मुजफ्फरपुर पेयजल संकट, अभी नहीं हुए सजग तो सूख जाएंगे शहरवासियों के हलक

भूजल के दोहन को नहीं रोक रहा निगम आने वाले समय में जब पानी नहीं मिलेगा तो शहर के नागरिक सबसे पहले निगम को ही अपना निशाना बनाएंगे। इसलिए निगम को सचेत हो जाना चाहिए। जमीन से पानी निकालने के लिए नियम-कानून बना कर सख्ती से लागू करना चाहिए।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 07 Jun 2021 07:05 AM (IST) Updated:Mon, 07 Jun 2021 09:34 AM (IST)
मुजफ्फरपुर पेयजल संकट, अभी नहीं हुए सजग तो सूख जाएंगे शहरवासियों के हलक
जिस तेजी से शहर में सबमर्सिबल पंप लगाए जा रहे हैं वे जलसंकट का कारण बनेंगे।

मुजफ्फरपुर, जागरण संवाददाता। जिस तरह शहरवासी जमीन से पानी निकाल बर्बाद कर रहे हैं वह समय दूर नहीं जब भू-जल का संचित भंडार समाप्त हो जाएगा। इसलिए हम अभी सजग नहीं हुए तो आने वाले दिनों में शहरवासियों के हलक सूख जाएंगे। शहरी क्षेत्र में तेजी से हो रहे भू-जल के दोहन को रोकने की जगह नगर निगम अनदेखी कर रहा है। जबकि आने वाले समय में जब पानी नहीं मिलेगा तो शहर के नागरिक सबसे पहले निगम को ही अपना निशाना बनाएंगे। इसलिए निगम को सचेत हो जाना चाहिए। जमीन से पानी निकालने के लिए नियम-कानून बना कर सख्ती से लागू करना चाहिए। 

रविवार को दैनिक जागरण के सहेज लो हर बूंद अभियान के दौरान बातचीत में समाज के प्रबुद्ध लोगों ने ये बात कहीं। सामाजिक कार्यकर्ता अङ्क्षरजय राज ने कहा कि जिस तेजी से शहर में सबमर्सिबल पंप लगाए जा रहे हैं वे जलसंकट का कारण बनेंगे। नगर निगम अभी इसपर ध्यान नहीं दे रहा है, लेकिन जब इसके कारण पेयजल संकट उत्पन्न होगा तब उन्हें समझ में आएगी लेकिन तबतक बहुत देर हो चुका होगा। अरुण कुमार ठाकुर ने कहा कि पहले शहर में इतने पोखर एवं तालाब थे कि सालों पर शहर का भू-जल स्तर बना रहता है, लेकिन अब ऐसा नहीं है। पोखर एवं तालाब नाम मात्र के रह गए है। इसके कारण अब भूजल स्तर गिरने लगा है। संजीव कुमार रंजन ने कहा कि शहर बूढ़ी गंडक नदी किनारे बसा है। इसके पानी से जमीन रीचार्ज होता है, लेकिन हमने नदी को भी नहीं छोड़ा। शहर का गंदा पानी बिना उपचार सीधे नदी में प्रवाहित किया जा रहा है। नदी में कूड़ा-करकट डालने से भी लोग बाज नहीं आ रहे हैं। इस प्रकार नदी हमसे दूर होते जा रही है। इसका खामियाजा भी हमें आगे भुगतना पड़ेगा। संगीता कुमारी ने कहा कि हम जरूरत से ज्यादा पानी का दोहन कर उसे बर्बाद कर देते हैं, इसे रोकना होगा। जितना जरूरी है उतना ही पानी जमीन से निकलना होगा।

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