Tikuli painting: मुजफ्फरपुर की इस शिक्षिका ने कला के लिए अपने जीवन को किया समर्पित, बच्चों को पढ़ा रहीं हुनर से आत्मनिर्भरता का पाठ

Tikuli painting तुर्की में शिक्षक मोनिता युवक-युवतियों को दे रहीं प्रशिक्षण। 200 महिलाएं व युवतियों को मिला रोजगार। वे छाता टी कॉस्टर कलम स्टैंड व ट्रे के साथ ही साड़ी और दुपट्टा पर भी इस कला को उकेरना सिखाती हैं। टिकुली पेंटिंग से सजे मास्क भी बन रहे हैं।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 03:36 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 03:36 PM (IST)
Tikuli painting: मुजफ्फरपुर की इस शिक्षिका ने कला के लिए अपने जीवन को किया समर्पित, बच्चों को पढ़ा रहीं हुनर से आत्मनिर्भरता का पाठ
युवतियों व महिलाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहीं।

मुजफ्फरपुर, [ अंकित कुमार ]। कला का संरक्षण और उसके जरिए रोजगार का सृजन। इसी प्रयास में बीते तीन साल से लगी हैं बीएड कॉलेज, तुर्की में फाइन आर्ट की शिक्षक मोनिता सहाय। वे लुप्त हो रही टिकुली कला को बढ़ावा दे रही हैं। युवतियों व महिलाओं को निशुल्क प्रशिक्षण दे रहीं। उनके प्रयास से इसके जरिये दो सौ को रोजगार मिला है।

गन्नीपुर निवासी मोनिता को बचपन से ही कला से प्रेम था। अपने कपड़ों पर खुद पेंटिंग और क्रोशिया से डिजाइन करती थीं। प्राचीन कला केंद्र, चंडीगढ़ से 2007 में फाइन आर्ट में पीजी किया। वहीं यह कला सीखी। 2011 में कुढऩी प्रखंड के प्रोजेक्ट बालिका उच्च विद्यालय में फाइन आर्ट की शिक्षक हो गईं। 2019 में बीएड कॉलेज, तुर्की में व्याख्याता बनीं। तीन साल पहले इस कला को रोजगार से जोडऩे की शुरुआत की।

महीने में 10 हजार तक कमा रहीं

लॉकडाउन अवधि का इस्तेमाल मोनिता ने इस कला को आगे बढ़ाने में किया। वीडियो व अन्य माध्यमों 200 युवतियों व महिलाओं को प्रशिक्षित किया। अभी इतनी ही युवतियों व युवकों को प्रशिक्षण दे रही हैं। वे छाता, टी कॉस्टर, कलम स्टैंड व ट्रे के साथ ही साड़ी और दुपट्टा पर भी इस कला को उकेरना सिखाती हैं। टिकुली पेंटिंग से सजे मास्क भी बन रहे हैं। एक मास्क 100 रुपये तक बिक रहा है।

आयरलैंड में भी ऐसे मास्क की मांग है। वहां 500 मास्क भेजे गए हैं। इसे बना रहीं एक दर्जन महिलाओं व युवतियों को महीने में तकरीबन 10-12 हजार की आमदनी हो रही है। नम्रता सिन्हा, वंदना कुमारी, सुमित कुमार ठाकुर, हिना परवीन व रिचा कुमारी सहित अन्य का कहना है कि इस कला से उनकी आर्थिक परेशानी दूर हुई है। विधानसभा चुनाव में इस कला के माध्यम से वोट के प्रति जागरूक कर रहीं मोनिता को 2018-19 में शिमला और नेपाल में इस कला के लिए सम्मान मिल चुका है। उनका कहना है कि वे सूप और डगरा पर भी इसे उकेरने की तैयारी कर रही हैं।

यह है टिकुली कला

मधुबनी पेंटिंग की तरह ही दिखने वाली टिकुली कला काफी पुरानी है। मौर्यकाल में रानियों की बिंदी के लिए यह कला प्रयोग में लाई जाती थी। बाद में कलाकारों ने लकड़ी के तख्ते पर ग्रामीण परिवेश को टिकुली पेंटिंग के माध्यम से उकेरना शुरू किया। इसमें डॉट वर्क की बहुलता होती है, इस कारण इसे टिकुली कला कहते हैं। 

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