मधुबनी में अनूठी पहल, सरहदों की सुरक्षा के साथ मानवता की रक्षा कर रहा बीएसएफ
Madhubani News भारत-बांग्लादेश की सीमा पार कर रहा था दलदल का विक्षिप्त बुजुर्ग बीएसएफ ने स्वजनों से मिलाया मधेपुर के भेजा थाना क्षेत्र के दलदल गांव का बुजुर्ग भटकते हुए पश्चिम बंगाल के मालदा पहुंचा। सीमा पर बीएसएफ जवानों ने पकड़ कर की पूछताछ।
मधुबनी, (राजीव रंजन झा)। सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ना केवल हमारी सरहदों की सुरक्षा पूरी मुस्तैदी से कर रहे, बल्कि मानवता की रक्षा में भी किसी से पीछे नहीं। इसका ताजा उदाहरण पश्चिम बंगाल के मालदा में भारत-बांग्लादेश अंतरराष्ट्रीय सीमा पर देखने को मिला है। छह दिसंबर की सुबह घने कोहरे में तारबंदी के नज़दीक सीमा पर तैनात बीएसएफ जवानों को कुछ हलचल महसूस हुई।
किसी अनहोनी या तस्करी की घटना को भांपते हुए जवान जब झाड़ियों में पहुंचे तो देखा कि एक बुजुर्ग छिपने और भागने का प्रयास कर रहा है। जवानों ने सोचा कि यह बांग्लादेशी घुसपैठिया हो सकता है और हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी। कुछ देर पूछताछ में महसूस हुआ कि व्यक्ति मानसिक रूप से अस्वस्थ है ऒर मैथिली भाषा के शब्दों का प्रयोग कर रहा है। अपना नाम पता कुछ भी बताने की स्थिति में नहीं है। उस बुजुर्ग के मुंह से बस एक शब्द निकला 'दलदल'। जब यह स्थान गूगल पर खोजा गया तब तीन गांव इस नाम से मिले जो बिहार, मध्य्प्रदेश और बांग्लादेश में हैं।
सबसे पहले बिहार में उस जगह के मुखिया का फोन नम्बर खोजा गया और उन्होंने बुजुर्ग की पहचान करते हुए बताया कि इस व्यक्ति का नाम महेंद्र सदाय है, पागल है, इसकी पत्नी की मौत इलाज के अभाव में हो चुकी है। उसका गांव दलदल मधुबनी जिला के मधेपुर प्रखंड अंतर्गत भेजा थाना क्षेत्र में है। इतनी जानकारी मिलने के बाद बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट लोकेन्द्र यादव ने यह जानकारी झंझारपुर डीएसपी आशीष आनंद से साझा की। उन्होंने भेजा थानाध्यक्ष मनोज कुमार के माध्यम से महेंद्र सदाय के स्वजनों तक सूचना भेजी। महेंद्र के सकुशल होने की सूचना पाकर स्वजन संतुष्ट हुए और उसका भाई लक्ष्मी सदाय व भतीजा बिंदा सदाय महेंद्र को लाने मालदा निकले। बुधवार की सुबह बीएसएफ ने महेंद्र को स्वजनों के सुपर्द किया और वे उसे लेकर वापस अपने गांव के लिए रवाना हुए।
बीएसएफ अलर्ट ना होता तो बांग्लादेश पहुंच जाता महेंद्र
अपने गांव से भटकते हुए मालदा तक पहुंचने वाला महेंद्र सदाय आज बांग्लादेश में होता। यदि सीमा पर तैनात बीएसएफ जवान अलर्ट ना होते तो शायद महेंद्र अपने स्वजनों से फिर कभी ना मिल पाता। इस मानवीय कार्य में वहां के बीएसएफ जवान व अधिकारियों, वहां के टीम ताराशंकर चैरिटी एनजीओ, बीएसएफ की सूचना शाखा एवं स्थानीय पुलिस का बेहतर तालमेल देखने को मिला। महेंद्र सदाय के सीमा पर पकड़े जाने के बाद बीएसएफ 44वीं वाहिनी के अधिकारियों ने मामले की पूरी पड़ताल की और उसी का नतीजा है कि एक विक्षिप्त बुजुर्ग अपने स्वजनों से वापस मिल सका।
बीएसएफ व पुलिस अधिकारियों का आपसी संपर्क आया काम
बीएसएफ व स्थानीय पुलिस अधिकारियों का आपसी संपर्क इस भटके बुजुर्ग को अपने परिवार से मिलाने में काफी काम आया। झंझारपुर डीएसपी आशीष आनंद ने बताया कि मालदा में तैनात बीएसएफ के असिस्टेंट कमांडेंट लोकेंद्र यादव उनके छात्र जीवन के मित्र हैं। इनलोगों का एक कोचिंग का ग्रुप बना हुआ है। बताया कि बीएसएफ अधिकारी लोकेंद्र ने विक्षिप्त बुजुर्ग के मिलने की सूचना उस ग्रुप में डाली तो डीएसपी आशीष आनंद ने फौरन भेजा थाना को उसके स्वजनों से संपर्क करने का निर्देश दिया। डीएसपी आनंद ने कहा कि बीएसएफ और स्थानीय पुलिस का इंसानियत के नाम पर बेहतर सहयोग सामने आया है। बीएसएफ ने बुजुर्ग को सीमा पर पकड़ने के बाद पूरी पड़ताल की, दो दिनों तक कैंप में उसे सुरक्षित रखा और अंतत: स्वजनों के हवाले कर दिया। बीएसएफ के इस जज्बे की जितनी तारीफ की जाए, कम है।