कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर विजेता बनने को रिश्तों का दांव पेच, जानिए पूरा मामला
सियासी लड़ाई में रिश्तों की दुहाई पिता के निधन के बाद अमन भूषण जनता को बता रहे अपना अभिभावक अमन के गांव रामपुर रौता में है रामविलास पासवान का ननिहाल इसके सहारे लोजपा (रामविलास) की प्रत्याशी अंजू देवी मैदान में।
दरभंगा, जासं। कुशेश्वरस्थान विधानसभा सीट पर उपचुनाव में इस बार सभी नए चेहरे हैं। एनडीए से जदयू प्रत्याशी अमन भूषण हजारी पिता के निधन के बाद सहानुभूति के सहारे मैदान मारने की कोशिश कर रहे। वहीं, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के चिराग पासवान अपने पिता के नाम के साथ उनके ननिहाल रामपुर रौता के सहारे इस सीट पर जमीन तलाश रहे हैं।
अमन पिता के निधन के बाद कुशेश्वरस्थान के लोगों को अपना अभिभावक बता उनके बीच जा रहे हैं। लोगों को उनके विकास कार्य गिना रहे हैं। कांग्रेस प्रत्याशी अतिरेक कुमार पिता डा. अशोक कुमार के संबंधों की दुहाई दे रहे हैं। पिछले चुनाव में डा. अशोक महागठबंधन से प्रत्याशी थे। वे दूसरे स्थान पर रहे थे। इससे पहले वे 2010 में भी कांग्रेस से यहां से चुनाव लड़ चुके हैं। वे 2015 में समस्तीपुर के रोसड़ा से विधायक रहे थे। राजद के प्रत्याशी गणेश भारती भी रिश्तों के बीच जीत की गुंजाइश तलाश रहे हैं। वे फिलहाल पंचायत समिति सदस्य है। पार्टी के नाम और अपने कार्य की बदौलत वोट मांग रहे हैं।
लोजपा में दो फाड़ होने के बाद लड़ाई रिश्तों में उलझी नजर आती है। लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) से उम्मीदवार अंजू देवी रामविलास पासवान के ममेरे भाई और 1995 में सिंघिया से विधायक रहे जगदीश पासवान की पौत्रवधू हैं। रामविलास पासवान का ननिहाल जदयू प्रत्याशी अमन भूषण के गांव रामपुर रौता में ही है। ऐसे में चिराग गांव से नाता जोड़ रहे हैं। यहां उनके विरोध में चाचा पशुपति कुमार पारस और चचेरे भाई प्रिंस राज एनडीए के साथ हैं। यह पहली बार होगा जब चाचा-भतीजा एक-दूसरे के खिलाफ प्रचार करेंगे।
इन सबके बीच आम आदमी की समझ बिल्कुल स्पष्ट है। लोग कुछ भी खुलकर बोलने से परहेज कर रहे हैं। कुशेश्वरस्थान के बडग़ांव निवासी श्यामसुंदर प्रसाद सिंह बताते हैं राजनीति चाहे जितनी हो जाए, इस बार भी विकास ही मुद्दा है। कौन जीत रहा और कौन हार रहा, यह सबको पता है। बिंदेश्वर राय, जगनारायण पंडित व राजेंद्र राय का नजरिया साफ है। कहते हैं, विकास की बात होती आई है। इस बार भी उसी के आधार पर वोट पड़ेगा। अभी कुछ न पूछिए, अभी तो लोग रिश्तों की दुहाई देते नहीं अघाते। वक्त पर सही फैसला ले लेंगे...।