धुएं की आस में मजदूरों ने तोड़ा दम, किसानों के सामने संकट

मोतीपुर के साथ जिले के किसानों के लिए वरदान रही मोतीपुर चीनी मिल से 1995-96 के सत्र में धुआ निकलना बंद हो गया।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 08 Jul 2020 02:31 AM (IST) Updated:Wed, 08 Jul 2020 06:07 AM (IST)
धुएं की आस में मजदूरों ने तोड़ा दम, किसानों के सामने संकट
धुएं की आस में मजदूरों ने तोड़ा दम, किसानों के सामने संकट

मुजफ्फरपुर। मोतीपुर के साथ जिले के किसानों के लिए वरदान रही मोतीपुर चीनी मिल से 1995-96 के सत्र में धुआ निकलना बंद हो गया। धुएं की आस में कितने मजदूरों की मौत हो गई। वहीं किसानों की नकदी फसल का आधार भी समाप्त हो गया। सरकारें बदलीं, लेकिन मिल चालू होने की संभावना नहीं दिखी। इसकी जमीन पर अतिक्रमण करने की होड़ मची है। इसे लेकर अतिक्रमणकारी आपस में उलझते रहते हैं। बोले विधायक

विधायक नंद कुमार राय ने कहा कि मोतीपुर चीनी मिल को चालू करने के लिए लगातार सदन में आवाज उठाते रहे हैं। सरकार व प्रशासन के स्तर से लगातार पहल की। सुप्रीम कोर्ट में मामला लंबित रहने के कारण कुछ बाधा है। लेकिन सरकार तत्पर है। बहुत जल्द उसका निदान होगा। अपने कार्यकाल में कथैया में एक आइटीआइ का निर्माण, बरूराज में पावर सबस्टेशन का निर्माण कराया। इसके साथ बड़ी संख्या में ग्रामीण सड़कों का निर्माण चल रहा है।

विधायक की नहीं काम में दिलचस्पी

बरूराज विधानसभा के चुनाव में निकटतम प्रत्याशी रहे पूर्व विधायक स्व.ब्रजकिशोर सिंह के पुत्र अरुण कुमार सिंह ने बताया कि वर्तमान विधायक का परिवार लंबे समय से इस सीट पर प्रतिनिधित्व कर रहा है। चीनी मिल खुलवाने में उनकी कोई दिलचस्पी नहीं है। विधायक को विकास से कोई मतलब नहीं। केंद्र व राज्य सरकार से जो ग्रामीण सड़क बन रही, उसके शिलापट पर केवल नाम लिखावने में दिलचस्पी है। अगर रूचि होती तो चीनी मिल की जमीन पर अतिक्रमण नहीं होता। जिस तरह से बंद सुगौली मिल चालू हुई, मोतीपुर चीनी मिल भी चालू हो गया होता। व्यवसायी व किसान भी हो गए बदहाल

व्यवसायी मासूम अफजल ने कहा कि पहले चीनी मिल चल रही थी तो मजदूरों को रोजगार मिल रहा था। बाजार के दुकानदार की हालत भी बेहतर थी। चीनी मिल बंद होने के कारण कई मजदूर समय से पहले दुनिया से विदा हो गए। मजदूर किसान कहीं के नहीं रहे

चीनी मिल हिद मजदूर सभा के महामंत्री रामप्रवेश राय ने कहा कि मिल बंद होने से मजदूर व किसान की हालत बदतर हो गई। पहले यहां तीन तरह के मजदूर काम कर रहे थे। स्थायी, मौसमी तथा अस्थायी मजदूर। करीब 1665 मजदूर थे। अगर मिल चालू होती तो कोरोना के बाद जिस तरह प्रवासी आ रहे, उनको रोजगार मिलता। इसलिए चीनी मिल चालू होनी चाहिए। चीनी मिल से यह हो रहा था फायदा - इलाके के साथ जिले के किसानों को नकद फसल का बड़ा आधार था गन्ना जो अब नहीं रहा

- करीब 1665 मजदूरों को मिला रहा था रोजगार

- मोतीपुर बाजार के कारोबार पर पड़ा बुरा असर

- अधिकतर किसानों ने बदल दी अपनी खेती का ट्रेंड, गन्ना के बदले अब कर रहे दूसरी खेती

- गन्ना उत्पादक किसानों को गोपालगंज, सुगौली, हरिनगर या रीगा चीनी मिल के भरोसे रहना पड़ता है

- चीनी मिल बंद होने से करोड़ों की मशीन हो गई कबाड़, उसकी रक्षा करना भी मुश्किल

- चीनी मिल चल रहा था तो उसके प्रबंधन की ओर से गन्ना लाने की सुविधा के लिए सड़क मरम्मत, नई शिक्षण संस्था खोलना, खेल व सामाजिक गतिविधि के फंड मिलता था। यह सब बंद। खेल मैदान गुलजार रहता था। आज जो कॉलेज, हाई स्कूल मोतीपुर में दिख रहा, वह प्रबंधन की ही देन है।

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