समस्तीपुर में दलहन की खेती को संजीवनी देने के लिए कृषि विभाग किसानों को करेगा जागरूक
कृषि विभाग द्वारा जिले में दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों की सूची तैयार करने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। बताते चलें कि दो दशक पहले तक दलहन की खेती बड़े पैमाने पर होती थी।
समस्तीपुर, जासं। तिलहनी फसलों की खेती के लिए किसान आकर्षित हो, इसके लिए विभाग ने बीज वितरण का एक नया कार्यक्रम शुरू किया है। दलहनी और तिलहनी फसलों की खेती के लिए किसानों को मिनी किट उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें अधिक उत्पादन देने वाले किस्मों के बीज तो होंगे ही, उसमें बीज को ट्रीट करने वाले केमिकल भी होंगे। इसके लिए किसानों को कोई दाम नहीं देना होगा, मतलब ये निशुल्क होंगे। कृषि विभाग द्वारा जिले में दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों की सूची तैयार करने के साथ ही किसानों को प्रशिक्षण देने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है। बताते चलें कि दो दशक पहले तक दलहन की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। उस समय मूंग, मसूर व अरहर की खेती बड़े पैमाने पर होती थी। हाल के वर्षों में किसानों की रुझान मक्का खेती की ओर अग्रसर हुआ है। इसके कारण दलहन की खेती का रकवा तेजी से घटा है। मक्का, धान के साथ दलहन की खेती को बढ़ावा दिए जाने को लेकर विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है। जिले की उपजाऊ जमीन को लेकर विभाग जैविक खेती के माध्यम से दलहन की पैदावार बढ़ाने की योजना पर काम कर रही है।
दलहन खेती को संजीवनी देने के लिए कार्य योजना के तहत नजरी नक्शा के सहारे दलहन खेती के लिए उपयुक्त खेती योग्य भूमि को चिह्नित करने की प्रक्रिया चल रही है। रबी मौसम में दलहन और तिलहन खेती का रकबा बढ़ने की संभावना है। विभाग द्वारा मुख्यालय स्तर से बीज आवंटित होने पर किसानों को अनुदानित दर पर दलहन और तिलहन की खेती के लिए बीज मुहैया कराया जाएगा।
दलहन की खेती से मिट्टी को मिलते हैं पोषक तत्व
जिला कृषि पदाधिकारी विकास कुमार ने बताया कि विभाग का लक्ष्य है कि इस योजना के नए बीज का अधिक से अधिक प्रयोग करा कर उत्पादन और उत्पादकता दोनों बढ़ाई जाए। दलहन की खेती से मिट्टी को पोषक तत्व भी अधिक मिलते हैं। इससे अन्य फसलों के उत्पादन में भी लाभ मिलता है। दाल और तेल की कीमत बाजार में लगातार बढ़ रही है। ऐसे में दलहन और तिलहन की खेती को बढ़ावा मिलने से किसानों को आर्थिक लाभ होगा। साथ ही उपभोक्ताओं को भी उचित कीमत पर दाल और तेल की उपलब्धता होगी।