देश के लिए हर जंग जीत कर लौटना था वीर ‘विजय’ का लक्ष्य
पुलवामा आतंकी हमले में शहीद उत्तर प्रदेश के देवरिया के लाल विजय कुमार मौर्य की शहादत पर छलके उनके कमांडिंग आफिसर के आंसू, कहा- कतरे-कतरे का होना चाहिए हिसाब।
मोतिहारी, [संजय कुमार उपाध्याय]। पुलवामा आतंकी हमले में शहीद उत्तर प्रदेश के देवरिया निवासी सीआरपीएफ जवान विजय कुमार मौर्य ने गरीबी देखी थी। दर्द झेला था। आतंकी घटनाओं से द्रवित रहते थे। अक्सर देश की एकता और अखंडता की बात करते थे। देश के लिए अपने शरीर का कतरा-कतरा रक्त बहा देने का जज्बा दिल में था। अक्सर एक ही बात होती थी- 'चाहे जो हो जाए, देश की एकता और अखंडता कायम रहनी चाहिए।Ó
सीआरपीएफ जवान विजय की वीरगाथा कहते हुए 2015-16 में उनके साथ रहे पूर्वी चंपारण के सरोत्तर निवासी सीआरपीएफ के सहायक उप निरीक्षक सत्येंद्र कुमार पांडेय की आवाज रूंघने लगती है। कहते हैं- '12 फरवरी 1991 में सेना में बहाल हुआ। देश की कई सीमाओं पर रहे। 2015-16 में मैं जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर स्थित सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन में पदस्थापित था तभी युवा विजय कुमार मौर्य वहां आए। बीएचएम होने के नाते मेरे अंडर कमांड उन्होंने काम किया।
विजय की वीरता ऐसी थी कि आने के साथ उन्होंने तत्कालीन कमांडेंट जगमोहन भगत समेत पूरी बटालियन का दिल जीता और कमांडो ट्रेङ्क्षनग के बाद वे क्यूआरटी (क्विक रिस्पांस टीम) का हिस्सा बने। फिर जिस इलाके में हमारी पोङ्क्षस्टग थी, वहां अक्सर आतंकी गतिविधियां होती थीं। हम आतंकियों को करारा जवाब देते थे। जब भी किसी ऑपरेशन में विजय जाते थे, बुद्धिमानी और सहनशीलता से काम करते थे और ऑपरेशन जीत कर आते थे। उनका लक्ष्य होता था देश के लिए हर जंग जीत कर लौटना है।
उस अवधि में हमने पत्थरबाजों से निबटा। कई मुठभेड़ हुए। लेकिन, हमारा नुकसान बेहद कम हुआ। इस बार आतंकियों ने धोखे से वार किया। वरना हमारे वीर सपूत आइईडी (इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस) का करारा जवाब देते। हम सैनिकों का दिल देश के लिए धड़कता है। हमने एक साथ कई वीर खो दिए हैं। अब वक्त आ गया है कि हमारी ओर से आतंक को करारा जवाब दिया जाए। विजय वीरगति को प्राप्त हो गए। लेकिन, वे हमारे दिलों में हमेशा धड़कते रहेंगे।
बारामूला में विजय के कमांडेंट रहे जगमोहन भगत ने कहा- वीर थे विजय
उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के भटनी प्रखंड के छपिया गांव के लाल विजय कुमार मौर्य वीरगति को प्राप्त हुए तो उनकी शहादत का दर्द हर उस शख्स ने महसूस किया, जिसके साथ उन्होंने काम किया। उन्हीं में शामिल हैं मुजफ्फरपुर में पदस्थापित सीआरपीएफ के कमांडेंट जगमोहन भगत। श्री भगत को आज भी याद है जब विजय ने सीआरपीएफ की 92 वीं बटालियन के मुख्यालय जम्मू-कश्मीर के बारामूला जिले के सोपोर में योगदान दिया था।
वे कहते हैं- 'विजय बेहद अनुशासित और आत्मविश्वास से लबरेज जवान थे। उन्होंने मेरे साथ बारामूला में काम किया था। उस वक्त हमने कई ऑपरेशन किए। कई ऑपरेशन में आतंकियों को मार गिराया। हमारा नुकसान नहीं हुआ। इस बार का हमला धोखे से किया गया हमला है। हमारे वीर जवान और हम सदैव देश की रक्षा के लिए हैं। हमारी ओर से इस हमले का करारा जवाब दिया जाएगा।Ó