दरभंगा में संक्रमित पति के शव के साथ श्मशान पहुंची पत्नी, बोली- मैं दूंगी मुखाग्नि

Bihar News साथ आए लोगों के किनारे लगने के बाद जिसने मांग में भरा था सिंदूर उसकी अंतिम यात्रा में अकेली और अटल खड़ी रहीं मीना समस्तीपुर जिले से पति हरिकांत को इलाज के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल लेकर आईं थी अकेली महिला

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sun, 16 May 2021 01:03 PM (IST) Updated:Sun, 16 May 2021 01:03 PM (IST)
दरभंगा में संक्रमित पति के शव के साथ श्मशान पहुंची पत्नी, बोली- मैं दूंगी मुखाग्नि
पति के शव को लेकर श्मशान पहुंची महिला, मुखाग्नि देने को तैयार। जागरण

दरभंगा, [संजय कुमार उपाध्याय ]। कोरोना के खूनी पंजों ने काल का ऐसा कोहराम मचाया है कि हर रिश्ता तार-तार हो रहा है। लोग खून के आंसू रो रहे हैं। अपनेपन का सालों पुराना रिश्ता अंतिम वक्त में टूट जा रहा। साथ छूट जा रहा है। रिश्ते इस तरह से खामोश हो जा रहे कि श्मशान में चिता सजाने से भी परहेज करते हैं। इन विषम परिस्थितियों के बीच शनिवार की देर शाम शहर से होकर गुजरी बागमती नदी के पश्चिमी छोर पर कबीर सेवा संस्थान के संरक्षक नवीन सिन्हा के नेतृत्व में संस्था के मंटू यादव, पप्पू प्रधान व अन्य कोरोना संक्रमित लोगों की अंत्येष्टि कर रहे थे। इतने में एक एंबुलेंस दाखिल हुआ। एंबलुेंस अपने पति के शव के साथ पत्नी विलाप कर रही थी। उसके पास सुरक्षा के नाम पर कुछ भी नहीं था।

तत्काल नवीन ने उस महिला को पानी और सुरक्षा के साधन दिए। फिर उसे यहां से जाने को कहा। लेकिन, पति हरिकांत का शव लेकर श्मशान घाट आनेवाली मीना ने कहा- ‘मेरे बच्चे हैं। लेकिन, वो सब छोटे हैं। अभी मेरे साथ नहीं हैं। मेरे पति हैं। मैं ही उन्हें मुखाग्नि दूंगी। फिर संस्था की ओर से महिला को पीपीई किट व अन्य साधन दिए गए और उसने अपने पति की अंत्येष्टि की।

दूर खड़े रहे महिला के साथ आए लोग

इस हृदय विदारक दृश्य को देखने के बाद भी महिला के साथ आए लोगों का कलेजा नहीं पसीजा। श्मशान घाट से करीब दो सौ मीटर की दूर पूर्वी छोर से वो लोग महिला को देखते रहे। रात होने लगीं तो कह दिया- अब हम जा रहे हैं। हम आपको लेकर नहीं जा सकते हैं। आप अपने संक्रमित पति के शव के साथ आई हैं। देर रात तक यह दृश्य कायम रहा।

दो शव छोड़कर फिर निकल गए स्वजन

मुक्तिधाम में जब महिला अपने पति की अंत्येष्टि कर रही थी तभी कबीर सेवा संस्थान के लोग अन्य शवों की अंत्येष्टि कर रहे थे। कुल पांच शव यहां उस वक्त तक लाए जा चुके थे। पता चला उनमें दो शव ऐसे थे, जिन्हें उनके स्वजन छोड़कर चले गए थे। बता दें कि शहर में इलाज के दौरान होनेवाली मौत के बाद कई मामलों में लोग अपनों का शव अस्पताल में ही छोड़कर निकल जा रहे। ज्यादातर मामले डीएमसीएच में मिल रहे।

सुरक्षा मानक अपनाकर की जाती है अंत्येष्टि

जिनके साथ कोई नहीं होते उनका दाह-संस्कार नवीन सिन्हा के नेतृत्व में कबीर सेवा संस्थान के लोग करते हैं। नवीन बताते हैं कि सुरक्षा मानक अपनाकर दाह-संस्कार करते हैं। जिनके स्वजन मरते हैं वो भी ऐसा कर सकते हैं। लेकिन, लोगों में जागरूकता की कमी है। लोगों को इसके लिए जागरूक होना होगा। चिकित्सक की सलाह के साथ संस्कार में शामिल होना चाहिए। संस्था लोगों को जागरूक करेगी।

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