वाल्मीकिनगर बनेगा बिहार के पर्यटन की पहचान : डीएम

बगहा। वाल्मीकिनगर के ऐतिहासिक धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के चित्रों सहित जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 21 Oct 2021 05:28 PM (IST) Updated:Thu, 21 Oct 2021 05:28 PM (IST)
वाल्मीकिनगर बनेगा बिहार के पर्यटन की पहचान : डीएम
वाल्मीकिनगर बनेगा बिहार के पर्यटन की पहचान : डीएम

बगहा। वाल्मीकिनगर के ऐतिहासिक, धार्मिक, और सांस्कृतिक स्थलों के चित्रों सहित जानकारी वेबसाइट पर उपलब्ध होगी। बिहार के पर्यटन मानचित्र पर स्थान मिलने से ऐतिहासिक धरोहरों से पूर्ण वाल्मीकिनगर में पर्यटकों का आवागमन बढ़ेगा। वाल्मीकिनगर के आस पास बहुत सारे ऐसे पर्यटन स्थल हैं, जो बेहद खूबसूरत हैं। लेकिन पर्यटकों को उनके बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में इन पर्यटन स्थलों को देश के पर्यटन मानचित्र पर लाने की तैयारी की जा रही है। सांस्कृतिक व ऐतिहासिक नगरी में वाल्मीकिनगर के प्राकृतिक पर्यटन को जोड़ने की कवायद प्रारंभ हो गई है। प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण वीटीआर ईको टूरिज्म का केंद्र बिदू होगा। विकास की संभावनाएं तलाशने का अभियान तेज हो गया है। वाल्मीकिनगर में प्रत्येक वर्ष हजारो पर्यटक आते है। मंशा है कि इन पर्यटकों को वन क्षेत्र की विविधताओं व विशेषताओं से जोड़ा जाए। ताकि क्षेत्र में रोजगार पैदा करने के साथ ही प्रदेश सरकार की आय में वृद्धि की जा सके। इस कवायद के तहत जिलाधिकारी कुंदन कुमार पर्यटन विभाग के अधिकारियों के साथ वाल्मीकिनगर में गहन मंथन किया। वन क्षेत्र में अनेक पौराणिक, सांस्कृतिक धरोहर पर चर्चा करते हुए वीटीआर को केंद्र बिदु बताया। कहा कि वीटीआर के आस पास ईको टूरिज्म के लिए मुफीद दर्जनों प्राकृतिक स्थल मौजूद हैं, जो प्राकृतिक सौंदर्य से भरे पड़े हैं। इनको परिपथ के साथ जोड़कर पर्यटकों को पर्यटन की ²ष्टि से आवश्यक संसाधनों की उपलब्धता सुनिश्चित करके ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशने का कार्य तेजी से शुरू किया जाएगा। इसके तहत ईको टूरिज्म की संभावनाएं तलाशने का अभियान जारी है। वन कानूनों का पालन करते हुए ईको टूरिज्म के विकास का प्रयास होगा। बताते चलें कि वीटीआर में पर्यटक प्राकृतिक सौंदर्य का आनंद लेने के लिए आते हैं। पर्यटकों के बीच थारू संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से थारू जनजाति के पारंपरिक व्यंजन को परोसा जाएगा। इसका मकसद आदिवासी संस्कृति को देश-दुनिया में प्रमोट करने के साथ ही आदिवासी समाज को विकास की मुख्यधारा में लाना है। इससे लोगों में गांव व प्रकृति के प्रति आकर्षण बढ़ेगा। लोग गांव में आकर दो से चार दिनों तक रुक सकेंगे। उनके रुकने की व्यवस्था ग्रामीणों के घर में की जाएगी।

गांव के परिवेश में ही उन्हें रहने का मौका मिलेगा। यहां महिलाएं कई ऐसे उत्पाद बनाती हैं जो अक्सर घरों में इस्तेमाल होता है। मगर उन्हें बाजार नहीं मिल पाता। इको विलेज टूरिज्म से गांव में आने वाले शहर के लोग सीधे इनसे सामान खरीद सकेंगे। इससे उनकी आर्थिक स्थिति ठीक होगी। पर्यटक ग्रामीणों के बनाए खाद्य उत्पाद, हैंडीक्राफ्ट और वन उत्पाद की खरीदारी कर सकेंगे। पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों और कला संस्कृति का आनंद उठाएंगे। इस मौके पर डीडीसी अनिल कुमार, एसडीएम दीपक कुमार मिश्रा समेत अन्य मौजूद थे।

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