किसानों के लिए नासूर बनी जलजमाव की समस्या

बाढ़ और बरसात से प्रभावित प्रखंड का बड़ा भूभाग जलजमाव की पीड़ा झेल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 13 Nov 2020 01:58 AM (IST) Updated:Fri, 13 Nov 2020 01:58 AM (IST)
किसानों के लिए नासूर बनी जलजमाव की समस्या
किसानों के लिए नासूर बनी जलजमाव की समस्या

मुजफ्फरपुर : बाढ़ और बरसात से प्रभावित प्रखंड का बड़ा भूभाग जलजमाव की पीड़ा झेल रहा है। यह स्थिति मौत को आमंत्रित कर रही है। वहीं, किसानी के लिए सिर दर्द बन गया है। लोगों का मानना है कि जबतक जलनिकासी की व्यवस्था मुकम्मल नहीं होती, इस समस्या से छुटकारा पाना मुश्किल है। प्रशासनिक स्तर पर निदान के लिए कोई ठोस पहल अबतक नहीं की गई है। जलजमाव की समस्या प्रखंड के कई भागों मे नासूर बन गई है। कई जानें भी जा चुकी हैं। जलजमाव के कारण उत्तरी भाग से प्रखंड आने वाले लोग पहसौल से डुमरी मार्ग तय करते हुए प्रखंड कार्यालय पहुंचते हैं। यह मार्ग दूर किंतु सुगम है। जलजमाव से कई मार्ग अवरुद्ध पडे़ हैं। डुमरी-चंगेल, बर्री-तेहवारा, कटरा-गंगेया, बसघटृा-पहसौल आदि मागरें में जलजमाव के कारण आवागमन बाधित है। प्रखंड के बसघटृा, नगवारा, पहसौल, खंगुरा, गंगेया, बर्री, चंगेल, शहनौली, धोबौली, माधोपुर, सोनपुर आदि गांवों में लगभग दो हजार एकड़ में जलजमाव की स्थिति है। यहां के किसानों के सामने खेती चुनौती बन गई है। ग्रामीणों की मानें तो जलनिकासी के बिना निदान असंभव है। जलनिकासी के लिए बागमती परियोजना बांध से मार्ग निकालना पडे़गा जिसकी अनुमति विभाग के कार्यपालक अभियंता से लेनी होगी। ग्रामीणों का कहना है कि जलस्तर में कमी के बाद से ही बागमती परियोजना के अधिकारियों से गुहार लगाई जा रही है, लेकिन अबतक आदेश नहीं मिला है। जलजमाव के कारण यहां की कृषि भी चौपट हो गई है। इसलिए मौत और बर्बादी का सबब बन गया है। खरीफ फसल बाढ़ की भेंट चढने के बाद यहां के किसानों के लिए रबी फसल ही सहारा बच जाता है। लेकिन इस बार प्रखंड का बड़ा भूभाग जलजमाव की चपेट में है। जब तक पानी के सूखने का इंतजार किया जाएगा, रबी की बुआई का मौसम निकल जाएगा। इसी संशय में हजारों एकड़ भूमि खेती से वंचित रह जाएगी। जलनिकासी के लिए बागमती बांध को काटना होगा जो बगैर विभागीय आदेश संभव नहीं है। प्रखंड के गंगेया, बसघटृा, तेहवारा, बेलपकौना, कटाई, शिवदासपुर, खंगुरा, चंगेल आदि में रबी फसल पर ग्रहण लग गया है।

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