World Blood Donor Day: थैलेसीमिया मरीज की जान पर आई तो प्रशांत ने रक्त देकर बचाई जान

प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सीएस प्रसाद ने बताया कि रक्तदान से खून पतला होता है जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है। हम अपना खून देकर दूसरे की जान बचाते हैं। इसलिए हर स्वस्थ आदमी को साल में चार बार ब्लड देना चाहिए।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 14 Jun 2021 08:55 AM (IST) Updated:Mon, 14 Jun 2021 08:55 AM (IST)
World Blood Donor Day: थैलेसीमिया मरीज की जान पर आई तो प्रशांत ने रक्त देकर बचाई जान
कोरोना काल में रक्तदान करने को आगे आए रक्तदाता, कर रहे नियमित दान।

मुजफ्फरपुर, जासं। रक्तदान महादान है इस संकल्प के साथ अब जरूरतमंदों की सेवा में रक्तदाता आगे आ रहे हैं। प्रतिवर्ष 14 जून को रक्तदाता दिवस पर लोगों को जागरूक करने के साथ रक्तदान शिविर का आयोजन भी किया जाता है। रेडक्रास संचालित सदर अस्पताल के ब्लड बैंक के टेक्नीशियन विमलेश कुमार ने बताया कि कुछ दिन पहले थैलेसीमिया की मरीज अनुराधा सरैया से आई। उसका ब्लड समूह एबी पॉजीटिव था। उस समय सदर अस्पताल ब्लैंड बैंक में इस ग्रुप का ब्लड नहीं था। स्वजन से लेकर सब परेशान। उनके सहयोगी पंकज कुमार ने तुरंत प्रशांत ठाकुर अतरदह निवासी से बात करने की सलाह दी। उसके बाद प्रशांत ठाकुर को सूचना दी गई। वे आए और अपना ब्लड देकर उसकी जान बचाई। इस तरह वे नियमित रक्तदाता हैं। वे इमरजेंसी में भी बहुत सहायक हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ.सीएस प्रसाद ने बताया कि रक्तदान से खून पतला होता है जो कि हृदय के लिए अच्छा होता है। हम अपना खून देकर दूसरे की जान बचाते हैं। इसलिए हर स्वस्थ आदमी को साल में चार बार ब्लड देना चाहिए। कोरोना से स्वस्थ होने के तुरंत बाद कोई रक्तदान कर सकता है। उसके रक्त प्लाज्मा से कोरोना पीडि़त के इलाज में सहयोग मिलती है। इसके साथ कोरोना टीकाकरण लेने के 14 दिन बाद रक्तदान कर सकते हंै।

यहां पर चल रहा ब्लड बैंक

सदर अस्पताल व एसकेएमसीएच परिसर के अलावा निजी स्तर पर केजरीवाल व भवानी नर्सिंग होम परिसर में ब्लड बैक चल रहा है। जिले में प्रतिवर्ष करीब दस से 15 हजार लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। कोरोना काल में सदर अस्पताल में 50 लोगों ने रक्तदान किया।

एक मरीज को देखकर मन में जगी बचाव की आस

नियमित रक्तदाता सामाजिक कार्यकर्ता ङ्क्षप्रसु मोदी कहते हंै कि 2012 की बात है। वह सदर अस्पताल गए थे जहां एक मरीज को रक्त के लिए भटकते हुए देखा। उस समय समझ आई रक्त की अहमियत। मन में सेवा भाव जगी। ब्लड बैंक में जाकर पता लगाया तो जानकारी मिली कि हर स्वस्थ आदमी रक्तदान कर सकता है। उस समय उस पीडि़त को रक्त उपलब्ध कराया। उसके बाद एक नेटवर्क बनाकर लोगों को नियमित रक्त उपलब्ध कराने के साथ शिविर भी लगाते रहते हैं। मोदी ने कहा कि शुरुआती दौर में भरत नाथानी, किशोर सर्राफ, रोहित पोद्दार, विवेक अग्रवाल, प्रभात ङ्क्षसह, संजीत राय, मनीष हिसारिया, गौतम केजरीवाल ,अंकुर जालान आदि लोगों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। उसके बाद 2015 में वाट््सएप ग्रुप रक्तदान महादान समूह के नाम से बनाया तो नेटवर्क और मजबूत हुआ। अभी बिहार ब्लड डोनर्स ग्रुप के नाम से पेज है जिसपर कभी जरूरत होती है तो वहां उसकी सूचना देने पर रक्तदाता सहयोग को आगे आते हंै। 10 सालों में अबतक लगभग पांच हजार लोगों की मदद की जा चुकी है। यह सिलसिला जारी है।  

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