गन्ने की खेती में एकल कलिका विधि का कोई जवाब नहीं, कम लागत के साथ बढ़ेगी आमदनी

जिन किसानों ने इसे अपना ली है उन्हें ज्यादा लाभ होने के साथ-साथ इस विधि से उपज भी ज्यादा ले रहे हैं। जहां तक बीज का सवाल है तो इस विधि में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की जगह मात्र 16 क्विंटल की ही जरूरत पड़ती है।

By Ajit KumarEdited By: Publish:Mon, 13 Sep 2021 11:48 AM (IST) Updated:Mon, 13 Sep 2021 11:48 AM (IST)
गन्ने की खेती में एकल कलिका विधि का कोई जवाब नहीं, कम लागत के साथ बढ़ेगी आमदनी
कृषि विज्ञानी ने कहा, लागत कम होने से किसानों को बढ़ेगी आमदनी।

पश्चिम चंपारण (प्रभात मिश्र) : जिले में किसानों द्वारा अब तक गन्ने की रोपाई में तीन से चार आंख वाली गन्ने की बीज का इस्तेमाल किया जाता रहा है। किसान इस विधि को ही बेहतर मान रहे थे। लेकिन हाल के दिनों में गन्ने की रोपाई में बीज के रूप में केन सेट की जगह एकल कलिका विधि ज्यादा लाभदायक साबित हो रही है। भले ही जिले के कुछ ही किसान इस विधि का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन जिन किसानों ने इसे अपना ली है, उन्हें ज्यादा लाभ होने के साथ-साथ इस विधि से उपज भी ज्यादा ले रहे हैं। जहां तक बीज का सवाल है तो इस विधि में 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर की जगह मात्र 16 क्विंटल की ही जरूरत पड़ती है। इसके अलावा इस विधि से रोपे गए गन्ने की फसल में कल्ले भी अधिक संख्या में आते हैं, जिससे गन्ना का उत्पादन ज्यादा होता है। कृषि विज्ञान केन्द्र, नरकटियागंज के मुख्य विज्ञानी डॉ आरपी सिंह के अनुसार इसमें खेती की कुल लागत का 20 से 25 फीसद लागत कम आती है। इसके लिए कृषि विज्ञान केंद्र की ओर से प्रशिक्षण अभियान चलाया जा रहा है।

रोपाई के पहले ऐसे करें गन्ने का बीजोपचार

कृषि विज्ञानी के अनुसार एकल विधि से गन्ना बीज की तैयारी के संबंध में बताया कि कोकोपीट पच्चीस किलो ग्राम मात्रा को 125 लीटर पानी में चौबीस घंटे के लिए भिगो देते हैं। उसके बाद निकाल कर छायादार स्थान पर फैलाकर सुखा लेते हैं। उसमें वर्मी कंपोस्ट अथवा कड़ी गोबर की खाद, जैविक शक्ति, बालू एवं डीएपी को कोकोपीट में मिलाकर मिश्रण तैयार कर लेते हैं । दीमक से बचाव के लिए इस मिश्रण में कीटनाशक का प्रयोग करते हैं। कटर मशीन से आंख सहित गांठो को काटकर कर्बोक्सीन एवं थीरम पानी से तैयार घोल में आधा घंटा शोधित किया जाता है। उसके बाद उपचारित आंख वाली गन्नों को आंख ऊपर करके ट्रे में रखने के बाद फिर कंपोस्ट मिश्रण से ट्रे को पूरा भर देते हैं। मौसम के अनुसार तीन से छह दिन के लिए ट्रे को एक दूसरे पर रखकर बोरी अथवा त्रिपाल से अच्छी तरीके से ढक देते हैं। इस विधि से 30 से 35 दिन में पौधे खेत में लगाने के लिए तैयार हो जाता है ।

गन्ना पौध सेटलिंग का खेत में प्रत्यारोपण के तरीके

सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से तैयार करने के लिए उसमें सड़ी गोबर की खाद तथा वर्मी कंपोस्ट अच्छी तरह मिलाकर डाला जाता है। इसके बाद खेत में उचित दूरी की नाली बनती है । पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ से दो फीट तथा लाइन से लाइन की दूरी जुड़वा लाइन में पाच फिट रखनी चाहिए । यदि रेजर विधि से बुवाई करनी है तो एक लाइन से दूसरी लाइन चार फीट तथा पौधे से पौधे की दूरी डेढ़ फिट हो। रोपड़ उपरांत नाली में हल्की सिंचाई करें। समय-समय पर रोगों, कीटों एवं खरपतवारों के नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों से सलाह लेकर किसान प्रबंधन कार्य अपनाएं। कृषि विज्ञानी ने बताया कि इससे उच्च गुणवत्ता युक्त गन्ना की फसल तैयार की जाती है।

जिले के कटसीकरी गांव के किसान सचिन सिंह ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि कम बीज में अधिक उत्पादन हो रहा है। पौध का जर्मिनेशन भी अधिक होता है। हरदी गांव के प्रगतिशील कृषक प्रहलाद महतो, अवधेश महतो, शिवानंद साह, राजेंद्र कुशवाहा ने बताया कि इस विधि से उत्पादन लागत कम हो रही है। एकल कलिका विधि से गन्ना की पैदावार अच्छी हो रही है।

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