East Champaran: आप 20 सितंबर के बाद नहीं कर पाएंगे नया कार्य, जानिए क्या है वजह

East Champaran News पितृपक्ष सह महालयारम्भ 20 सितंबर से होगा पितृ तर्पण पूरे महीने नए कार्य रहेंगे निषेध हिंदू धर्म के लिए इन दिनों का होता है विशेष महत्व। छह अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या को पितृविसर्जन को सम्पन्न होगा।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 18 Sep 2021 04:23 PM (IST) Updated:Sat, 18 Sep 2021 04:23 PM (IST)
East Champaran: आप 20 सितंबर के बाद नहीं कर पाएंगे नया कार्य, जानिए क्या है वजह
छह अक्टूबर को सर्वपितृ अमावस्या को पितृविसर्जन को होगा सम्पन्न । प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

पूर्वी चंपारण (मोतिहारी), जासं। हिंदू पञ्चाङ्ग के अनुसार प्रत्येक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष में श्राद्ध पक्ष पितृपक्ष मनाया जाता है। इस महीने की शुरुआत पूर्णिमा तिथि से और इसकी समाप्ति अमावस्या तिथि पर होती है। इस वर्ष 20 सितंबर सोमवार से पितृ पक्ष महालयारम्भ आरंभ हो रहा हैं। वस्तुतः यह 6 अक्टूबर बुधवार सर्वपितृ अमावस्या को पितृविसर्जन को सम्पन्न होगा।

उक्त बातें आयुष्मान ज्योतिष परामर्श सेवा केन्द्र के संस्थापक साहित्याचार्य ज्योतिर्विद आचार्य चन्दन तिवारी ने कहीं। उन्होंने बताया कि हिंदू धर्म के लोगों के लिए इन दिनों का विशेष महत्व होता है। पितृ पक्ष पर पितरों की मुक्ति और उन्हें ऊर्जा देने के लिए श्राद्ध कर्म किये जाते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अगर पितृ नाराज हो जाएं तो घर के सदस्यों की तरक्की में बाधाएं उत्पन्न होने लगती हैं। पितृपक्ष के दौरान कोई भी नया काम शुरु नहीं किया जाता। यहां तक कि ना ही नए वस्त्रों की खरीदारी होती है। ज्योतिष अनुसार भी कुंडली में पितृ दोष काफी महत्व रखता है। इसलिए पितरों को मनाने और उनका आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए श्राद्ध किये जाते हैं।

पितृ पक्ष श्राद्ध तिथियां

20 सितंबर- पूर्णिमा श्राद्ध महालयारम्भ:।

21 सितंबर- प्रतिपदा

22 सितंबर- द्वितीया

23 सितंबर– तृतीया

24 सितंबर- चतुर्थी

25 सितंबर- पंचमी, महाभरणी

26 सितंबर- षष्ठी

27 सितंबर- सप्तमी

28 सितंबर- सप्तमी

29 सितंबर- अष्ठमी

30 सितंबर- नवमी मातृनवमी

01 अक्टूबर- दशमी

02 अक्टूबर- एकादशी

03 अक्टूबर- द्वादशी, सन्यासी-यति,वैष्णवानां श्राद्ध

04 अक्टूबर- त्रयोदशी

05 अक्टूबर- चतुर्दशी

06 अक्टूबर- सर्वपित्र अमावस्या,पितृ विसर्जनम्

श्राद्ध विधि : श्राद्ध वाले दिन सुबह उठकर स्नान कर देव स्थान व पितृ स्थान को गाय के गोबर से लिपकर व गंगाजल से पवित्र कर लें। महिलाएं शुद्ध होकर पितरों के लिए भोजन बनाने की तैयारी करें। इसके बाद ब्राह्मण को घर पर बुलाकर या मंदिर में पितरों की पूजा और तर्पण का कार्य कराएं। आप चाहें तो ये काम खुद भी कर सकते हैं। पितरों के समक्ष अग्नि में गाय का दूध, दही, घी और खीर अर्पित करें। उसके बाद पितरों के लिए बनाए गए भोजन के चार ग्रास निकालें जिसमें एक हिस्सा गाय, एक कुत्ते, एक कौए और एक अतिथि के लिए रखें।गाय, कुत्ते और कौए को भोजन डालने के बाद ब्राह्मण को आदरपूर्वक भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र और दक्षिणा दें। ब्राह्मण में आपका दामाद या भांजा (भगीना )भी हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति किसी कारणों से बड़ा श्राद्ध नहीं कर सकता तो उसे पूर्ण श्रद्धा के साथ अपने सामर्थ्य अनुसार उपलब्ध अन्न, साग-पात-फल और दक्षिणा किसी ब्राह्मण को आदर भाव से दे देनी चाहिए।

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