Sheohar News: सैकड़ों साल पुराने नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की निगेहबानी कर रहे दो नाग, जानें मंद‍िर का इत‍िहास

Sheohar डुमरी कटसरी प्रखंड स्थित श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य के दौरान डटे रहते हैं दो नाग। एक सफेद और काले रंग के नाग बने आस्था के केंद्र। सैकड़ों साल पुराने है बाबा नीलकंठ महादेव मंदिर। यहां मांगी गई हर एक मन्नत होती हैं पूरी।

By Murari KumarEdited By: Publish:Sun, 21 Feb 2021 03:23 PM (IST) Updated:Sun, 21 Feb 2021 03:23 PM (IST)
Sheohar News: सैकड़ों साल पुराने नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर की निगेहबानी कर रहे दो नाग, जानें मंद‍िर का इत‍िहास
मंशिवहर: पहाड़पुर स्थित बाबा नील कंठेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार के दौरान भ्रमणकरता नाग।

शिवहर, जागरण संवाददाता। शहर से बीस किमी दूर डुमरी कटसरी प्रखंड के पहाड़पुर स्थित सैकड़ों साल पुराने श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर के जीर्णोद्धार कार्य की निगेहबानी काले और उजले नाग (सांप) कर रहे है। दोनों नाग मंदिर के चारों ओर विचरण कर रहे है। मंदिर के उपरी भाग से लेकर नीचे तक लगातार भ्रमण भी कर रहे है। फन निकाल कर इस तरह देखते है, मानों वह काम का अवलोकन कर रहे है। हैरत की बात यह कि, दोनों में से कोई भी नाग काम कर रहे मजदूरों को न तो डराते है और नहीं कोई क्षति पहुंचा रहे है। दोनों नाग की यह तस्वीर लोगों को आश्चर्यचकित कर रही है। वहीं दूर-दूर से लोग नागों के दर्शन के लिए पहुंच रहे है।

Photo- शिवहर: पहाड़पुर गांव स्थित बाबा नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर और जीर्णोद्धार के अवसर पर उपस्थित ग्रामीण।

 बताते चलें कि, पहाड़पुर स्थित श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर लोक आस्था के केंद्र है। यहां स्थापित शिवलिंग सैकड़ों साल पुराना है। हल्का नीला रंग होने की वजह से इनका नाम नीलकंठेश्वर महादेव पड़ा। कहते हैं कि यहां मांगी गई हर एक मन्नत पूरी होती है। यहीं वजह हैं कि इलाके के लोग मंदिर का जीर्णोद्धार करा रहे है। जीर्णोद्धार कार्य शुरू होते ही काले और उजले रंग के विशाल और काफी पुराने दो नाग नजर आए। जिन्हें देखकर मजदूर भाग गए। मजदूरों के जाने के बाद दोनों नाग भी बिल में चले गए। मजदूर जब दोबारा काम पर लौटे तो दोनों नाग दूर से ही उन्हें देखते रहे। धीरे-धीरे स्थिति सामान्य हो गई।

 नाग दूर से ही निर्माण कार्य को देखते नजर आते है। पूरे दिन कम से कम चार-पांच बार नाग दिखाई देते है। कुछ समय तक वह फन उठाकर फन को घुमाकर चारों ओर नजर दौड़ाते है और फिर चलें जाते है। इस दौरान दूर-दूर से लोग नाग को देखने पहुंच रहे है। गांव के वृद्धजन बताते है कि जब से उन्हें होश है तब से मंदिर में दोनों नाग को देख रहे है। दोनों नाग मंदिर परिसर में ही रहते है। ये किसी को नुकसान नहीं पहुंचाते है। कभी-कभी इन्हें शिवलिंग से लिपटा भी देखा गया है।

स्वप्न में आकर दर्शन दिए थे महादेव 

श्री नीलकंठेश्वर महादेव सैकड़ों साल पुराने है। ग्रामीणों के अनुसार राम सूरत गिरि ने इस शिवलिंग की स्थापना की थी। उन्हें कोई संतान नही थी। एक रात उन्हें स्वप्न में आए महादेव ने नयागांव कचहरी के पास ध्वस्त मंदिर में शिवलिंग होने की जानकारी दी। बताया गया कि, जिस स्थान पर शिवलिंग रखेंगे, वह, उसी स्थान पर स्थापित हो जाएंगे। साथ ही उन्हें पुत्र की प्राप्ति होगी। उसी रात राम सूरत गिरि नया गांव कचहरी स्थित ध्वस्त मंदिर पहुंचे और शिवलिंग को सिर पर लादकर पहाड़पुर पहुंचे।

 पहाड़पुर स्कूल के पास उन्होंने शिवलिंग की स्थापना कर पूजा-अर्चना शुरू की। वहीं छोटा सा मंदिर बनवाया। कुछ समय बाद उन्हें पुत्र भी हुआ। इसके बाद श्री नीलकंठेश्वर महादेव की महिमा दूर-दूर तक फैली। लंबे समय तक देखभाल के अभाव में मंदिर जर्जर होने लगा तो ग्रामीणों ने जन सहयोग से मंदिर का निर्माण कराया। वर्तमान में पहाड़पुर के पैक्स अध्यक्ष पप्पू सिंह, सिंह, शंकर सिंह, लखिंद्र सिंह, जितेंद्र कुमार, मनोज तिवारी, उप मुखिया सुनील कुमार सिंह, भगवान गिरी, विक्की कुमार व मनोज तिवारी आदि लोग जन सहयोग से मंदिर का जीर्णोद्धार करा रहे है।

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