पश्चिम चंपारण में ग्रामीणों ने कराया पहुंच पथ का निर्माण, इस तरह संभव हुआ सबकुछ
20 करोड़़ की लागत से बना पुल था बेकार। जब शासन- प्रशासन ने ग्रामीणों की फरियाद नहीं सुनी तो जनसहयोग से अस्थायी एप्रोच का निर्माण करा प्रशासन को आईना दिखाया है। एक तरह से यह अन्य के लिए प्रेरणा भी है।
पश्चिम चंपारण,[शेषनाथ तिवारी]। करताहा व पंडई नदी के संगम पर बना त्रिमुहान घाट पुल महज पहुंच पथ के अभाव में बेकार बन गया है। करीब बीस करोड़ रुपये की लागत से बने पुल का सदुपयोग नही हो रहा है। जब शासन- प्रशासन ने ग्रामीणों की फरियाद नहीं सुनी तो जनसहयोग से अस्थायी एप्रोच का निर्माण करा प्रशासन को आईना दिखाया है। जबकि यह पुल सिकटा, लौरिया व चनपटिया विधानसभा समेत सिकटा, चनपटिया व लौरिया प्रखंड को सीधा जोड़ता है।
बीस किलोमीटर अधिक दूरी तय करने की मजबूरी
इस पुल के अनुपयोगी होने से लोगों को बीस किलोमीटर की अधिक दूरी तय कर जाने की मजबूरी बनी रहती है। इस घाट पर पहले चलते थे नाव। इस रास्ते मैनाटांड प्रखंड को जोड़ते हुए जिला परिषद की सड़क सिकटा प्रखंड क्षेत्र को क्रॉस करते चनपटिया जाती है। पुल नही था तब इस रास्ते मैनाटांड थरूहट क्षेत्र के किसान बाजार करने चनपटिया आते थे। उस समय कच्ची सड़क थी। हल्की बारिश में गढ्ढेनुमा सड़क पर काफी कीचड़ हुआ करता था।जिसे पार कर चनपटिया बाजार करना मजबूरी था।खुले आसमान के नीचे गाड़ीवानों का गुजरता था रात।कच्ची सड़क की कीचड़ में काठगाड़ी फंसते थे। वही त्रिमुहान घाट पर नाव में जगह नही मिलने से गाड़ीवानों की रात सड़क व घाट पर खुले आसमान के नीचे गुजर जाते थे। सड़क पर कीचड़ में गाड़ी फंसने से रातभर परेशान रहते थे।
लोगों की दुर्दशा से निजात के लिए बना पुल
लोगों की दुर्दशा को देखते हुए सुशासन की सरकार ने 2014 में मुख्यमंत्री सेतू योजना के तहत पुल बना। इसमें करीब बीस करोड़ रुपये की लागत आई। पुल अठ्ठारह महीने में बनकर तैयार हो गया। पर पुल के दोनों तरफ एप्रोच पथ नही बना। जिससे पुल आज भी अनुपयोगी बना हुआ है। उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीणों की ओर से इस की गई इस पहल के बाद से व्यवस्था में सुधार होगा।