मधुबनी में महाराजी बांध की मरम्मत में खर्च हो गए दो करोड़ 10 लाख, खतरा बरकरार

बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल ने चार जगहों पर बांध मरम्मत में खर्च की राशि लोगों के अनुसार बांध मरम्मत में बलुआही मिट्टी का हुआ उपयोग बांध अभी भी कई जगहों पर जर्जर व क्षतिग्रस्त लोगों को सताने लगा बाढ़ का खतरा

By Murari KumarEdited By: Publish:Wed, 02 Jun 2021 05:28 PM (IST) Updated:Wed, 02 Jun 2021 05:28 PM (IST)
मधुबनी में महाराजी बांध की मरम्मत में खर्च हो गए दो करोड़ 10 लाख, खतरा बरकरार
बेनीपट्‌टी के पाली में महाराजी बांध में बना गड्‌ढ़ा

मधुबनी (बेनीपट्टी), जासं। बारिश का मौसम आहट दे चुका है। मानसून भी दस्तक देने को तैयार है। ऐसे में बेनीपट्टी प्रखंड क्षेत्र के लोगों को एक बार फिर बाढ़ का डर सताने लगा है। संभावित बाढ़ से निपटने के लिए लोग अपने-अपने स्तर से तैयारियों में जुट गए हैं। इधर, बाढ़ नियंत्रण प्रमंडल झंझारपुर वन दावा कर रहा कि दो करोड़ 10 लाख 52 हजार रुपये से महाराजी बांध की मरम्मत करा ली गई है। हालांकि, स्थानीय लोग विभाग के इस दावे से संतुष्ट नहीं दिख रहे। लाेगों के अनुसार बाढ़ के समय बांध मरम्मत के नाम पर हर साल सरकारी राशि की बंदरबांट होती रही है। यह कोई नया खेल नहीं। विभाग के दावे लोगों की सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकते। बांध मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की गई है। महाराजी बांध अब भी कमजोर, जर्जर और क्षतिग्रस्त है। बांध बाढ़ के पानी का दबाव झेलने की स्थिति में नहीं है। लोगों का कहना है कि विभाग की ओर से पाली, अग्रोपट्टी, सोहरौल एवं करहारा गांव में बलुआही मिट्टी से बांध की मरम्मत करा दी गई है। यह काफी नहीं है। अगर बाढ़ आई तो इस बार भी भारी तबाही मचेगी।

40 किलोमीटर में फैला है महाराजी बांध :

प्रखंड में बसैठ, रानीपुर, करहारा, सोहरौल, नजरा, शिवनगर, अग्रोपट्टी, मेघवन, पाली, सोईली गांव सहित 40 किलोमीटर में महाराजी बांध बना हुआ है। पाली पंचायत के दर्जनों जगहों पर महाराजी बांध जर्जर व क्षतिग्रस्त एवं कमजोर है। बांध के खतरे की आशंका से ग्रामीणों की बेचैनी बढ़ गई है। पाली मझिला टोल से पाली गोट तक एवं सोईली से बरदाहा मुसहरी तक और करहारा गांव में कई जगहों पर बाढ़ सुरक्षा महाराजी बांध क्षतिग्रस्त है। महराजी बांध में जगह-जगह रेनकट व चूहा लगा हुआ है व भमरा फुटा हुआ है। पाली खिरी से खसियाघाट जाने वाला महाराजी बांध कई जगहों पर क्षतिग्रस्त है। हर वर्ष अधवारा समूह के धौंस एवं खिरोई व नेपाल से आने वाली पानी की दबाव महाराजी बांध पर बना रहता है।

2019 में तीन जगहों पर टूटा था महाराजी बांध :

वर्ष 2019 में आई बाढ़ ने क्षेत्र में भारी तबाही मचाई थी। उस साल बेनीपट्टी प्रखंड के नजरा, मेघवन एवं रानीपुर गांव के निकट महाराजी बांध ध्वस्त हुआ था। बाढ़ नियंत्रण विभाग झंझारपुर वन के द्वारा टूटे बांध की मरम्मत एक साल पूर्व ही करा दी गई, लेकिन अन्य जर्जर स्थलों को छोड़ दिया गया। अभी भी बांध कई जगहों पर जर्जर हालत में है। बांध की स्थिति काफी खतरनाक रहने के कारण लोगों में संभावित बाढ़ को लेकर भय का माहौल है। कहना मुश्किल है कि इस बार बांध कहां जवाब दे जाए। बता दें कि बाढ़ आने के बाद प्रखंड के एक दर्जन से अधिक ऐसे गांव हैं जो चारो ओर बाढ़ के पानी से घीर टापू बन जाते हैं।

विभागीय कार्य से स्थानीय लोग संतुष्ट नहीं :

बाढ़ नियंत्रण विभाग झंझारपुर वन के कनीय अभियंता सुनील कुमार ने बताया कि बेनीपट्टी प्रखंड में दो करोड़ दस लाख 52 हजार रुपये की लागत से चार जगहों पर महाराजी बांध की मरम्मत की गई है। पाली में 270 मीटर, अग्रोपट्टी में 100 मीटर, सोहरौल में 150 मीटर, करहारा सोहरौल में 200 मीटर महाराजी बांध की मरम्मत की गई है। धौंस नदी के तटबंध एवं बांध पर यूकेलियस बल्ला व गेवियन जाल तथा बोरी में मिट्टी डालकर दिया गया है। बांध की मरम्मत सरकारी मापदंड एवं पारदर्शिता के साथ की गई है। इधर, पाली गांव के समाजसेवी सुधीर झा, मितव दास, श्रीपति दास, जयनारायण दास, बिपति दास, नंदनारायण दास, करहारा गांव के पूर्व मुखिया देवेंद्र प्रसाद यादव ने बताया कि महाराजी बांध कमजोर व जर्जर एवं क्षतिग्रस्त है। क्षतिग्रस्त बांध व बांध पर बने भमरा को जल्द से जल्द मरम्मत कराए जाने की आवश्यकता है।

विभाग के द्वारा बांध मरम्मत के नाम पर खानापूर्ति की जा रही है। बांध की मरम्मत जहां कराई गई है, वहां बलुआही मिट्टी डाल दिया गया है जो पानी का दबाब नहीं झेल पाएगा। सरकार बाढ़ से पूर्व युद्ध स्तर पर महाराजी बांध की मरम्मत कराए, जिससे बाढ़ के समय लोगों का बचाव हो सके। इधर, एसडीओ अशोक कुमार मंडल ने कहा कि जल संसाधन व बाढ़ नियंत्रण विभाग झंझारपुर वन को पत्राचार कर महाराजी बांध की मरम्मत कराए जाने को लेकर रिपोर्ट भेजा गया है। बांधों का निरीक्षण अभियंता के साथ किया गया व दिशा-निर्देश दिया गया है।

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