पुलिस की गाड़ी में ठोकर मारकर भाग रहे तीन शराब धंधेबाज गिरफ्तार
शराब धंधेबाजों का पीछा कर रही पुलिस की गाड़ी को ठोकर मारकर भाग रहे तीन धंधेबाजों को सोमवार की देर रात करजा पुलिस ने खदेड़ कर पकड़ लिया।
मुजफ्फरपुर : शराब धंधेबाजों का पीछा कर रही पुलिस की गाड़ी को ठोकर मारकर भाग रहे तीन धंधेबाजों को सोमवार की देर रात करजा पुलिस ने खदेड़ कर पकड़ लिया। इस दौरान पुलिस ने एक ट्रक, एक पिकअप व दो बाइक भी बरामद कर ली। वहीं, गाड़ियों में रखी 42 कार्टन शराब भी जब्त की। धराए लोगों की पहचान तुर्की ओपी क्षेत्र के खरौना निवासी उज्ज्वल कुमार, सदर थाना क्षेत्र के भगवानपुर निवासी संजय कुमार व काटी थाना क्षेत्र के चैनपुर फतेहपुर निवासी विकास कुमार के रूप में हुई है। थानाध्यक्ष मणि भूषण ने बताया कि 387 लीटर शराब की बरामदगी हुई है। धंधेबाज से पूछताछ कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। बताते चलें कि सोमवार की रात गुप्त सूचना के आधार पर शराब धंधेबाजों का पीछा कर रही पुलिस की गाड़ी को करजा थाना क्षेत्र के नरहर सराय के समीप धंधेबाजों ने ठोकर मार दी थी जिसमें गाड़ी का चालक व एक पदाधिकारी जख्मी हो गए। उनका इलाज शहर के निजी अस्पताल में चल रहा है।
बाइकर्स गिरोह के दो संदिग्धों को पुलिस ने उठाया, पूछताछ
बाइकर्स गिरोह के बदमाशों द्वारा प्रतिदिन लूट व छिनतई की वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। मगर, नकेल कसने में जिला पुलिस की टीम विफल साबित हो रही है। हाल की घटनाओं की समीक्षा के बाद वरीय अधिकारियों के निर्देश पर एसआइटी ने सोमवार की रात कई जगहों पर छापेमारी की। इस क्रम में मनियारी व अहियापुर इलाके से दो संदिग्धों को विशेष टीम ने हिरासत में लिया जिससे पूछताछ कर आगे की कार्रवाई की जा रही है। बता दें कि एक पखवाड़े के भीतर अहियापुर, सदर, मनियारी, ब्रहमपुरा और आसपास के इलाकों में लूटपाट व छिनतई की कई घटनाएं हुईं हैं। अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं होने से कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। गत सप्ताह अहियापुर में बाइकर्स बदमाशों ने एक छात्रा का पर्स झपट लिया। इसके पूर्व अहियापुर इलाके में बाइकर्स बदमाशों द्वारा ठीकेदार से एक लाख रुपये लूट लिए गए। मगर, अबतक मामले में गिरफ्तारी नहीं हो सकी है। गत महीने सदर थाना क्षेत्र के गोबरसही में फाइनेंस कंपनी के कर्मी को निशाना बनाया। बेखौफ लुटेरों द्वारा हथियार के बल पर सवा लाख रुपये लूट लिए गए। मगर, वाहन जाच व गश्ती में तैनात पुलिसकíमयों को इसकी भनक तक नहीं लगी। मामला दर्ज करने के बाद कई थानों की पुलिस कागजी कार्रवाई में जुट पल्ला झाड़ लेती है। वहीं पीड़ित इंसाफ के लिए भटक रहे हैं।
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