Jitiya Vrat Start : जिउतिया को लेकर महिलाओं का 35 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ

Jitiya Vrat Start नहाय खाय के साथ जिउतिया व्रत का मह‍िलाओं ने लिया संकल्प मंगलवार की पूर्जा अर्चना का कार्य प्रारंभ हो गया है। इस बार ज‍िउत‍िया में 35 घंटे का न‍िर्जला व्रत रहना है। 29 स‍ितंबर कोे शाम 5.04 बजे के बाद व्रत समाप्त करेंगी।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Tue, 28 Sep 2021 09:47 AM (IST) Updated:Tue, 28 Sep 2021 10:09 AM (IST)
Jitiya Vrat Start : जिउतिया को लेकर महिलाओं का 35 घंटे का निर्जला व्रत प्रारंभ
नहाय खाय के साथ अब जिउतिया व्रत शुरू हो गया है। प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

समस्तीपुर, जासं। पुत्रवती माताओं द्वारा अपने पुत्र की सुरक्षा एवं लंबी आयु के लिए किया जाने वाला कठिन व्रत जिउतिया नहाय खाय के साथ प्रारंभ हो गया। बुधवार को शाम 5.04 बजे के बाद व्रती पारण कर निर्जला व्रत समाप्त करेंगी। मिथिला प्रक्षेत्र में मान्य विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार सोमवार को नहाय खाय एवं मंगलवार को अल सुबह सूर्योदय के पूर्व ओठगण किया जाना है। आशा देवी, प्रतिभा मिश्रा, कामिनी कार्यी सहित कई अन्य महिलाओं ने जिउतिया व्रत के संबंध में अपने विचार साझा किये। नहाय खाय को लेकर उन्होंने बताया कि आम के डंठल का दतवन बनाकर मुंह साफ किया। सिर के बालों में सरसों की खल्ली लगा कर स्नान किया गया। स्नान करने बाद झिगुनी के पत्ते पर तेल,खल्ली रखकर पितरों को जल से तर्पण किया गया। घर में आकर जीमूतवाहन व्रत एवं पूजन करने का संकल्प लिया। इसके लिए केले के पत्ते पर चूडा़, दही, चीनी एवं तुलसी दल रखा। प्रज्वलित दीप रखी गयी। धूप, अगरवत्ती जलाकर जल भरे कलश का पूजन करते हुए जिउतिया व्रत रखने का संकल्प व्रतियों ने किया।

मरुआ की रोटी और नूनी का खाया साग

व्रतियों ने भोजन में मरुआ के आंटे की रोटी, नूनी का साग, झिगुनी की सब्जी का सेवन किया। कुछ व्रतियों ने मछली का भी सेवन किया। आशा देवी पिछले चालीस वर्षों से जिउतिया व्रत करती आ रहीं हैं। जबकि प्रतिभा मिश्रा अड़तीस वर्षों से व्रत कर रही हैं। कामिनी कार्यी तीस वर्षों से व्रत रखती आ रही हैं। इन सभी व्रतियों ने बताया कि मंगलवार से निर्जला उपवास प्रारंभ हो जाएगा। बुधवार 29 सितंबर को शाम 5.04 बजे के बाद व्रती पारण कर निर्जला व्रत समाप्त करेंगी।

आज जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर करेंगी पूजा अर्चना

मंगलवार को व्रत के दिन ही व्रती कुश से निर्मित जीमूतवाहन की प्रतिमा बनाकर पूजा अर्चना करेंगी एवं जीमूतवाहन व्रत की कथा का श्रवण करेंगी। 35 घंटे का निर्जला उपवास माताओं के लिए कठिन तपस्या ही है। माताएं अपने पुत्रों के लिए कितना कष्ट झेलते हुए व्रत रखती हैं, जिउतिया व्रत उसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है।

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