साइकस व पाइन में बेहतर काम के लिए पश्चिम चंपारण के वीटीआर को मिला अवार्ड

वीटीआर प्रशासन की ओर से 3866.3 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किए गए हैं इसके पौधे। भारत सरकार की ओर से पर 32 लाख 23 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे। यह पुरस्कार वन एव पर्यावरण विभाग यूएनडीपी और नेशनल बायोडायवर्सिटी बोर्ड की ओर से संयुक्त रूप से मिला है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Fri, 24 Sep 2021 11:17 AM (IST) Updated:Fri, 24 Sep 2021 11:17 AM (IST)
साइकस व पाइन में बेहतर काम के लिए पश्चिम चंपारण के वीटीआर को मिला अवार्ड
इस क्षेत्र के लिए दुर्लभ माने जाने वाले चीर पाइन व साइकस के पेड़ों का कराया जा रहा बढ़वार।

बेतिया, [शशि कुमार मिश्र]। विश्व बायोडायवर्सिटी दिवस पर जो वीटीआर को अवार्ड मिला है, उसमें इस क्षेत्र में साइकस एवं पाइन पौधों को बेहतर तरीके से विकसित किया जाना है। वीटीआर प्रशासन की ओर से 3866.3 हेक्टेयर क्षेत्र में विकसित किए गए हैं इसके पौधे। इस परियोजना पर भारत सरकार की ओर से पर 32 लाख 23 हजार रुपये स्वीकृत किए गए थे। क्षेत्र निदेशक एचके राय ने बताया कि यह पुरस्कार वन एव पर्यावरण विभाग, यूएनडीपी और नेशनल बायोडायवर्सिटी बोर्ड की ओर से संयुक्त रूप से मिला है। इसे 22 मई को ही मिलना था। जानकारों का मानना है कि जैव विविधता के मामले में सूबे का वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य आदर्श एवं मॉडल बन रहा है। इस राज्य के दुर्लभ माने जाने वाले चीर पाइन के पौधे देखे जा रहे हैं। 

क्या है जैव विविधता और क्यों है इसकी जरूरत

जैव विविधता हमारे भोजन, कपड़ा, औषधीय पौधे, इंधन आदि की आवश्यकता की पूर्ति के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है। इसके अलावा जैव विविधाता से परिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने में सहायक साबित होती है। विश्व में 25 आकर्षण के केन्द्र हैं, जिसमें 60 फीसद पौधों, पक्षियों, स्तनधारी प्राणियों एवं उभचर प्रजातियों का संरक्षण किया जाता है। वाल्मीकि व्याघ्र आरक्ष्य इन्हीं में से एक है। जहां विभिन्न तरह की दुर्लभ प्रजातियों की उपस्थिति है और यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए प्रयोग स्थल है। इतना ही नहीं जैव विविधता मानव सभ्यता का विकास स्तंभ है और इसका संरक्षण अति आवश्यक है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि जैव विविधता वाले देशों आस्ट्रेलिया, ब्राजिल, कोलंबिया, इक्वाडोर, इंडोनेसिया, चीन सहित भारत का महत्वपूर्ण स्थान है। इस क्षेत्र में कार्य करना एक महत्वपूर्ण बात मानी जा रही है।

किस प्रक्षेत्र में कहां-कहां विकसित किए गए हैं पौधे

प्रक्षेत्र का नाम संबंधित कंपार्टमेंट

* रघिया आर 22 और 28

* मंगुराहां आर 40,41 व 44

* गोबद्धना एस 32,33, 36 व 38 

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