World Biodiversity Day 2021: संरक्षण नहीं हुआ तो प्रतिवर्ष विलुप्त हो जाएंगे 15 से 50 हजार प्राणी
World Biodiversity Day 2021 Theme जैव विज्ञानी सह जूलॉजी विभागाध्यक्ष बोले- जैव विविधता प्रकृति के संतुलन के लिए अत्यावश्यक। जंगलों को नष्ट करने से बचाने और प्रदूषण घटाने पर देना होगा जोर। जैव विविधता के बिना पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव संरक्षण जरूरी।
मुजफ्फरपुर, जासं। World Biodiversity Day 2021: विश्व जैव विविधता दिवस 22 मई को मनाया जाता है। इसपर बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के जूलॉजी विभागाध्यक्ष और जैव विज्ञान विशेषज्ञ डॉ.मनेंद्र कुमार ने कहा कि प्रकृति के संतुलन के लिए प्रचुर जैव विविधता अत्यावश्यक है। इसके महत्व व संरक्षण के लिए ही पूरे विश्व में यह दिवस मनाया जाता है। विभिन्न सजीवों की करीब 87 लाख प्रजातियां पृथ्वी पर मानी जाती हैं। इसमें करीब 65 लाख भूमि पर व 22 लाख समुद्र में हैं। अबतक 87 लाख में करीब 12 लाख प्रजातियों की ही पहचान हो पाई है, जिसमें विभिन्न प्रकार के कीट सर्वाधिक हैं। हाल के कुछ वर्षों में अनेक जीवों के विलुप्तिकरण का मुख्य कारण मनुष्य है। इसे रोकना आवश्यक है। संरक्षण नहीं हुआ तो प्रतिवर्ष 15 से 50 हजार प्राणी विलुप्त हो जाएंगे। इस वर्ष अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस की थीम वन और जैव विविधता है। जैव विविधता के बगैर पृथ्वी पर मानव जीवन असंभव है।
उन्होंने कहा कि पूर्व के 50 करोड़ वर्ष के इतिहास में पांच महाविलुप्तिकरण की लहर आई है। इसमें अनेक प्रजातियां समाप्त हो गई हैैं। पहला आर्डोविसियन काल (45 करोड़ वर्ष पूर्व), दूसरा डेबोनियन काल (37 करोड़ वर्ष पूर्व), तीसरा परनियम काल (25 करोड़ वर्ष पूर्व), चौथा ट्रामसिक (20 करोड़ वर्ष पूर्व) और पांचवां क्रिटेसियस काल (6.5 करोड़ वर्ष पूर्व) था। जुरासिक काल में पृथ्वी पर राज करने वाले विशाल डायनासोर क्रिटेसियस काल में ही इस पृथ्वी से विलुप्त हो गए। इन सभी महाविलुप्ति लहरों का प्रमुख कारण प्राकृतिक थी। अभी छठी लहर है जिसका कारण मानव की विध्वंसक गतिविधियां हैं। समय रहते अगर संरक्षण पर ध्यान नहीं दिया गया तो प्रतिवर्ष करीब 15 हजार से 50 हजार प्रजातियां लुप्त हो जाएंगी। मानव कल्याण के लिए जंगलों का दीर्घकालिक संरक्षण, वन में पाए जाने वाले जंतुओं एवं वनस्पतियों का संरक्षण करते हुए एक स्वस्थ पारिस्थितिक तंत्र (इकोसिस्टम) को बनाए रखना हमारी प्राथमिकता होनी चाहिए। हर वर्ष पूरे विश्व में हम एक करोड़ हेक्टेयर जंगलों को नष्ट कर देते हैं। इससे जैव विविधता को हानि होती है और जलवायु में भी परिवर्तन होता है।
जैव विविधता कृषि पैदावार बढ़ाने के साथ-साथ रोग प्रतिरोधी व कीट प्रतिरोधी फसलों की किस्मों के विकास में भी सहायक है। वनस्पति जैव विविधता और औषधीय आवश्यकताओं की पूर्ति भी करती है। करीब 25 फीसद उपलब्ध औषधियों को उष्ण कटिबंधीय वनस्पतियों से प्राप्त किया जाता है। मनुष्य द्वारा जैव विविधता का क्षरण हो रहा है। इसके कुछ मुख्य कारण आवास विनाश, आवास विखंडन, प्राकृतिक संपदा का अत्यधिक शोषण व दोहन विभिन्न प्रकार के प्रदूषण, वन विनाश, वन्य जीवों का शिकार विदेशी मूल की वनस्पतियों का आक्रमण, ग्लोबल वार्मिंग आदि हैैं। अभी आए ताउते तूफान का मुख्य कारण भी ग्लोबल वार्मिग माना जाता है। इस दिवस पर संकल्प लेना होगा कि हम जंगलों को नष्ट नहीं करें, प्रदूषण घटाएं व प्राकृतिक संपदा का अत्यधिक दोहन नहीं करें ताकि समृद्ध जैव विविधता कायम रहे जो प्रकृति के संतुलन लिए अत्यावश्यक है।