Corona Effect : गांवों के बाजार ने खोले उम्मीदों के द्वार, कारोबार के बन रहे नित नए रिकॉर्ड

Corona Effect संक्रमण काल में एफएमसीजी कंपनियों के लिए गांव बना उम्मीदों का बाजार ग्रामीण बाजार में दोगुने से अधिक हुआ रोजाना का कारोबार।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 09:03 AM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 09:03 AM (IST)
Corona Effect : गांवों के बाजार ने खोले उम्मीदों के द्वार, कारोबार के बन रहे नित नए रिकॉर्ड
Corona Effect : गांवों के बाजार ने खोले उम्मीदों के द्वार, कारोबार के बन रहे नित नए रिकॉर्ड

मुजफ्फरपुर, जेएनएन। Corona Effect : इस संकट के मौजूदा दौर में भी गांवों के बाजार में बहार छाई है। लॉकडाउन के बाद गांवों में कारोबार का कीर्तिमान बना है। एफएमसीजी कंपनियों के लिए गांव, अब उम्मीदों के बाजार बन गए है। यहां कारोबार का रिकॉर्ड बन रहा। अबतक शहरी क्षेत्र के बाजार पर निर्भर एफएमसीजी कंपनियों के लिए गांव स्तर के बाजार ने कारोबार के दरवाजे खोल दिए हैं। मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स, डेटॉल, सेवलॉन, फेनाइल, हार्पिक आदि की मांग गांवों तक पहुंच गई है। कोरोना संकट के बाद भी ग्रामीण अंचल के बाजार की तस्वीर शहर से बेहतर दिख रही है।

60 फीसद बाइक के खरीदार ग्रामीण

रबी की बेहतर फसल हुई है और खरीफ की फसल के लिए मानसून का भी संकेत अच्छा है। खेती के लिए उत्साहित किसानों ने इस बार जून में ट्रैक्टर खरीद के पिछले रिकार्ड भी तोड़ दिए हैं। पिछले साल जून में 45 ट्रैक्टर बिके थे। परिवहन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इस साल जून में 63 ट्रैक्टर की बिक्री हुई है। जबकि जून में 6568 बाइक की बिक्री हुई है। इनमें 60 फीसद खरीदार ग्रामीण इलाकों के हैं।

हर माह 15 हजार वाहन बिकते

सरकार द्वारा ट्रैक्टर की खरीदारी पर दिए जा रहे अनुदान और बैंक तथा फाइनेंस कंपनियों द्वारा दी जा रही ऋण की सुविधा का लाभ उठाते हुए किसानों ने ट्रैक्टर की खरीदारी की है। वैसे आंकड़ों पर गौर करें तो जिले में हर माह 15 हजार वाहन बिकते रहे है। इनमें 12 हजार बाइक-स्कूटी और तीन हजार बस, कार, ट्रक, पिकअप वैन, ऑटो और ट्रैक्टर शामिल हैं।

दोगुने से अधिक हुआ एफएमसीजी का कारोबार

कोरोना संकट के बीच गांव के बाजारों ने एफएमसीजी कंपनियों के लिए उम्मीदों के द्वार खोल दिए है। ग्रामीण इलाकों में दवा से लेकर दैनिक जीवनोपयोगी सामग्री तक की न केवल डिमांड बढ़ी है, बल्कि कारोबार भी दोगुना से अधिक बढ़ा है। जिले में वर्तमान में एफएमसीजी का रोजाना का कारोबार 125 करोड़ का है। इनमें गांवों की भागीदारी 65 करोड़ पहुंच गई है। लॉकडाउन के पूर्व गांवों में एफएमसीजी का रोजाना का कारोबार 30 करोड़ का था। यहां मास्क, सैनिटाइजर, ग्लब्स, फेनाइल, डेटॉल-सेवलॉन , बैक्टेरियल साबुन, मच्छर अगरबत्ती की मांग बढ़ी है।

शहर के बराबर ग्रामीण बाजार में कारोबार

थोक कारोबारी मनीष शर्मा की मानें तो अब ग्रामीण बाजार में इन सामग्री का कारोबार शहर के बराबर हो गया है। एफएमसीजी कंपनी एनएसएल के विक्रय प्रतिनिधि उमाशंकर के अनुसार वर्तमान समय में टूथपेस्ट, साबुन, सैनिटरी पैड, बिस्किट व अन्य एफएमसीजी उत्पाद की बिक्री शहर की तरह ही गांवों में हो रही है। लॉकडाउन के दौरान भी कारोबार पर कोई खास असर नहीं पड़ा था। मांग, खपत और बिक्री में लगातार इजाफा हो रहा है। यही वजह है कि 125 करोड़ के रोजाना के कारोबार में गांव के बाजार की हिस्सेदारी 30 करोड़ से बढ़कर 65 करोड़ तक हो गई है।

गांवों में बना नया बाजार

कोरोना वायरस से बचाव के लिए साफ-सफाई और सेहत के प्रति लोगों की जागरूकता बढ़ी है। इसके चलते गांव के बाजार में भी फेस मास्क, सैनिटाइजर, ग्लव्स, इम्यूनिटी बढ़ाने की दवा, जड़ी-बूटी आदि का नया बाजार बना है। मास्क बेचकर लोग बेरोजगारी दूर कर रहे है। महिलाएं कपड़े का मास्क बना रही हैं। कीटाणु समाप्त करने वाले उत्पादों की बिक्री बढ़ी है।  

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