इस बार गन्ने की फसल पर हाईपोक्सिया की मार
बेतिया। इस बार गन्ने की फसल पर जल जमाव के कारण प्रतिकूल असर पड़ना तय है। जल जमाव वाले क्षे˜
बेतिया। इस बार गन्ने की फसल पर जल जमाव के कारण प्रतिकूल असर पड़ना तय है। जल जमाव वाले क्षेत्रों में यदि गन्ने की फसल हो भी गई, तो उत्पादन में 15 से 20 फीसद की कमी आएगी। गन्ने की फसलों का इस बार हाईपोक्सिया नामक क्रिया से प्रभावित होना तय है। यह कहना है राजेन्द्र प्रसाद केन्द्रीय कृषि विश्वविद्यालय के गन्ना अनुसंधान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. अजित कुमार का। उनके अनुसार हाईपोक्सिया एक ऐसी क्रिया है, जो जल जमाव के क्षेत्र में होने वाली गन्ने की फसल में होती है। इसमें जड़ से श्वसन नहीं करने की स्थिति में गन्ने में आक्सीजन कमी हो जाती है। पानी के कारण जड़ से श्वसन की क्रिया नहीं होने के कारण गन्ना का पौधा प्रत्येक नोड पर जड़ केशिकाओं को विकसित करता है। इसमें जो उर्जा की खपत होती है, उसका इस्तेमाल गन्ने की मिठास बढ़ाने में नहीं हो पाता है। इसका सीधा प्रभाव गन्ने की उपज एवं सुगर कंटेंट पर पड़ता है। उनके अनुसार गन्ना एक ऐसा पौधा है, जिसमें सुगर बनाने के लिए जड़ एवं पत्तियों से श्वसन की क्रिया करना आवश्यक है। वैज्ञानिक ने इससे बचाव के लिए किसानों को संबंधित खेत में जल निकासी की व्यवस्था कराने की सलाह दी है, लेकिन जल जमाव वाले क्षेत्र में अधिकांश किसानों के लिए यह संभाव नहीं है। सर्करा निर्माण निर्माण में उर्जा का नहीं होता है उपयोग गन्ने के पौधे को सर्करा निर्माण में उर्जा की आवश्यकता होती है, उर्जा का स्थानांतरण यदि दूसरे दिशा में होता है, तो इस स्थिति में गन्ना में सर्करा की मात्रा कम हो जाती है और इसका असर गन्ना के उत्पादन पर पड़ता है। इस बार अधिकांश गन्ना किसानों को इस समस्या से जुझना पड़ सकता है। 1 लाख 58 हजार किसानों ने की है 3 लाख 39 हजार एकड़ में खेती उत्तर बिहार में इस बार 1 लाख 59 हजार 137 किसानों ने 3 लाख 39 हजार 62 एकड़ में गन्ने की खेती की है। इसमें सर्वाधिक खेती नरकटियागंज चीनी मिल क्षेत्र में 80 हजार 636 एकड़ में हुई है। जबकि सबसे कम खेती एचपीसीएल बायौफ्यूल्स सुगौली के क्षेत्र में कुल 11 हजार 831 ए़कड़ में खेती हुई है।अधिकांश गन्ने के खेत में जल जमाव होने के कारण यह फसल इस क्रिया से प्रभावित है।