधों पर नजर रखेंगे। इनके पास अधिकारियों का नंबर होगा। बीडीओ-सीओ की देखरेख में ग्राम स्तर पर बैठकें आयोजित कर युवाओं की टीम गठित की जाएगी। इसके साथ प्रखंड व अनुमंडल स्तर पर कंट्रोलरूम स्थापित किया जाएगा। जहां 24 घंटे कर्मी तैनात रहेंगे। होमगार्ड और अभियंता प्रतिदिन खैरियत रिपोर्ट देंगे।

वीटीआर में 34 लाख की लागत से कटावरोधी कार्य, खतरा फिर भी

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व के जंगलों को बाढ़ से बचाने के लिए जल संसाधन विभाग ने एक हजार मीटर दायरे में कटावरोधी कार्य कराया है। मदनपुर वन क्षेत्र में वन कक्ष संख्या-दो कांटी तथा जमुनिहवा जंगल में 34 लाख की लागत से कटावरोधी कार्य हुआ है। इसके बावजूद जंगल से सटकर बहने वाली गंडक समेत दर्जनों पहाड़ी नदियों का खतरा बना हुआ है। वर्ष 2018-19 में बाढ़ से मदनपुर जंगल में लगभग 3600 मीटर कटाव हुआ था। वहीं वर्ष 2019 में 1600 मीटर के दायरे में नदी ने वन संपदा को नुकसान पहुंचाया था। पिछले अनुभवों और नुकसान को देखते हुए कटाव रोकने के लिए पहल की गई थी।

 अब विभाग बरसात में नदियों के रुख को देखेगा। इसके बाद आवश्यकता हुई तो काम और आगे बढ़ाया जाएगा। मदनपुर रेंजर अवधेश प्रसाद सिंह ने बताया कि जंगल से कई छोटे नाले गंडक नदी में मिलते हैं। जब बारिश होती है तो नालों से बहने वाली पानी मिट्टी का कटाव करता है। जिससे वन संपदाओं काे नुकसान पहुंचता है। गंडक नदी के द्वारा कटाव किए जाने की सूचना करीब तीन वर्ष सरकार को दी गई थी। जिसके बाद जलसंसाधन विभाग ने प्रस्ताव तैयार कर कटावरोधी कार्य कराया। फिलहाल खतरे की स्थिति नहीं है। बरसात में यदि नदी का रुख जंगल की ओर होगा तो कटावरोधी कार्य कराया जाएगा।

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