World Environment Day: कोरोना संक्रमण में घर में पौधे लगाने का बढ़ा चलन
World Environment Day दरभंगा में लोग अपने आवासीय परिसर के आसपास पीपल बरगद नीम के अलावा घरों में ड्रेकेना फ्रेग्रेंस ऐरेका पाम रबर प्लांट स्नेक प्लांट सिंगोनियम और स्पाइडर प्लांट लगा रहे हैं। इनकी मांग हाल के दिनों में काफी बढ़ गई है।
दरभंगा, [विभाष झा]। कोरोना की दूसरी लहर में लोगों को ऑक्सीजन का महत्व समझ में आया है। घर-घर पौधारोपण का चलन बढ़ गया है। दरभंगा में लोग अपने आवासीय परिसर के आसपास पीपल, बरगद, नीम के अलावा घरों में ड्रेकेना फ्रेग्रेंस, ऐरेका पाम, रबर प्लांट, स्नेक प्लांट, सिंगोनियम और स्पाइडर प्लांट लगा रहे हैं। इनकी मांग हाल के दिनों में काफी बढ़ गई है। अकेले दरभंगा शहर में आधा दर्जन नर्सरी वाले प्रतिदिन औसतन 150 से अधिक इस तरह के पौधे बेच रहे हैं। इससे पहले इनकी मांग एक दर्जन से अधिक नहीं होती थी। स्थिति यह है कि नर्सरी मालिक लोगों के फोन नंबर लिखकर रख रहे हैं, ताकि पौधों की उपलब्धता होने पर सूचित कर सकें।
वसूली जा रही मुंहमांगी कीमत
मांग देखकर इन पौधों की मुंहमांगी कीमत वसूली जा रही है। अमूमन पाम ट्री, स्पाइडर प्लांट, रबर प्लांट सहित अन्य पौधे की कीमत 100 रुपये के आसपास हुआ करती थी। वर्तमान में नर्सरी वाले इन पौधे के लिए दोगुनी से अधिक कीमत वसूल रहे हैं। शहर के चिकित्सक और पर्यावरण प्रेमी डॉ. मनीष कुमार बताते हैं कि वे पिछले सात-आठ सालों से अपने आवासीय परिसर में बागवानी कर रहे। ऐसे प्लांट की इतनी डिमांड नहीं देखी।
बरगद, नीम व पीपल की मांग बढ़ी
रहमगंज में इंडिया नर्सरी के प्रोपराइटर मो. एकबाल ने बताया कि उनके यहां पहले औसतन 20 से 25 ऐसे पौधों की डिमांड होती थी। बरगद, नीम, पीपल तो कभी-कभार बिकते थे। अभी इन्हीं की सबसे ज्यादा मांग है। प्रतिदिन 100 लोग नर्सरी आते हैं। वे इन पौधों की डिमांड करते हैं। लॉकडाउन में अभी दुकानदारी सीमित है। बाहर से पौधे नहीं आने से वे लोगों को मुहैया नहीं करा पा रहे हैं। कादिराबाद स्थित संजय नर्सरी के संचालक संजय कुमार का कहना है कि जो भी आता है, औषधीय पौधों की मांग करता है। यहां तक कि गिलोय, तुलसी की भी खूब मांग है। अन्य पौधों की बिक्री कम हो गई है।