मधुबनी में अनूठी पहल, थर्मोकोल की थाली की जगह पत्तल को बढ़ावा

Madhubani news युवाओं का दल शादियों के सीजन में आस-पास के मैरेज हाॅल सहित अन्य स्थलों पर पहुंचकर आयोजित होने वाले भोज में पत्तल के प्रयोग को करते जागरूक। साथ ही पत्तल का निशुल्क वितरण भी करते हैं।

By Dharmendra Kumar SinghEdited By: Publish:Sat, 20 Nov 2021 04:18 PM (IST) Updated:Sat, 20 Nov 2021 04:18 PM (IST)
मधुबनी में अनूठी पहल, थर्मोकोल की थाली की जगह पत्तल को बढ़ावा
मधुबनी ज‍िले न‍िशुल्‍क पत्‍तल व‍ितरण करते हुए। जागरण

मधुबनी, {कपिलेश्वर साह}। प्लास्टिक से पर्यावरण को होने वाला नुकसान को देखते हुए यहां युवाओं का एक दल पत्तल को बढ़ावा देने के लिए बीते दो साल से अभियान चलाकर पर्यावरण संरक्षण को बल प्रदान कर रहे हैं। युवाओं का दल शादियों के सीजन में आस-पास के मैरेज हाॅल सहित अन्य स्थलों पर पहुंचकर विवाह सहित अन्य मौकों पर आयोजित होने वाले भोज में पत्तल के प्रयोग को जागरूक करते हैं। वहीं पत्तल का निशुल्क वितरण भी करते है। अब तक चार हजार से अधिक पत्तल का निशुल्क वितरण कर चुके हैं। इस पर आने वाले खर्च का वहन दल के युवा आपसी सहयोग से करते है।

पत्तल को बढ़ावा के लिए चलाए जा रहे अभियान में जिले के प्रशांत कुमार सहित एक दर्जन से अधिक युवा शामिल है। वे प्लास्टिक व थर्माकोल की थाली, गिलास, कटोरा आदि की रोकथाम के लिए लोगों को जागरूक करते हैं। अभियान में शामिल युवा जिले में अपने-अपने क्षेत्रों में किसी घर में होने वाले भोज-पार्टी सहित अन्य आयोजन से पूर्व पहुंचकर आयोजन करने वालों को प्लास्टिक व थर्माकोल से होनेवाले नुकसान के बारे में बताते हुए उन्हें पत्तल इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण के लिए पत्तल को बढावा के लिए अभियान में शामिल युवाओं की जागरूकता से अब तक जिले के सतीशचंद्र झा, प्रकाश चौधरी, गुणानंद यादव, शंकर झा, विकास साह, गोविंद कुमार, महेंद्र साह, ओमप्रकाश सिंह, राजेश साह, दिलीप कुमार सहित 100 से अधिक लोगों ने अपने यहां विभिन्न मौकों पर भोज में प्लास्टिक व थर्माकोल की थाली की जगह पत्तल का इस्तेमाल किया। वहीं जिले के गुरु शरण सर्राफ, राजकुमार झा, ऋषिनाथ झा सहित चार दर्जन से अधिक लोग अपने-अपने घर किसी भी समारोह में प्लास्टिक के बर्तन इस्तेमाल नहीं करने का संकल्प ले चुके हैं।

पत्तल को बढावा से पानी की बचत

मांगलिक कार्य सहित अन्य मौके पर भोज, पार्टी में पत्तल को बढ़ावा जल की बर्बादी को रोकना में भी कारगर साबित हो रहा है।पत्तल को बढ़ावा देने के लिए चलाएं जा रहे अभियान में शामिल प्रशांत कुमार, ध्रुव नारायण त्रिपाठी, कुंदन प्रताप सिंह, कन्हैया कुमार, मिथुन गुप्ता, पंकज झा, अशोक कुशवाहा, विनोद साह सहित एक दर्जन से अधिक अन्य लोग अपने घर प्रतिदिन थाली-प्लेट की जगह पत्तल का प्रयोग को तरजीह देने लगे है। इससे प्रतिदिन सैकड़ों लीटर पानी के अलावा समय की बचत हो रही है। इनके परिवार में एक दिन में जलपान व भोजन के बाद थाली-प्लेट व कटोरा की सफाई पर सैकड़ो लीटर पानी का खर्च आता था। इन थाली-प्लेट, प्लेन की सफाई के लिए डिटर्जेंट पर प्रतिमाह सैकड़ों रुपये खर्च होता था। इसके अलावा चापाकल से लगे मोटर से पानी के लिए बिजली की खपत होती थी।

पत्तल पर भोजन की परम्परा विकसित करने से थाली-प्लेट व कटोरा की सफाई पर करीब एक घंटा का समय और श्रम की बचत होने लगी। जल, समय, श्रम व डिटर्जेंट की बचत के लिए पत्तल पर भोजन को बढ़ावा से प्रभावित होकर जिले के राजाराम साह, रोहित कुमार, सुनील चौधरी, राजेश साह, ललित झा सहित दर्जनों लोगों ने अपने-अपने घरो में पत्तल को बढ़ावा देने लगे है। पत्तल को बढ़ावा देने वालों का कहना है कि गर्मी के दिनों में चापाकलों को पानी छोड़ देने के बीच पत्तल पर भोजन की परंपरा से पानी की बचत के साथ-साथ घर की महिलाओं को थाली-प्लेट, कटोरा की धुलाई से छुटकारा मिल गया है। पत्तल पर भोजन की परंपरा घर आने वाले अतिथियों को भी पसंद आने लगा है।

'भोज-पार्टी के अलावा घरों में पत्तल को बढ़ावा से निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण को बल मिलेगा। इससे भूमिगत जल की बचत होगी। गर्मी के दिनों में जल संकट से निजात मिलेगा। पानी के दुरुपयोग रोकने के लिए हरेक लोगों को पत्तल का प्रयोग समय की मांग बन गई हैं।' - समीर कुमार महासेठ, विधायक मधुबनी

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