सरकारी से निजी अस्पताल तक लगाया चक्कर, जमा पूंजी गंवा संक्रमित ने तोड़ दिया दम

कोरोना मरीजों के लिए तमाम सरकारी सुविधाएं और हेल्प लाइन कागजी ही साबित हो रही हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 May 2021 03:52 AM (IST) Updated:Sat, 08 May 2021 03:52 AM (IST)
सरकारी से निजी अस्पताल तक लगाया चक्कर, जमा पूंजी गंवा संक्रमित ने तोड़ दिया दम
सरकारी से निजी अस्पताल तक लगाया चक्कर, जमा पूंजी गंवा संक्रमित ने तोड़ दिया दम

मुजफ्फरपुर : कोरोना मरीजों के लिए तमाम सरकारी सुविधाएं और हेल्प लाइन कागजी ही साबित हो रही हैं। सरैया के नरगी जीवनाथ निवासी रामचंद्र महतो के साथ हुई घटना ने पूरे सिस्टम पर सवाल खड़ा दिया है। कोरोना संक्रमित होने के बाद वह ग्लोकल अस्पताल पहुंचे। वहां से उन्हें एसकेएमसीएच रेफर कर दिया गया। स्वजन एंबुलेंस से लेकर उनको वहां पहुंचे तो प्रशासनिक पैरवी के बाद भर्ती किया गया। दो घंटे तक बेड पर पड़े रहे। उसके बाद प्रबंधक ने कहा कि अगर आप खुद ऑक्सीजन सिलेंडर ला सकते हैं तो रहें वरना यहां से निकल लें।

ऑक्सीजन का लेवल कम होते देख स्वजन जीरोमाइल इलाके के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां पिछले एक सप्ताह से इलाज चल रहा था। शुक्रवार को ऑक्सीजन का संकट बताते हुए एक सप्ताह का बिल तीन लाख रुपये जमा करवाने के बाद मरीज को छोड़ा गया। स्वजन मरीज को लेकर तुर्की स्थित निजी मेडिकल कॉलेज जा रहे थे इसी बीच भगवानपुर के पास उसने दम तोड़ दिया। स्वजन अंत में जो जमा पूंजी थी उसे गंवाने के बाद अंतिम संस्कार कराने को मजबूर हुए। उसके तीन छोटे-छोटे बच्चों को देखने वाला भी अब कोई नहीं है।

सरैया प्रखंड के नरगी जीवनाथ गांव के एक फार्मा कंपनी के क्षेत्रीय अधिकारी रामचंद्र महतो की कोविड पॉजिटिव होने के बाद 27 अप्रैल को तबीयत बिगड़ी। इस पर उन्होंने भगवानपुर स्थित आवास से शहर के सभी सरकारी व निजी कोविड केयर अस्पतालों का चक्कर लगाया, लेकिन भर्ती नहीं हो सके। रात में माड़ीपुर ओवरब्रिज के पास एक निजी अस्पताल में उन्हें भर्ती कराया गया। वहां 29 अप्रैल की देर शाम ऑक्सीजन खत्म होने की बात कहकर दो दिनों का बिल 69 हजार मांगने के साथ मरीज को वहां ले जाने को कहा गया। 29 की पूरी रात उनके स्वजन दौड़ते रहे। ग्लोकल से मेडिकल भेजा गया। काफी पैरवी के बाद एसकेएमसीएच में भर्ती किया गया, लेकिन बिना ऑक्सीजन के ही वहां रखा गया। इसपर स्वजन ने दरभंगा बाइपास में विजय छपरा स्थित एक निजी हॉस्पिटल में उन्हें भर्ती कराया। शुक्रवार सुबह ऑक्सीजन नहीं होने की बात कहकर मरीज को दूसरी जगह ले जाने को कहा गया।

कोट

इलाज के नाम पर मनमानी फीस वसूलने वाले पर सख्ती होगी। स्वजन शिकायत करते हैं तो जांच कराई जाएगी। नर्सिंग होम निबंधित नहीं होगा और इलाज कर रहा है तो कानूनी कार्रवाई होगी। निबंधित है तो किस स्तर की सेवा दे रहा उसके लिए फीस तय है। इलाज के नाम पर वसूली की किसी को छूट नहीं है।

डॉ.एसके चौैधरी, सिविल सर्जन

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