सूरजमुखी की खेती के लिए मौसम अनुकूल, जानें बेहतर उत्‍पादन के ल‍िए क्‍या करें उपाय

सूरजमुखी फसल की बुआई का समय आ गया है। बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी जाना जाता है। 10 मार्च तक बुआई संपन्न कराने की सलाह। सूर्यमुखी की फसल को बढ़ावा देने के लिए समस्‍तीपुर में 150 हेक्टेयर का बुआई का लक्ष्य।

By Murari KumarEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 03:46 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 03:46 PM (IST)
सूरजमुखी की खेती के लिए मौसम अनुकूल, जानें बेहतर उत्‍पादन के ल‍िए क्‍या करें उपाय
सूरजमुखी की खेती के लिए मौसम अनुकूल। (सांकेत‍िक तस्‍वीर)

समस्तीपुर, जागरण संवाददाता। सूरजमुखी फसल की बुआई का समय आ गया है। बेहतर मुनाफा देने वाली इस फसल को नकदी खेती के रूप में भी जाना जाता है। किसानों के लिए यह मौसम अनुकूल है। इसकी बुआई कर वे फसल उत्पादन के बाद बेहतर लाभ अर्जित कर सकते हैं। इसकी बुआई के लिए मौसम अनुकूल है। 10 मार्च तक बुआई संपन्न कराने की सलाह दी गई है। 

जिले में कृषि विविधीकरण महकमे ने सूरजमुखी की फसल को बढ़ावा देने के लिए 150 हेक्टेयर का लक्ष्य रखा है। कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक तीन माह में तैयार होने वाली इस फसल से 43 से 45 फीसद तेल निकलता है। जो शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले कोलस्ट्राल को नियंत्रित करता है। इसलिए सूर्यमुखी का तेल लोगों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होता है। बाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है। प्रति हेक्टेयर 28 से 30 क्विंटल सूर्यमुखी की पैदावार होती है। अच्छी उपज के लिए बोने के पहले बीज शोधन किसानों को जरूर करना चाहिए। सूर्यमुखी की फसल खेत की मिट्टी के लिए भी लाभकारी होती है। इसके पौधे में नाइट्रोजन भरपूर मात्रा में होता है। पौधा सड़ने के बाद जब मिट्टी में मिलता है तो उसकी उर्वराशक्ति बढ़ जाती है। जो खरीफ की फसल के लाभकारी होता है।

बुआई से पहले खेत की करें जुताई 

सूर्यमुखी की बुआई के लिए मौसम अनुकूल है। इसकी बुआई 10 मार्च तक संपन्न कर लें। खेत की जुताई में 100 क्विंटल कंपोस्ट, 30-40 किलोग्राम नेत्रजन, 80-90 किलोग्राम फॉस्फोरस एवं 40 किलोग्राम पोटास का व्यवहार करें। 

बुआई के लिए मौसम अनुकूल 

कृषि वैज्ञानिक के मुताबिक उत्तर बिहार के लिए सूर्यमूखी की उन्नत संकुल प्रभेद मोरडेन, सूर्या, सीओ-1 एवं पैराडेविक तथा संकर प्रभेद के लिए बीएसएच-1, केबीएसएच-1, केबीएसएच-44, एमएसएफएच-1, एमएसएफएच-8 एवं एमएसएफएच-17 अनुशंसित है। संकर किस्मों के लिए बीज दर 5 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तथा संकुल किस्मों के लिए 8 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर रखें। बुआई से पहले प्रति किलोग्राम बीज को 2 ग्राम थीरम या कैप्टाफ दवा से उपचारित कर बुआई करे।

बुआई के बाद करनी है सिंचाई

बुआई के 20-25 दिन के बाद पहली सिंचाई करें। फूल आने पर खेत में नमी बरकरार रखनी चाहिए। जरूरत के मुताबिक 10-15 दिन के अंतराल पर सिंचाई करते रहना चाहिए।

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