मधुबनी में भक्तिपूर्ण माहौल में हुई पूजा, लोगों ने धारण किया अनंत

सदियों से चली आ रही अनंत पूजा की परंपरा पांडवों ने सबसे पहले की थी अनंत पूजा 14 गांठ वाले अनंत की हर गांठ भगवान विष्णु को समर्पित हर साल भादव मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को होती है अनंत पूजा

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 19 Sep 2021 02:56 PM (IST) Updated:Sun, 19 Sep 2021 02:56 PM (IST)
मधुबनी में भक्तिपूर्ण माहौल में हुई पूजा, लोगों ने धारण किया अनंत
स्टेशन चौक स्थित हनुमान प्रेम मंदिर पर हो रही अनंत पूजा। जागरण

मधुबनी, जासं। अनंत चतुर्दशी की पूजा रविवार को हर्षोल्लास के माहौल में संपन्न हुई। लोगों ने पूजा-अर्चना कर अनंत को धारण किया। अनंत चतुर्दशी के अवसर पर शिवालयों में रविवार को सुबह से ही श्रद्धालुओं की भीड़ रही। लोगों ने भगवान शिव की पूजा-अर्चना की। इसके बाद विभिन्न जगहों पर सामूहिक रूप से अनंत की पूजा की गई। किवदंतियों के अनुसार अनंत पूजा की शुरुआत पांडवों ने की थी। मान्यताओं के अनुसार पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर दु:खों से मुक्ति और सुख-समृद्धि की प्राप्ति के लिए अनंत व्रत रखकर अनंत की पूजा की और अनंत डोरा को बांह पर धारण किया। इसके बाद कौंडिल्य और उनकी पत्नियों दीक्षा और शीला ने भी अनंत की पूजा की। तब से ही सनातन धर्म में अनंत पूजा का प्रचलन चला आ रहा है। यह पूजा हर वर्ष भादो मास के शुक्ल पक्ष के चतुर्दशी को मनाया जाता है। इसलिए इसे अनंत चतुर्दशी भी कहा जाता है।

भगवान विष्णु के 14 नामों की हुई पूजा

अनंत में कुल 14 गांठें होती हैं। ये सभी गांठें भगवान विष्णु के 14 नामों पर आधारित होती हैं। इस तरह अनंत पूजा में भगवान विष्णु के 14 नामों की पूजा की जाती है। इस दिन अनंत डोरा को धारण किया जाता है। धारण करने से पूर्व अनंत डोरा को पूजा जाता है। भगवान विष्णु के 14 नामों से ही इन गांठों की पूजा की जाती है। हर गांठ पर अलग-अलग नामों से भगवान विष्णु का आवाह्न किया जाता है। ये 14 नाम हैं- अनंत, पुरुषोत्तम,ऋषिकेश्, पद्मनाभ, माधव, बैकुंठ, श्रीधर, त्रिविक्रम, मधुसूदन, वामन, केशव, नारायण, दामोदर और गोविंद। पूजा के दौरान भगवान विष्णु को 14 प्रकार के फल, पकवान, मधु आदि समर्पित किए गए।

मंत्र के साथ किया अनंत धारण

पूजा के बाद लोगों ने अनंत धारण किया। अनंत धारण करते समय लोगों ने मंत्र (अनन्तसंसारमहासमुद्रे मग्नं समभ्युद्धर वासुदेव। अनन्तरुपे विनियोजयस्व ह्यनन्तरुपाय नमो नमस्ते।) का जाप किया। संस्कृत विश्वविद्यालय पंचांग के प्रधान संपादक डॉ. रामचंद्र झा ने अनुसार अनंत पूजा के दिन व्रत रखने, अनंत कथा सुनने और अनंत डोरा धारण करने से सभी प्रकार के दु:खों से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है। अनंत धारण करने से पूर्व मंत्र का जाप श्रेयस्कर माना जाता है।

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