केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति बोले- उद्यानिकी फसलों में रसायनों का हो कम से कम प्रयोग

Dr. Rajendra Prasad Central Agricultural University डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में आयोजित दो दिवसीय वेबिनार में कुलपति ने रखी अपनी बात। कुलपति डॉ. रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने उद्यानिकी फसलों में रसायनों का कम से कम प्रयोग करने की सलाह दी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Wed, 25 Nov 2020 05:12 PM (IST) Updated:Wed, 25 Nov 2020 05:12 PM (IST)
केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा के कुलपति बोले- उद्यानिकी फसलों में रसायनों का हो कम से कम प्रयोग
डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा

समस्तीपुर, जेएनएन। डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा में बुधवार को उद्यानिकी फसलों में लगने वाले जड़ गलन रोग के प्रबंधन विषय पर एक राष्ट्रीय वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वेबिनार को संबोधित करते हुए विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. रमेशचंद्र श्रीवास्तव ने उद्यानिकी फसलों में रसायनों का कम से कम प्रयोग करने की सलाह दी। उनका कहना था कि पादप रोगों के प्रबंधन के लिए कृषि रसायन का प्रयोग अंतिम विकल्प के रूप में करना चाहिए। उद्यानिकी फसलों में जड़ गलन रोग एवं पानी के उपयोग के मध्य पारस्परिक संबंधों के अध्ययन पर विशेष बल दिया।

 मौके पर उपस्थित देश के प्रख्यात उद्यान वैज्ञानिकों ने कहा कि जड़ गलन रोग बागवानी के लिए दुनिया भर में एक समस्या बनी हुई है। बिहार में पिछले 5 वर्षों में फूसरियम सलानी नामक कवक द्वारा पपीता में जड़ गलन रोग हो रहा है, जो बिहार के पपीता उत्पादकों के लिए सबसे बड़ी समस्या बनी हुई है। क्योंकि इस बीमारी की वजह से संक्रमित क्षेत्र में 80 से 90 प्रतिशत अधिक पपीता के पौधे मर जा रहे हैं। पपीता के जड़ गलन रोग के प्रबंधन पर व्याख्यान देते हुए विश्वविद्यालय के प्लांट पैथोलॉजी के वरीय वैज्ञानिक सह प्राध्यापक डॉ एस के सिंह विश्वविद्यालय में किए गए अनुसंधान की विस्तार पूर्वक चर्चा की।

 उन्होंने इस विषय पर और अनुसंधान करने पर बल दिया। कहा कि वेबिनार के फलाफल इस रोग के प्रबंधन में अति उपयोगी साबित होंगे। यह वेबिनार बागवानी में जड़ गलन रोग के उचित प्रबंधन के लिए अनुसंधान रणनीतियों की योजना बनाने में सहायक होगी। इस वेबिनार में कुल 1000 से ज्यादा लोगों ने भाग लिया। इसमें 30 प्रदेशों के लोगों ने भाग लिया वहीं काशी हिंदू विश्वविद्यालय बनारस उत्तर प्रदेश के डॉ. हरिकेश बहादुर सिंह, कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली के डॉ प्रतिभा शर्मा, डॉ. सुब्रमण्यम श्रीराम, भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बेंगलुरु के डॉ. एस एस वैश्य सहित विश्वविद्यालय की डॉ. संगीता सैनी, डॉ. आशीष कुमार पांडा, डॉ. दिनेश राय सहित अन्य भी उपस्थित थे।

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